मुख्यपृष्ठनए समाचाररोखठोक : चुनाव का खेल,  किसके हाथ में?

रोखठोक : चुनाव का खेल,  किसके हाथ में?

संजय राऊत

महाराष्ट्र के चुनाव की कमान गुजरात के हाथ में चली गई है। ऐसा पहली बार हुआ है। मतदाता सूची में गड़बड़ी, पैसों का खेल, सांप्रदायिक दंगे इन खेलों में गुजरात पारंगत है और यह खेल अमित शाह जरूर खेलेंगे। क्या ऐसा होने दिया जाए?

महाराष्ट्र विधानसभा के चुनावों में क्या होगा ये जनता तय करेगी, लेकिन जनता का रुझान स्पष्ट है। राज्य में परिवर्तन होगा और महाविकास आघाड़ी की सरकार सत्ता में आएगी, ऐसा वातावरण है। गद्दारी, बेईमानी की अग्नि से अस्तित्व में आई मिंधे-फडणवीस की सरकार को स्वयं के और महाराष्ट्र की अस्मिता के सिर पर हाथ रखकर दहन करनेवाले भस्मासुर की तरह दहन होते हुए मैं स्वयं देख रहा हूं। अमित शाह ने फडणवीस को आश्वासन दिया है, ‘अगले मुख्यमंत्री आप ही होंगे।’ यदि फडणवीस मुख्यमंत्री पद का चेहरा होंगे तो फिर भाजपा की संपूर्ण पराजय अभी से तय है। नतीजा जब आएगा, तब आएगा। भाजपा ने अपनी चिता पहले ही सोनापुर में सजा रखी है, ऐसा कहने में कोई हर्ज नहीं है। इसका मतलब एकनाथ शिंदे का अवतारकार्य अमित शाह ने ही खत्म कर दिया। इफरात पैसे और गुवाहाटी में भैंसों की बलि भी उन्हें नहीं बचा पाएगी। यह लेख लिखते समय खबर आई कि फडणवीस को मुख्यमंत्री पद का आश्वासन मिलते ही मुख्यमंत्री शिंदे कामाख्या देवी का दर्शन करने गुवाहाटी चले गए और मंदिर के पीछे से भैंसों की करुण पुकार महाराष्ट्र तक पहुंच गई! फुले, आंबेडकर, प्रबोधनकार ठाकरे ने अंधविश्वास के खिलाफ लड़ाई लड़ी। हिंदूहृदयसम्राट बालासाहेब ठाकरे ने अंधविश्वास को कभी बढ़ावा नहीं दिया, लेकिन उनके नाम से बाजार लगानेवालों ने ठाकरे की सरकार को खत्म करने के लिए भैंसे काटे, पर अमित शाह ने चुनाव के बाद उन्हीं के द्वारा बनाए गए महाराष्ट्र के भैंसों की बलि लेने की ठान ली है।
पैसे किसके?
पुणे के खेड़-शिवापुर टोलनाके पर पैसों से ठसाठस भरी हुई दो कारें पकड़ी गर्इं। इन कारों में २२ करोड़ रुपए वैâश थे, लेकिन आखिरकार पुलिस ने ५ करोड़ रुपए ही बरामद होने की घोषणा की। ये कारें शिंदे गुट के सांगोला से विधायक शाहजी पाटील से संबंधित थीं। कार में सवार लोग भी उनके ही थे। वे फरार हो गए और २२ करोड़ में से ५ करोड़ रुपए जब्त किए, ऐसा दिखाकर पुलिस ने खुद की पीठ थपथपाई। पुलिस यह बताने को तैयार नहीं है कि पैसों का माई-बाप कौन है, लेकिन राज्य के चुनाव में इस बार भी पुन: जमकर पैसा बहाया जाएगा, जनता ने यह बात समझ ली है। भ्रष्ट तरीकों से सत्ता में आए व्यक्ति और राजनीतिक दलों से कोई खास उम्मीद नहीं की जा सकती, ये साफ है।
बोगस मतदाता
महाराष्ट्र में चुनाव साम, दाम, दंड, भेद इन तरीकों से ही लड़ा जाएगा। आखिर दिल्ली के हुक्मरान मुंबई की सोने के अंडे देनेवाली मुर्गी अपने हाथ में चाहते हैं। इसके लिए वे कुछ भी करने को तैयार हैं। महाराष्ट्र के चुनाव में भाजपा क्या कर रही है? मतदाता सूचियों में घुसकर लाखों ‘बोगस’ मतदाताओं के नाम उनकी ‘आईटी’ फौज ने घुसा दिए। जो महाविकास आघाड़ी को मतदान कर सकते हैं, ऐसे नामों को ढूंढ़ना और उन्हें सूची से रद्द कर देना, यही एकसूत्री कार्यक्रम भाजपा ने चलाया है। इसके लिए लोकसभा में हुए मतदान का सहारा लिया गया। जिन क्षेत्रों में महाविकास आघाड़ी के उम्मीदवारों को वोट मिले थे, उसकी जांच करके प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से कम से कम १०,००० मतदाताओं का नाम हटाना और उनके