प्रेम यादव / मीरा-भायंदर
मीरा-भायंदर में रहिवासियों को मनपा और बिल्डरों की लापरवाही का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। सड़कों की खराब स्थिति, सही ढंग से पानी की आपूर्ति में मनपा की विफलता, और स्वास्थ्य सुविधाओं की दुर्दशा विशेषकर कोरोना काल में उजागर हो गई है। नियोजन के नाम पर हालात बदतर होते जा रहे हैं। इसके बावजूद मनपा का नगर रचना विभाग नई इमारतों के निर्माण को इजाजत दे रहा है।
विकासक भी भविष्य में होने वाली समस्याओं को नजरअंदाज करके लोकलुभावन प्रचार द्वारा अपने प्रोजेक्ट को सबसे बेहतरीन बताकर जनता को आकर्षित कर रहे हैं। करोड़ों रुपए खर्च कर घर खरीदने के बाद खरीदारों को पता चलता है कि जो सुविधाएं और लग्जरी दिखाकर फ्लैट बेचे गए थे, वह सब झूठ था।
इसी तरह का मामला मीरा रोड स्थित जेके आइरिश सोसाइटी का है, जहां के रहिवासियों ने आरोप लगाया है कि बिल्डर ने उनके साथ धोखा किया है, जो सुविधाएं वादा की गई थीं, वह या तो हैं ही नहीं या फिर बहुत ही निम्न दर्जे की हैं। जेके आइरिश सोसाइटी के निवासी प्रदीप पांडे बताते हैं कि यह प्रोजेक्ट एक साल पहले बना था, लेकिन साल भर के भीतर ही घर की छत से पानी टपकने लगा और कॉम्प्लेक्स की दीवारों पर फफूंदी लग गई है। 24 घंटे पानी का वादा किया गया था, लेकिन कुछ मिनट ही पानी आता है, जिससे रहिवासी रोजमर्रा के कामों के लिए पानी की बूंद-बूंद को तरस रहे हैं। पहली बरसात में ही सोसाइटी का कॉम्प्लेक्स स्विमिंग पूल बन गया है और सोसाइटी के क्लब हाउस और स्विमिंग पूल की हालत बहुत खराब हो चुकी है।
बिल्डर से कई बार शिकायत करने के बावजूद कोई समाधान नहीं निकला। अब ऐसे हालात में जिन लोगों ने करोड़ों खर्च कर घर खरीदा है, उनका क्या होगा? यह एक विचारणीय प्रश्न है, जिसका उत्तर मनपा को आज नहीं तो कल खोजना ही होगा।
सामना समाधान
नई इमारतों के निर्माण के लिए कड़े नियम लागू किए जाएं और नियमित निरीक्षण किया जाए, ताकि गुणवत्ता सुनिश्चित हो सके। मनपा को पानी की आपूर्ति को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए, ताकि 24 घंटे पानी की सुविधा सुनिश्चित की जा सके और बिल्डरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए, जो गलत वादे करके फ्लैट बेचते हैं। इसके लिए मनपा स्तर पर एक ग्राहक संरक्षण तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए। लोगों को जागरूक किया जाए कि वे किसी भी प्रोजेक्ट में निवेश करने से पहले पूरी जांच-पड़ताल करें। रहिवासियों के लिए एक सामूहिक शिकायत मंच स्थापित किया जाए, जहां वे अपनी समस्याएं साझा कर सकें और समाधान की दिशा में काम किया जा सके। इन कदमों से न केवल मौजूदा समस्याओं का समाधान होगा, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति भी रोकी जा सकेगी।