बुलाकी शर्मा
राजस्थान
निखालिस लेखक अर अेक्टिव लेखक बिचाळै भोत फरक है। निखालिस लेखक मन सूं लिखै। साहित्य रा मठाधीशां कै सत्ता रा भोमियां री परवाह कोनी करै। मन कैवै जियां करै। आपरी कलम री ताकत माथै गुमैज करता इसा लेखक ओ बहम पाळ्यो राखै कै बांरी पैचाण आम जन सूं जुड़ियोड़ो बांरो सिरजण है।
अे निखालिस लेखक आपरी मार्केटिंग करण में साव कोरा हुवै। साहित्यिक जलसां अर कार्यक्रमां में ई इसा मनमौजी लेखक कमती जावै जणै बां नै मंच री सोभा बणन रो मौको ई भूलै-भटकै मिलै। लोकल अखबारां कै लोकल न्यूज पोर्टल में ई बांरो नांव कै फोटू छठै-छैमास ई छपै जदकै ठावी पत्र-पत्रिकावां में बे छपता रैवै। इनाम-इकराम में ई इसा साव शुद्ध लेखकां रो नांव निर्णायकां नै चेतै कमती ई रैवै।
पण अेक्टिव लेखक निखालिस लेखक रै उनमान ना मनमौजी हुवै अर ना आपरै सिरजण माथै पक्को भरोसो राखै। बे लिखण-पढ़ण में कम सूं कम बगत जाया करै अर साहित्यिक अेक्टिविटीज करता थकां सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, औद्योगिक आद क्षेत्रां री अेक्टिविटीज में ई लगोलग अेक्टिव रैयनै चर्चा में बण्यो रैवण रा चांस सोधता रैवै। चावा रेखाचित्रकार शिवराज छंगाणी जी रै चरित्र फिरचर काका कै उनमान भांत-भांत री अेक्टिविटीज में आठूं पहर फिरणो अर चर्चा में बण्यो रैवणो। फिरै जिको चरै। फिरै जिको ई चर्चा में रैवै।
गऊ शाळा में गायां नै गुड़ बांटण रो प्रोग्राम हुवो कै बरखा सारू इंद्रदेव नै राजी करण सारू राखीज्योड़ो सुंदरकांड पाठ कै किणी उद्योगपति रो अभिनंदन समारोह। अे अेक्टिव दीखसी। इसा लेखक ई सेठ-साहूकारां री निजर चढ़िया करै अर जद बे आपरै मां-बाप री स्मृति में कोई पुरस्कार सरू करै तद इसा लेखकां नै ई अर्पित करिया करै।
सगळां नै साथै लेय’र चालण में फायदो मानणिया अे लेखक मठाधीशां री हाजरी भरनै रिश्ता सांतरा बणाया राखण में पूरा अेक्टिव रैवै अर नवी पीढ़ी रा लेखक-कवियां री तारीफ करनै आपरा चहेता बणायोड़ा राखै ताकै जरूरत पड़ियां बां सूं किणी री कार सेवा कराई जा सकै।
अे लेखक आपरी वैचारिक प्रतिबद्धता बतावण सूं बचै। बचै कांई, हुवै तो बतावै। राजनीतिक मुद्दां माथै मून धारियोड़ी राखै। को नृप हो, हमें का हानि! सत्ता रो चैरो बदळतै ई आपरै चैरै ऊपरां बीं भांत रो मुखौटो लगावण में अेक्टिव। अेक्टिव लेखकां री स्वार्थबद्धता सूं निखालिस लेखकां री वैचारिक प्रतिबद्धता मात खावती रैवै अर आपरी अेक्टिंग रै सायरै अेक्टिव लेखक लाभ उठावता रैवै।