संजय राऊत-कार्यकारी संपादक
वक्फ विधेयक के कारण भारत में धार्मिक ध्रुवीकरण हुआ। भाजपा इससे खुश हुई होगी। भाजपा का हिंदुत्व देश को बांटनेवाला है। धीरेंद्र शास्त्री जैसे बाबा लोग हिंदुत्व के ब्रैंड एम्बेसडर हैं। वे हिंदुओं के लिए अलग गांव बनाना चाहते हैं। ये विचार विश्व में हिंदू संस्कृति का सिर शर्म से झुकाने वाले हैं। यह बाबागीरी कहां तक जाएगी?
वक्फ विधेयक मंजूर होने पर प. बंगाल में दंगे भड़क उठे। बिहार में मुसलमान सड़कों पर उतर आए। यह सब भारतीय जनता पार्टी की इच्छा के अनुसार हो रहा है। इस विधेयक पर संसद के दोनों सदनों में लगभग २० घंटे बहस हुई। लेकिन ‘मणिपुर’ की स्थिति पर दोनों सदनों में एक घंटे भी चर्चा नहीं हो सकी। वक्फ विधेयक के कारण धार्मिक ध्रुवीकरण का मार्ग खुल गया। भाजपा इससे खुश होगी। यदि मणिपुर पर विस्तृत चर्चा हुई होती तो सरकार की किरकिरी हो जाती। इसलिए सभी को धार्मिक विषय में उलझाए रखा गया। भारत में हिंदू-मुस्लिम के बीच नफरत बढ़े और उसका रूपांतरण दंगों में हो, इसका प्रयास भाजपा ईमानदारी से कर रही है। ६ अप्रैल को मुंबई में रामनवमी की शोभायात्रा निकाली गई। यात्रा का स्वरूप हमेशा की तरह धार्मिक नहीं था। बल्कि इस बार कुछ स्थानों पर यह विकृत और वीभत्स था। मुंबई की सड़कों पर इन जुलूसों से अराजकता पैâली और भीड़ मुसलमानों के खिलाफ नारे लगाने लगी। यह वैâसी रामभक्ति है? यह भारतीय संविधान के विरुद्ध है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद २९ के अनुसार, धर्म को अपने पारलौकिक और आध्यात्मिक मामलों तक ही सीमित रखा जाना चाहिए तथा सांसारिक मामलों को राज्यों पर छोड़ दिया जाना चाहिए। ईश्वर और धर्म व्यक्तिगत होने चाहिए। भारतीय संविधान इसके लिए आवश्यक स्वतंत्रता प्रदान करता है। भारतीय संविधान किसी भी धर्म को ‘राष्ट्रवाद’ के रूप में मान्यता नहीं देता। लेकिन जो लोग भारतीय संविधान का हवाला देते हैं, उन्हें हिंदू विरोधी और राष्ट्र विरोधी करार दिया जा रहा है।
वास्तव में क्या जीता?
भारतीय जनता पार्टी धर्म को राजनीति और चुनावों में ले आई। भाजपा भारत में जो ‘हिंदू पाकिस्तान’ बनाना चाहती है, उसके ब्रैंड एम्बेसडर धीरेंद्र शास्त्री जैसे ‘बाबा’ लोग हैं। हिंदुओं के लिए अलग गांव बसाए जाने चाहिए और उनमें मुसलमानों और अन्य धर्मियों के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए, ऐसा भी ये बाबा कहते हैं। उसी धीरेंद्र शास्त्री के दर्शन के लिए देश के प्रधानमंत्री जाते हैं। वे इस बाबा को ‘छोटा भाई’ कहते हैं। मतलब ‘बाबा’ जो बोलते हैं, उसे प्रधानमंत्री की स्वीकृति प्राप्त है और ऐसे ‘बाबा’ ही भाजपा के हिंदुत्व का आदर्श हैं। नफरत और विभाजन के बीच हिंदुत्व वैâसे बढ़ेगा? क्या इससे देश बचेगा? ‘वक्फ’ जैसे विधेयक लाकर सत्ताधारी पार्टी ने नफरत और विभाजन के विचारों में और जहर घोल दिया है। इस विधेयक के पारित होने से भाजपा को ऐसा लगा कि उसने पाकिस्तान पर विजय प्राप्त कर ली है। भाजपा के लोग सड़कों पर उतर आए और नाचने लगे। यह मामला धर्म या धर्मनिरपेक्षता का नहीं बल्कि देश की एकता का है, यह विचार ही अब नष्ट हो चुका है। भाजपा ने ‘नफरत’ यानी विद्वेष फैलाने के लिए वक्फ का विधेयक लाया। उस विद्वेष के पक्ष में वोट करने वालों में बिहार के नीतीश कुमार, चिराग पासवान, जतिनराम मांझी, आंध्र के चंद्रबाबू नायडू, जयंत चौधरी शामिल थे। प्रधानमंत्री मोदी ने ओडिशा के बीजू जनता दल के नेता नवीन पटनायक को फोन किया और उनकी पार्टी के सात राज्यसभा सदस्यों को वक्फ विधेयक के पक्ष में राजी किया। फिर भी राज्यसभा में इसके पक्ष में १२८ और विपक्ष में ९५ वोट पड़े। लोकसभा में यह अंतर २८८ और २३२ का है। भाजपा के लिए इस विधेयक को पारित कराना आसान नहीं था। बहुमत २७३ का है और भाजपा को २८८ वोट मिले, इसका मतलब क्या है? यदि किसी आर्थिक, आम आदमी के जीवनसंदर्भ में मतदान हुआ होता तो भाजपा के लिए बहुमत के आंकड़े तक पहुंच पाना आसान नहीं होता।
