राधेश्याम सिंह / नालासोपारा
नालासोपारा में 41 अवैध इमारतों पर हो रही तोड़क कार्रवाई के विरोध में बुधवार को लोग बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरने से तनाव पैदा हो गया था। स्थिति को काबू में करने के लिए अतिरिक्त पुलिस सहायता बुलाई गई। जिस कारण बुधवार को तोड़क कार्रवाई नहीं हो सकी। गौरतलब हो कि वसई-विरार महानगरपालिका नालासोपारा में 41 अवैध इमारतों के खिलाफ तोड़क कार्रवाई कर रही है। यह कार्रवाई 23 जनवरी से शुरू हुई है। अब तक महानगरपालिका ने 18 इमारतों को तोड़ दिया है। हमेशा की तरह बुधवार सुबह भी महानगरपालिका की टीम कार्रवाई के लिए गई थी। हालांकि, इमारतों में रहने वाले लोग सड़कों पर उतर आए और कार्रवाई का विरोध किया। निवासियों ने सड़क पर उतर करके कहा कि हमें पुनर्वासित करो या हम आत्मदाह कर लेंगे। इससे कुछ समय के लिए तनाव पैदा हो गया। स्थिति बिगड़ते देख अतिरिक्त पुलिस बल बुलाया गया। वालिव, तुलिंज, अचोला, विरार पुलिस स्टेशन के अधिकारी, जवानों की टुकड़ी के साथ मौके पर पहुंचे और सड़कें बंद कर दीं। इसके बाद हल्का पुलिस बल प्रयोग कर लोगों को तितर-बितर किया गया। किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए दंगा नियंत्रण दस्ते, महाराष्ट्र सुरक्षा बल के जवानों को तैनात किया गया। मनपा के अनाधिकृत निर्माण विरोधी दस्ते के प्रमुख डिप्टी कमिश्नर दीपक सावंत ने बताया कि अभी तक की गई कार्रवाई का कोई खास विरोध नहीं हुआ है। कुछ संगठनों ने गलत जानकारी देकर लोगों में भ्रम पैदा किया और वे सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करने लगे, लेकिन हमने बातचीत के जरिए लोगों को समझाने में कामयाबी हासिल की। लोगों को बताया गया है कि मकान के बदले मकान नहीं दिया जा सकता है, क्योंकि यह अनाधिकृत निर्माण है इसलिए ऐसा नहीं किया जा सकता। मनपा अधिकारी ने बताया कि यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर की जा रही है। महानगरपालिका ने मौके पर पैनल पर वकीलों को भी बुलाया था, ताकि उन्हें बताया जा सके कि यह प्रक्रिया कानूनी है। वहीं वहां पर रहने वाले नागरिकों ने कहा कि हम कहां जाएं? रहिवासियों का सवाल था कि हमें अपने मकान खाली करने को कहा जा रहा है, लेकिन दूसरी तरफ हम मकान किराए पर लेने के लिए 50 हजार रुपए की जमा राशि कहां से और कैसे लाएंगे? यह सवाल एक महिला ने पूछा। केंद्र सरकार कहती है कि मकान के बदले मकान दिया जाएगा, तो हमें दूसरा मकान दे दो, इस तरह की मांग महिला ने की। इतने सालों तक हमारे मकान अनाधिकृत नहीं थे। हमसे घर पट्टी लिया गया, वोट लिए गए, फिर अचानक हमारे मकान अनाधिकृत कैसे घोषित कर दिए गए? हम कहां जाकर रहें, इस तरह का सवाल वहां पर रहने वाली महिलाओं ने रोते हुए मनपा के अधिकारियों से पूछ रही थी।