संजय राऊत-कार्यकारी संपादक
मुंबई को अडानी पूरी तरह से निगलना चाहते हैं। फडणवीस-एकनाथ शिंदे ये सब अडानी के लोग हैं। अडानी मोदी की दौलत के संरक्षक हैं। यह फॉर्मूला महाराष्ट्र को विनाश की ओर ले जा रहा है। यह चुनाव महाराष्ट्र के अस्तित्व के साथ ही स्वाभिमान का भी है। अडानी को पराजित करना ही महाराष्ट्र के हित में है। नहीं तो शहीद स्मारक की जमीन पर भी अडानी का टॉवर खड़ा होगा!
महाराष्ट्र चुनावों के लिए तैयार हो गया है। इस लेख को लिखते समय शिंदे गुट के दिल्ली के नेता अमित शाह ने महाराष्ट्र में आकर घोषणा की कि आज का चुनाव हम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में लड़ रहे हैं, लेकिन नतीजों के बाद हम साथ बैठकर तय करेंगे कि नेता कौन होगा। मतलब साफ है कि शिंदे का कार्यकाल अमित शाह ने खत्म कर दिया है। अमित शाह अब फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं, लेकिन महाराष्ट्र की जनता फडणवीस की परछार्इं तक स्वीकार करने को तैयार नहीं है। गृहमंत्री फडणवीस के तीन वर्षों के दौरान भ्रष्टाचार और अपराधीकरण व्यापक रूप से बढ़ा। मुख्यमंत्री शिंदे और उनके लोग आपराधिक गिरोहों का इस्तेमाल राजनीति के लिए कर रहे हैं। बाबा सिद्दीकी जैसे नेता की हत्या कर दी गई और अपराधी उन तक न पहुंच जाएं, इस डर से गृहमंत्री ने अपनी सुरक्षा बढ़ा दी। उन्होंने अपने घर के चारों ओर आतंकवादियों से लड़ने के लिए बनाई गई एक विशेष सशस्त्र टीम फोर्स वन के गार्ड तैनात कर दिए। आम आदमी हवा में और गृहमंत्री सुरक्षा के विशेष घेरे में। ऐन चुनाव में महाराष्ट्र के गृहमंत्री को किससे खतरा है, यह राज्य की जनता को पता होना चाहिए। नागपुर में फडणवीस ने एक मजेदार बयान दिया। ‘मैं पच्चीस साल से मुंबई में रह रहा हूं, लेकिन मेरा अपना घर मुंबई शहर में नहीं है।’ फडणवीस जैसे बड़े नेता अपने नाम पर संपत्ति नहीं बनाते। मुंबई के सारे बिल्डर किसके हैं? भाजपा को ये बताना चाहिए। सत्यपाल मलिक ने खुलासा किया कि अडानी की सारी संपत्ति नरेंद्र मोदी की है। मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष अमोल काले का निधन हो गया। काले का मुंबई क्रिकेट से न तो कोई संबंध था और न ही कोई योगदान। फिर भी फडणवीस ने पूरी ताकत झोंककर काले को मुंबई बोर्ड का अध्यक्ष बनाया। काले की मौत के बाद उनकी संपत्ति और निवेश को लेकर कई चर्चाएं और नाम सामने आए, इनमें एक नाम श्री. फडणवीस का भी था। आज एकनाथ शिंदे के पास ‘वर्षा’ समेत तीन सरकारी बंगले हैं। ‘नंदनवन’ बंगला उन्होंने नहीं छोड़ा। फडणवीस के पास ‘सागर’ और एक अन्य सरकारी बंगला है। लोढ़ा, अडानी, आशर जैसे कई बिल्डरों पर उनकी कृपादृष्टि है। तो फिर फडणवीस को अलग घर की जरूरत क्यों है? महत्वपूर्ण बात यह है कि इन सभी बिल्डरों की वजह से महाराष्ट्र के लोगों को घर नहीं मिल पा रहे हैं। उनके रखवाले फडणवीस और उनके लोग हैं। फडणवीस ही राज्य के मुख्यमंत्री बनें, ऐसी इच्छा राज ठाकरे ने जताई है। ये खतरे की घंटी है।
ये स्टार प्रचारक!