मुस्लिम वोटों के लिए…
भाजपा मुस्लिम वोटों का एक बड़ा हिस्सा अपनी ओर मोड़ना चाहती है। यदि भाजपा २५ प्रतिशत मुस्लिम वोटों को सफलतापूर्वक भाजपा की ओर स्थानांतरित कर सके तो उसे विधानसभा और आम चुनावों में किसी क्षेत्रीय दल की आवश्यकता नहीं होगी। नीतीश कुमार, चंद्रबाबू नायडू, चिराग पासवान, जयंत चौधरी की पार्टियों को मुसलमानों के वोट मिल रहे थे। वक्फ बोर्ड विधेयक का समर्थन करने से इन सबको अब एकजुट मुस्लिम वोट नहीं मिलेंगे। इसका असर उन क्षेत्रीय पार्टियों पर पड़ेगा। भाजपा उन राज्यों में इसका फायदा उठाएगी। यही कारण है कि वक्फ बिल के मौके पर भाजपा ने गरीब मुसलमानों का ‘पक्ष’ लिया। इससे भाजपा से जुड़े क्षेत्रीय दलों को नुकसान होगा। आगामी विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की राजनीति का अंत हो जाएगा। बिहार में भाजपा को उनका पहला मुख्यमंत्री बनाना है। नीतीश कुमार का कांटा भाजपा ने करीब-करीब निकाल दिया है। पिछड़े, अति पिछड़े और मुसलमान वोटों के बल पर नीतीश कुमार बिहार में टिके थे, वह नींव ही भाजपा के जहरीले मुस्लिम द्वेष से नष्ट हो गई। बिहार से नीतीश जाएंगे और प. बंगाल में ममता कायम रहेंगी, यह तस्वीर वक्फ बिल ने अब साफ कर दी है। प. बंगाल में चाहे जितने भी दंगे हो जाएं, हिंदू मतदाता बड़े पैमाने पर ममता बनर्जी के साथ हैं और अब ‘वक्फ’ मामले के बाद यह स्पष्ट है कि मुसलमान ममता के साथ एकजुट होकर रहेंगे। भाजपा नफरत बोना चाहती है और उससे नफरत ही पैदा करना चाहती है। हर राज्य का गणित अलग है। वक्फ के कारण ‘शाहबानो’ जैसी स्थिति निर्माण होगी और पूरे देश में अराजकता पैâलेगी, भाजपा का यह सपना पूरा नहीं हुआ है। फिर भी द्वेष में तेल डाला गया है ये पक्का है। रामनवमी की शोभायात्रा में मुसलमानों के नाम से गड़बड़ी करने पर भी मुसलमानों ने इसका विरोध नहीं किया। भारत में सहजीवन के अलावा कोई विकल्प नहीं है, ये हिंदू, मुसलमानों सहित सभी धर्मों के लोगों को समझना चाहिए! अन्यथा भाजपा को जो संहार चाहिए, उसकी मानसिक तैयारी रखनी होगी।
उनका अलग राष्ट्र
धीरेंद्र शास्त्री जैसे भाजपा प्रचारक हिंदुओं के लिए अलग गांव की वकालत करते हैं। इसमें धार्मिक सहजीवन के लिए कोई स्थान नहीं है। फिर देश के २० करोड़ मुसलमानों के लिए भारत के अंदर एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाने की मूर्खता ये बाबा लोग करेंगे क्या? उनका हिंदुत्व भारत को नष्ट करनेवाला है। पिछले १५० वर्षों में दुनिया की आधी आबादी यानी डेढ़ सौ करोड़ लोग केवल धर्म, वंश और जाति के नाम पर मारे जा चुके हैं। हिटलर ने १९३३ से १९४५ तक इन बारह वर्षों में साठ लाख यहूदियों की हत्या कर दी इसीलिए इजरायल राष्ट्र का निर्माण हुआ और फिलिस्तीन जैसे स्थापित राष्ट्र को नष्ट कर यहूदियों के येरुशलम का निर्माण किया गया। अब इजरायल ने शेष बचे फिलिस्तीनियों का क्रूरतापूर्वक सफाया कर दिया है तथा लाखों अरब और मुसलमानों को मार डाला है। यह नरसंहार धर्म के नाम पर हुआ। भारत में भी कुछ लोग यह नरसंहार चाहते हैं। इसके बिना उनकी राजनीति सफल नहीं होगी। भारत में एक समय राष्ट्रीय प्रवाह था। आज वह मैला हो गया है। भारत के संसद में वक्फ बिल पारित होने को लेकर उथल-पुथल मची हुई थी, तभी पड़ोसी देश चीन ने अंतरिक्ष में पांच नए उपग्रह प्रक्षेपित कर दिए। उसी रात को उड़ने वाली टैक्सी को मंजूरी देकर विकास और प्रौद्योगिकी में एक नया इतिहास रच दिया। भारत की बाबा मंडली हिंदुओं का गांव बसाना चाहती है।
भारत में बाबागीरी कहां तक जाएगी?