स्थान पर फर्जी आधार कार्ड के सहारे उतने ही नाम घुसाना, यही राष्ट्रीय प्रकल्प महाराष्ट्र और झारखंड में भाजपा चला रही है। इस प्रकल्प से उन्होंने शिंदे और अजीत पवार गुट के लिए छोड़े गए निर्वाचन क्षेत्रों को परे रखा। इसका अर्थ यह है कि भ्रष्ट मार्ग पर चलते हुए भी अपने साथियों से दगाबाजी करने की उनकी नीति बंद नहीं हुई है। मतदाता सूची में घोटाला करने पर ‘ईवीएम’ में छेड़छाड़ करने की जरूरत नहीं होगी, यही उनकी नीति दिखाई देती है। भाजपा कभी भी सीधे मार्ग से नहीं जीतती। शिंदे-पवार अब अमित शाह की ‘गुड बुक’ में नहीं हैं। उनकी जरूरत खत्म हो गई है। सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग की मदद से शिंदे की सरकार ढाई साल तक चलाई गई। लेकिन अब मतदाता सूची के माध्यम से यह हटाई जाएगी, यह तय है।
शाह के हाथ का खेल
मतदाता सूचियों को शुद्ध करने का अभियान गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा चलाया जाना चाहिए। सिविल सोसायटी को यह कार्य करना चाहिए। अन्यथा चुनाव अमित शाह के हाथ का खेल बन जाएगा। भाजपा महाराष्ट्र में हिंदुओं को भड़काएगी और मुसलमानों को आग भड़काने के लिए उकसाएगी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पहले ही महाराष्ट्र में दंगे भड़काने का विशेष काम सौंपा गया है। भाजपा के पिट्ठुओं और योगी के चमचों ने पूरी मुंबई में योगी की तस्वीर वाले पोस्टर लगाए हैं। जिसका शीर्षक है, ‘बटेंगे तो कटेंगे!’ इसका क्या मतलब है? हिंदू एकजुट होकर भाजपा को वोट दें, नहीं तो मुसलमान तुम्हें काट डालेंगे! इस काटाकाटी की चेतावनी भरी भड़काऊ भाषा का कोई भी असर लोकसभा चुनाव में नहीं पड़ा। योगी के भाषण भी फुस्स होनेवाले पटाखे ही निकले। लोकसभा चुनाव में योगी महाराष्ट्र में जहां-जहां गए, वहां-वहां भाजपा की हार हुई। विधानसभा चुनाव में उत्तर की सेनाएं मुंबई आएंगी। गुजरात की सेनाएं दो महीने पहले ही महाराष्ट्र के विधानसभा क्षेत्र में प्रवेश कर चुकी हैं। वे महाराष्ट्र पर कब्जा करना चाहते हैं। टिड्डियों की तरह वे घुस आए हैं। इस संकट को दूर करना होगा।
आज की तस्वीर
महाराष्ट्र के चुनाव में आज की तस्वीर कैसी नजर आती है?
– राजनेता अपनी विश्वसनीयता खोते जा रहे हैं।
– भ्रष्टाचार से प्राप्त पैसा इस चुनाव में बहाया जाएगा।
– महाराष्ट्र के चुनाव की कमान गुजरात के हाथ में चली गई है। ऐसा कभी नहीं हुआ था।
– महाराष्ट्र की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है, लेकिन इसे लेकर वैसा रोष नजर नहीं आता।
– महायुति के प्रमुख नेताओं में ‘लाडली बहन’ योजना का श्रेय लूटने की होड़ लगी है, लेकिन महज १,५०० रुपए महीने के भाव में बहनों का वोट मिलेगा, यह भ्रम टूट जाएगा। लाडली बहनों का लाडला भाई कौन है? शिंदे, फडणवीस या अजीत पवार? लोग इसका मजाक उड़ा रहे हैं।
– भाजपा के लोग शिंदे गुट के उम्मीदवारों को पटखनी देंगे।
-महाराष्ट्र में मोदी-शाह विशेष ध्यान देंगे। महाराष्ट्र में हार हुई तो दिल्ली में कुबड़ी सरकार गिर सकती है।
– हरियाणा की तरह महाराष्ट्र में भी निर्दलीय और छोटे दलों के उम्मीदवारों को शिंदे-फडणवीस रसद मुहैया कराएंगे।
– प्रचार में जनता के असली सवाल दूर रखे जाएंगे।
– शिंदे और अजीत पवार का राजनीतिक अस्तित्व २३ नवंबर के बाद खत्म हो जाएगा।
महाराष्ट्र में एक अत्यंत भ्रष्ट सरकार सत्ता में है और भ्रष्ट तरीकों से सत्ता बनाए रखने का प्रयास कर रही है।
ऐसा होने न पाए।

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