सामना संवाददाता / मुंबई
२०२३ के राज्य स्कूल शिक्षा विभाग के सर्वेक्षण में पाया गया कि मुंबई, ठाणे, पालघर और रायगढ़ जिलों में १,५२८ छात्र स्कूल नहीं गए थे। स्कूल शिक्षा के उप निदेशक के कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार, कुल ९२८ छात्रों के साथ पालघर जिले में सबसे अधिक स्कूल न जाने वाले बच्चे हैं।’
राज्य की ‘घाती’ सरकार की लापरवाही का नतीजा है कि मुंबई व ठाणे के २० हजार छात्र शिक्षा से वंचित हो गए हैं। असल में आधार कार्ड की गड़बड़ियों के कारण ये स्कूली बच्चे निराधार हो गए हैं। हाल ही में यू-डीआईएसई प्लस के आंकड़ों के अनुसार, पिछले शैक्षणिक वर्ष के दौरान महाराष्ट्र में १,१९,००० छात्र ‘स्कूल से बाहर’ रहे हैं। इस डेटा में १,१८,९९७ छात्र स्कूल में नामांकित नहीं हैं।
जानकारों के अनुसार, ये आंकड़े चिंताजनक छवि पेश करते हैं। जबकि सरकार का दावा है कि वह हर बच्चे को शिक्षा की गारंटी देने के लिए प्रयास कर रही है। जानकार बताते हैं कि बच्चों के आधार कार्ड को यदि सरकार दुरुस्त करने में रुचि दिखाती तो यह नौबत नहीं आती और बच्चे शिक्षा से वंचित नहीं होते।
२०२३ के राज्य स्कूल शिक्षा विभाग के सर्वेक्षण में पाया गया कि मुंबई, ठाणे, पालघर और रायगढ़ जिलों में १,५२८ छात्र स्कूल नहीं गए थे। स्कूल शिक्षा के उप निदेशक के कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार, कुल ९२८ छात्रों के साथ पालघर जिले में सबसे अधिक स्कूल न जाने वाले बच्चे हैं। ठाणे जिला परिषद क्षेत्र दूसरे स्थान पर है, जहां ३८० छात्रों के स्कूल न जाने की रिपोर्ट दर्ज की गई। मुंबई और रायगढ़ जिला परिषद में क्रमश: कुल १८२ और ३८ छात्रों के स्कूल न जाने की रिपोर्ट दर्ज की गई। हालांकि, इस मामले में चिंतित शिक्षकों का कहना है कि इस बात की संभावना है कि स्कूल न जाने वाले छात्रों की संख्या कम बताई गई हो।
छात्रों के ‘आधार’ में गड़बड़ियां
देश में टॉप पुणे जिला!
आधार कार्ड में गड़बड़ियों के कारण काफी छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। ये छात्र शिक्षा से वंचित हो रहे हैं। इस कारण स्कूल में इनका एडमिशन नहीं हो सका। इनमें पुणे जिला टॉप पर है। वहां १९,३६३ बच्चों का स्कूल में एडमिशन नहीं हुआ। पुणे के बाद मुंबई उपनगरीय (१३,९४४ छात्र) और ठाणे (९,५३२ छात्र) का स्थान है।
इस बीच, पिछले शैक्षणिक वर्ष के दौरान २४५ छात्रों की मृत्यु के साथ, ठाणे जिले में राज्य में सबसे अधिक संख्या थी। २०२३ के राज्य स्कूल शिक्षा विभाग के सर्वेक्षण में पाया गया कि १७ अगस्त से ३१ अगस्त, २०२३ तक चला यह अभियान राज्य में प्रवासी, स्कूल न जाने वाले और नियमित न जाने वाले बच्चों का पता लगाने की कोशिश कर रहा था। अभियान के लक्षित छात्रों की आयु सीमा ३ से १८ वर्ष थी। इस मामले से जुड़े सूत्रों का कहना है कि स्कूल न जाने वाले विद्यार्थियों की संख्या में वृद्धि के लिए आधार कार्ड पंजीकरण में अंतर को जिम्मेदार ठहराया गया है। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि आधार सत्यापन प्रक्रिया के दौरान नाम परिवर्तन या जन्मतिथि में विसंगतियों जैसी समस्याओं के कारण ऐसी समस्याएं आ रही हैं। राज्य परियोजना समन्वयक और महाराष्ट्र प्राथमिक शिक्षा परिषद के निदेशक समीर सावंत के अनुसार, नामों का सत्यापन अभी भी जारी है। उन्होंने कहा कि शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए शिक्षकों और शिक्षा विभाग के प्रतिनिधियों द्वारा स्वतंत्र रूप से ये सत्यापन किए जा रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, छात्र पिछले दो सालों से आधार के लिए पंजीकरण करा रहे हैं।