सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई में छह हजार करोड़ रुपए के सड़क कंक्रीटीकरण घोटाले के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री व वर्तमान नगर विकास मंत्री एकनाथ शिंदे और मुंबई मनपा आयुक्त की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा जांच कराई जाए। इस संदर्भ में विधायकों की भी समिति बनाई जाए। इस तरह की मांग शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) विधानमंडल पक्ष के नेता आदित्य ठाकरे ने कल की।
विधानसभा में मुंबई की सड़कों के खराब गुणवत्ता वाले कामों के बारे में तारांकित प्रश्न पूछा गया था। उस समय हुई चर्चा में आदित्य ठाकरे सहित मुंबई के सभी दलों के विधायकों ने सरकार को घेर लिया। इसके बाद आदित्य ठाकरे ने विधान भवन परिसर में मीडिया से बातचीत की।
खोदकर रखा है मुंबई
आदित्य ठाकरे ने कहा कि सड़क कंक्रीटीकरण के नाम पर मुंबई को सिर्फ खोदकर रखा गया है। ठेकेदारों ने इसमें मलाई खाई है। मुंबईकरों को इसकी तकलीफ हो रही है। शिवसेना ने सबसे पहले यह सड़क घोटाला उजागर किया था। उस समय असंवैधानिक मुख्यमंत्री और उनकी टोली बौखला गई थी। उन्होंने अपने पसंदीदा ठेकेदारों को काम दिया था। आदित्य ठाकरे ने कहा कि अनुमानित लागत से अधिक कीमत पर उन्हें काम दिया गया था।
गड्ढामुक्त नहीं हुईं मुंबई की सड़कें
आदित्य ठाकरे ने कहा कि एडवांस मोबिलाइजेशन न दिए जाने की बात खुद मनपा आयुक्त ने कही थी, लेकिन आज मंत्री उदय सामंत ने इस प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि एडवांस मोबिलाइजेशन आंशिक रूप से दिया गया है, लेकिन वास्तव किसे, किसलिए और कितना दिया गया है, इसकी जानकारी मंत्री ने नहीं दी।
सड़कों के केवल छह प्रतिशत ही काम हुए पूरे
आदित्य ठाकरे ने कहा कि तत्कालीन असंवैधानिक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा था कि दो साल में सड़कों को गड्ढे से मुक्त कर देंगे। इसके लिए छह हजार अस्सी करोड़ रुपए के टेंडर दिए गए। मनपा आयुक्त ने हाल ही में जानकारी दी थी कि पिछले ढाई साल में उनमें से केवल २६ प्रतिशत काम ही पूरे हुए हैं, लेकिन हमारी जानकारी के अनुसार, केवल पांच-छह प्रतिशत काम ही हुआ है। आदित्य ठाकरे ने कहा कि बाकी का पैसा किसकी जेब में गया, इसका जवाब नगर विकास मंत्री को देना चाहिए।