कॉक्लियर इम्प्लांट्स से बदल रही हैं जिंदगियां
संदीप पांडेय / मुंबई
हर बच्चे का अधिकार है सुनना और बोलना। यह केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि दुनिया से जुड़ने का जरिया है। कहते हैं वरिष्ठ ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. संजय हेलाले, जिन्होंने श्रवण हानि से जूझ रहे बच्चों और वयस्कों के लिए एक अनूठी पहल को शुरू किया है। क्रिटिकेयर एशिया मल्टीस्पेशिएलिटी हॉस्पिटल, कुर्ला और नानावटी सुपरस्पेशिएलिटी हॉस्पिटल से जुड़े डॉ. हेलाले ने अपने कॉक्लियर इम्प्लांट प्रोग्राम के माध्यम से सैकड़ों परिवारों की जिंदगियां बदली हैं।
आधुनिक चिकित्सा का वरदान
भारत में हर १,००० में से लगभग ४ बच्चे गंभीर श्रवण हानि के साथ जन्म लेते हैं। इन बच्चों के लिए सुनने की क्षमता का न होना न केवल शारीरिक चुनौती है, बल्कि उनके भविष्य की संभावनाओं को भी सीमित कर देता है। कॉक्लियर इम्प्लांट्स आधुनिक चिकित्सा का वह चमत्कार है, जो श्रवण हानि से जूझ रहे बच्चों और वयस्कों के लिए आशा की किरण बन चुका है। पहले यह तकनीक केवल वयस्कों के लिए उपलब्ध थी, लेकिन अब यह बच्चों और बुजुर्गों के लिए भी उपयोगी साबित हो रही है।
गरीब बच्चों के लिए मुफ्त कॉक्लियर इम्प्लांट
डॉ. हेलाले ने श्रव्या कॉक्लियर इम्प्लांट प्रोग्राम के तहत ०-३ वर्ष के गरीब बच्चों को मुफ्त कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी प्रदान करने का बीड़ा उठाया है। इस कार्यक्रम का उद्घाटन स्वामी हरिचैतन्य पुरी जी महाराज ने किया था।
माता-पिता की कहानियों में झलकती उम्मीद
इस कार्यक्रम ने अब तक कई परिवारों की मदद की है। एक माता-पिता ने कहा, `हमारी बेटी सुनने की समस्या से जूझ रही थी। जब डॉक्टर ने कॉक्लियर इम्प्लांट की सलाह दी, तो खर्च उठाना हमारे बस की बात नहीं थी। लेकिन डॉ. हेलाले के प्रयासों से हमें मुफ्त सर्जरी की सुविधा मिली। सर्जरी और स्पीच थैरेपी के बाद हमारी बेटी ने सामान्य स्कूल में दाखिला लिया और शानदार प्रगति की।’
२८ वर्षों का अनुभव
डॉ. हेलाले को ईएनटी के क्षेत्र में २८ वर्षों का अनुभव है। उन्होंने कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी, हेड और नेक सर्जरी और वर्टिगो डिसऑर्डर के इलाज में विशेषज्ञता हासिल की है। इसके साथ ही राष्ट्रीय मूक-बधिर उन्मूलन कार्यक्रम में उनके योगदान के लिए उन्हें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सम्मानित किया है। डॉ. संजय हेलाले का यह कार्यक्रम श्रवण हानि से प्रभावित बच्चों और उनके परिवारों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आया है। कॉक्लियर इम्प्लांट्स के माध्यम से न केवल उनकी सुनने की क्षमता लौटाई जा रही है, बल्कि उन्हें समाज की मुख्यधारा में भी शामिल किया जा रहा है।,