संजय राऊत-कार्यकारी संपादक
प्रधानमंत्री मोदी को लोकतंत्र से कोई लेना-देना नहीं है। लोकतंत्र के सीने पर पैर रखकर उन्होंने चुनाव को ही हाईजैक करने का फैसला किया। सूरत और इंदौर में कांग्रेस उम्मीदवार को अपात्र करके भाजपा ने अपने उम्मीदवार को विजयी घोषित करवा लिया। यह लोकतंत्र का खुलेआम गला घोंटने जैसा ही है!
प्रधानमंत्री मोदी और उनके लोगों को देश का लोकसभा चुनाव ‘हाईजैक’ करना है। सूरत में लोकसभा चुनाव भाजपा ने निर्विरोध जीत लिया। कांग्रेस उम्मीदवार के आवेदन को खारिज कर दिया। बाकी उम्मीदवारों को पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा और जिला कलेक्टर ने भाजपा उम्मीदवार को विजेता घोषित कर दिया। सूरत की ही पुनरावृत्ति मध्य प्रदेश के इंदौर में हुई। कांग्रेस उम्मीदवार का आवेदन मैदान में न हो, इस बात का ख्याल भाजपा के नेतृत्व वाले प्रशासन ने रखा। बाकियों से अपनी उम्मीदवारी वापस करवाकर इंदौर में भी भाजपा उम्मीदवार को विजेता घोषित किया। भाजपा नेता सीना ठोककर खुलेआम कहते हैं कि भविष्य में कई निर्वाचन क्षेत्रों में ऐसा ही होगा। इसका मतलब यह है कि भाजपा चुनाव में वोटिंग कराए बिना ही चुनाव पर कब्जा करना चाहती है। चुनाव मैदान में उतरकर, लड़कर जीत हासिल करने की भाजपा की उम्मीद खत्म हो चुकी है। वे पैसे और आतंक का इस्तेमाल कर उम्मीदवारों को जिताना चाहते हैं। संसद से एक झटके में १५० विपक्षी सांसदों को निलंबित करनेवाली सरकार किसी भी स्तर तक जा सकती है। तस्वीर तो यही दर्शाती है।
अशोभनीय भाषा
प्रधानमंत्री पद को शोभा न देनेवाले बयान मोदी रोज दे रहे हैं। कांग्रेसमुक्त भारत उनका २०१४ से सपना है, लेकिन कांग्रेस उनकी गर्दन पर बैठी है और मोदी-शाह को हर दिन उठकर कांग्रेस पर हमला करना पड़ रहा है। कांग्रेस हर दिन मजबूत हो रही है और उसी डर से मोदी कांग्रेस पर फिसलकर आ जाते हैं। जनता पार्टी के दौर में जॉर्ज फर्नांडिस भी रोज बोलते थे कि कांग्रेस की आर्थिक नीति के कारण देश का विकास नहीं हुआ, लेकिन उनकी सरकार के दौरान विकास बाधित हुआ और जनता पार्टी की कांग्रेस विरोधी सरकार दो साल भी नहीं टिक पाई। गुजरात के मोरारजी देसाई उस समय प्रधानमंत्री थे। उसी गुजरात के मोदी दस साल से प्रधानमंत्री हैं। मोदी के कार्यकाल में महंगाई से लेकर बेरोजगारी तक बढ़ी। मोदी ने अपने उद्योगपति मित्रों का २८ लाख करोड़ का कर्ज माफ कर दिया, लेकिन किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय नहीं कर पाए। कोविड के दौरान वैक्सीन सर्टिफिकेट पर मोदी ने खुद की फोटो छपवाकर प्रचार किया, लेकिन उस कोविशील्ड वैक्सीन के कारण ही करोड़ों लोगों की जान गई, ऐसा चौंकाने वाला खुलासा वैक्सीन बनाने वाली कंपनी ने किया है। यानी पहले कोविड ने बलि ली और फिर बीमारी से भयानक इलाज को लोगों के माथे मढ़कर प्रधानमंत्री ने मौत का कारखाना खोला और हर ‘डेथ वॉरंट’ पर बेशर्मी से खुद की फोटो छाप दी। क्या इसी को विकास माना जाए? मोदी ने पिछले दस वर्षों में देश और जनता को धोखा दिया है और तीसरी बार सत्ता