सामना संवाददाता / मुंबई
वसई से विरार तक रेलवे स्टेशनों के प्लेटफॉर्मों की हालत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। ट्रैक के किनारे फैले पत्थरों की संख्या ट्रैक से भी ज्यादा नजर आ रहा है यानी वसई-विरार स्टेशन पर रेलवे विभाग यात्रियों को सुविधा के नाम पर पत्थरों का अंबार दे रही है। यानी पत्थरों के बीच बैठने को यात्री मजबूर हैं।
बता दें कि वसई स्टेशन पर जहां रोजाना लगभग १,१५,५०३ यात्री यात्रा करते हैं, वहीं विरार स्टेशन पर यह संख्या २,४९,६१० के करीब है। नालासोपारा की बात करें तो यहां से प्रतिदिन लगभग १,८४,३१३ यात्री अपनी यात्रा शुरू करते हैं। इन सभी यात्रियों की समस्या यह है कि प्लेटफॉर्म पर बुनियादी सुविधाओं की घोर कमी है। एक अधिकारी ने बताया कि कुछ दिन पहले काम हुआ था। जिसकी वजह से वहां यह पत्थर पड़ा हुआ है।
विकास के नाम पर प्लेटफॉर्म डंपिंग ग्राउंड बन गए हैं, जहां यात्रियों को चलने-फिरने में दिक्कत होती है। पत्थरों के बीच से गुजरते यात्री अक्सर ठोकर खाते हैं, जिससे हमेशा दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है। इतना ही नहीं, प्लेटफॉर्मों पर साफ-सफाई की स्थिति भी बेहद खराब है। गंदगी और कूड़े के ढेर के बीच से यात्रियों को रोज गुजरना पड़ता है।
बता दें कि पश्चिम रेलवे से रोजाना करीब ३० लाख से ज्यादा यात्री यात्रा करते हैं और करीब १,४०६ लोकल सेवाओं का संचालन होता है। इतने बड़े पैमाने पर यात्री होने के बावजूद, प्लेटफार्मों पर सुविधाओं का घोर अभाव है। ऐसा प्रतीत होता है कि रेलवे प्रशासन ने अपनी आंखें बंद कर रखी हैं और यात्रियों की समस्याओं की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
रेलवे विभाग द्वारा विकास के नाम पर बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन हकीकत में यात्रियों को केवल परेशानियों से जूझना पड़ता है। रेलवे प्रशासन यात्रियों की परेशानियों को गंभीरता से लेते हुए इन स्टेशनों के प्लेटफार्मों पर यात्री सुविधाओं के सुधार के लिए ठोस कदम उठाए, वर्ना यात्रियों की नाराजगी बढ़ सकती है और उग्र रुप धारण कर सकती है।