धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
महाराष्ट्र में जब से घाती सरकार का शासन शुरू हुआ है तब से लेकर अब तक यानी पिछले डेढ़ सालों के भीतर विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में नौ बार रेजिडेंट डॉक्टरों पर हमले हुए हैं। इन घटनाओं के कारण अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो गए हैं। इसी क्रम में सोमवार को छत्रपति संभाजीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर पर मरीज के परिजनों द्वारा किए गए हमले पर चिंता व्यक्त की गई है। दूसरी तरफ हमलों को झेल रहे डॉक्टर सुरक्षा के मामले में अनदेखी के शिकार हैं। ऐसे में रेजिडेंट डॉक्टरों के संगठन सेंट्रल मार्ड ने करुण पुकार लगाते हुए कहा है कि सरकार हमें सुरक्षा मुहैया कराए।
उल्लेखनीय है कि संभाजीनगर में स्थित सरकारी मेडिकल कॉलेज व अस्पताल जीएमसीएच में सोमवार की सुबह करीब पौने नौ बजे जनरल सर्जरी विभाग का एक जूनियर डॉक्टर वॉर्ड में मरीजों को देख रहा था। उसी समय एक मरीज के परिजनों ने डॉक्टर पर हमला कर दिया। हमले में डॉक्टर मामूली चोटिल हो गया। फिलहाल, बताया गया है कि स्थानीय पुलिस ने परिजनों पर मामला पंजीकृत कर लिया है। दूसरी तरफ इस घटना को लेकर सेंट्रल मार्ड संगठन रेजिडेंट डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर से आक्रामक हो गया है। मार्ड के पदाधिकारियों ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि इन हमलों के मद्देनजर संगठन ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर मांग की है कि राज्य में रेजिडेंट डॉक्टरों को दी जानेवाली सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया जाए। उन्होंने कहा है कि यह घटना अकेली नहीं है, बल्कि इस तरह हिंसा की हुई कई घटनाओं ने रेजिडेंट डॉक्टरों को परेशान करके रख दिया है। साल के दौरान राज्य के मेडिकलकॉलेजों में चिकित्सकों पर आठ से नौ बार मरीजों के रिश्तेदारों ने हमला किया है। डॉक्टरों, मेडिकल छात्रों, पैâकल्टी और कर्मचारियों पर हमले की घटनाएं बढ़ रही हैं।
…तो बगावत पर उतरने को होना होगा बाध्य
मार्ड ने कहा है कि यह चिकित्सा समुदाय के लिए एक खतरा बन गई है। परिजनों के इस तरह से आक्रामकता भरा कृत्य न केवल डॉक्टरों के जीवन को खतरे में डालते हैं, बल्कि रोगी की देखभाल के लिए महत्वपूर्ण आवश्यक चिकित्सा सेवाओं को भी बाधित करते हैं। सेंट्रल मार्ड ने घाती सरकार से मांग की है कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए तत्काल और निर्णायक कार्रवाई करें। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि सरकार इस पर गंभीरता से विचार नहीं करेगी तो हमें मजबूरन बगावत पर उतरने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।
इस तरह हुए हैं हमले
३ मई, २०२४ को अकोला में एक सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में सर्जरी कर रहे एक रेजिडेंट डॉक्टर पर मरीजों के रिश्तेदारों ने हमला किया। इसी तरह पिछले साल जनवरी में यवतमाल के एक मेडिकल कॉलेज में एक डॉक्टर पर हमला हुआ था। फिर मई और सितंबर में चंद्रपुर में दो हमले हुए। दिसंबर २०२३ में पिंपरी मेडिकल कॉलेज में, फिर २९ जनवरी २०२४ को चंद्रपुर में, ४ मार्च २०२४ को पिंपरी मेडिकल कॉलेज में, १९ अप्रैल २०२४ को अकोला में, २१ अप्रैल २०२४ को संभाजीनगर में और ३ मई २०२४ को अकोला मेडिकल कॉलेज में रेजिडेंट डॉक्टरों पर हमला किया गया। जनवरी २०२३ से अब तक रेजिडेंट डॉक्टरों पर नौ बार हमले हो चुके हैं।