में आने के लिए भी वे धोखा ही दे रहे हैं। मोदी विसंगति के हायब्रिड बीज हैं, उनके चेहरे पर मुखौटे हैं। उन्होंने भ्रष्टाचार मुक्ति से लेकर आर्थिक स्थिरता के स्वप्न दिखाए। इसमें से कुछ भी सच नहीं निकला। भ्रष्टाचार के कीचड़ में पुराने सूअरों के साथ उनके रम जाने की तस्वीर चौंकाने वाली है। मोदी को किसी भी तरह से सत्ता बनाए रखनी है और इसके लिए वे महिलाओं पर अत्याचार करने वाले भयानक बलात्कारियों को भी अपने साथ लेने को तैयार हैं। कर्नाटक में उन्होंने प्रज्वल रेवन्ना जैसे उम्मीदवार के लिए वोट मांगा। रेवन्ना पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा के पौत्र हैं। इस रेवन्ना ने पिछले कुछ वर्षों में सैकड़ों महिलाओं के साथ बलात्कार किया, अत्याचार किया, जिसके वीडियो अब सामने आए हैं।
भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय पदाधिकारियों ने प्रज्वल रेवन्ना के लिए प्रचार करने से इनकार कर दिया। ऐसे उम्मीदवार का प्रचार कैसे करें? उनका यह सवाल था, लेकिन प्रज्वल रेवन्ना मोदी परिवार का हिस्सा बन गए और प्रधानमंत्री मोदी खुद प्रज्वल के प्रचार में उतर गए। भरी सभा में मोदी ने प्रज्वल की पीठ थपथपाकर उसके बलात्कारी कृत्य को मानो राष्ट्रीय आशीर्वाद दे दिया। आज मोदी के यही प्रिय प्रज्वल रेवन्ना जर्मनी भाग गए। मोदी को लोकतंत्र हाईजैक करना है, पर उन्हें गुंडे, बलात्कारी, भ्रष्टाचारियों से भी परहेज नहीं है। अगर प्रज्वल और उनकी पार्टी कांग्रेस के साथ होती तो मोदी और उनके लोगों की भूमिका अलग होती।
बंटवारे से भी भयावह
जो लोग अभी भी भारत के विभाजन का शोक मना रहे हैं, उन्हें ध्यान देना चाहिए कि मोदी काल में चीन ने ४० हजार वर्ग किलोमीटर भूमि पर कब्जा कर लिया है और मोदी इस पर बोलने को तैयार नहीं हैं। मोदी ने महिलाओं को ‘लखपति दीदी’ बनाने का सपना दिखाया, लेकिन ४०० रुपए का गैस सिलेंडर १,३०० रुपए हो गया है, उस पर वे बोल नहीं रहे हैं। पंडित नेहरू के कार्यकाल को जिसने भी देखा, वे आज भी कहते हैं कि देश नेहरू के व्यक्तित्व और नीतियों से प्रभावित था। नेहरू और उनके सहयोगियों ने लोकतांत्रिक मूल्यों और विपक्ष का सम्मान किया। उन्होंने देश को झूठे सपने नहीं दिखाए और लोगों को बंदर बनाकर अपने पीछे नहीं नचाया। नेहरू ने बंदरों को इंसान बनाया। मोदी युग में उन्हीं लोगों को फिर से बंदर बनाया और देश को पाषाण युग में पहुंचा दिया गया। कमाल पाशा ने तुर्किस्तान को इस्लामी कट्टरता के चंगुल से मुक्त कराया और एक आधुनिक, वैज्ञानिक तुर्किस्तान का निर्माण किया। अमेरिका और यूरोप को आश्चर्यचकित करने वाला तुर्किस्तान अब सड़े-गले विचारों, धर्मांध नेताओं के हाथ चला गया और आधुनिकता के सारे स्तंभ टूटकर तुर्किस्तान का फिर से वही मिट्टी का ढेर बन गया। भारत से उसी आधुनिकता और वैज्ञानिकता का ह्रास कर मोदी देश को बुरे मार्ग पर ले जा रहे हैं।
क्या हम ऐसा हो जाने दें? यह अंतत: मतदाताओं को निर्णय लेना है।
लोकतंत्र में चुनाव को ‘हाईजैक’ करने वालों के हाथ में देश अब नहीं रहना चाहिए।