अमित शाह और नरेंद्र मोदी ही भाजपा के ‘स्टार प्रचारक’ हैं और वही महाराष्ट्र में भाजपा की नैया डुबाते नजर आ रहे हैं। महाराष्ट्र चुनाव में वो कश्मीर की धारा ३७० लेकर आए। शाह का कहना है कि उद्धव ठाकरे धारा ३७० हटाने का विरोध करने वाले लोगों के पक्ष में बैठे हैं। कश्मीर से अनुच्छेद ३७० हटाकर गृहमंत्री शाह ने कौन-सा उजाला कर दिया? यह मेरा उनसे सवाल है। शाह लगातार आठ दिनों से महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार कर रहे हैं। इस दौरान जम्मू-कश्मीर में आतंकियों ने १३ हमले किए, जिनमें ९ जवान शहीद हो गए और आम नागरिक भी मारे गए।
पुलवामा में शहीद हुए ४० जवानों की ‘आत्माएं’ अब भी कश्मीर में ‘बेचैन’ हैं। ‘उद्धव ठाकरे कांग्रेस के साथ हैं। उन्हें कांग्रेस से वीर सावरकर और बालासाहेब ठाकरे के बारे में चार अच्छे शब्द बोलने का आग्रह करें, ऐसा भी शाह ने कहा।’ श्री. शाह प्रचार में ये सब क्यों बोलते हैं? महंगाई, स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला सुरक्षा इस पर अमित शाह ने अपनी राय नहीं रखी। यह कांग्रेस या गांधी-नेहरू नहीं थे, जिन्होंने महाराष्ट्र के उद्योगों और रोजगार को गुजरात ले जाकर मराठी युवाओं को नुकसान पहुंचाया। बालासाहेब ठाकरे का अमित शाह को अनायास खयाल आ गया, लेकिन मराठी लोगों का संगठन शिवसेनाप्रमुख ने खड़ा किया, जिसे उसी शाह ने पैसे, पुलिस और ईडी के आतंक से तोड़ दिया। वही शाह आज कांग्रेसियों को बालासाहेब ठाकरे के बारे में बात करने का ज्ञान देते हैं। इस चुनाव प्रचार में महाराष्ट्र में ये ड्रामा देखने को मिला। वीर सावरकर विधानसभा प्रचार का विषय नहीं हैं, लेकिन शाह उन्हें प्रचार में लाए। सावरकर को ‘भारत रत्न’ देने की मांग शिवसेना की ही है, इसे वे भूल गए हैं।
अडानी ज्वलंत विषय
मोदी-शाह-फडणवीस और गौतम अडानी इस चुनाव का ज्वलंत विषय है। अगर महाराष्ट्र की अस्मिता को बचाना है तो ये राज्य मोदी-शाह-फडणवीस के हाथ में नहीं जाना चाहिए। मुंबई की सभी मौके की जमीनें अडानी को दे दी गर्इं। मिठागर, जकात नाके जैसी जगहों पर अडानी ने अभी से खूंटा गाड़ दिया है। नई मुंबई में सातारा-पाटण वासियों के सम्मेलन में जाना हुआ। वहां के निवासियों ने बताया, ‘अडानी अब सातारा में भी घुस चुके हैं।’ महाराष्ट्र सरकार अडानी पर खास मेहरबानी दिखा रही है, क्योंकि अडानी के पास मोदी की संपत्ति है। लेकिन महाराष्ट्र मोदी-शाह की संपत्ति नहीं है। अडानी का कारोबार बांग्लादेश, पाकिस्तान समेत कई इस्लामिक देशों तक फैला है और इसीलिए इन लोगों का ‘हिंदुत्व’ खतरे में नहीं आया है। जब ठाकरे मुख्यमंत्री थे, तब फडणवीस-शिंदे और अन्य लोगों ने नवाब मलिक और दाऊद के संबंधों का एक मामला खोद निकाला था। नवाब मलिक से इस्तीफा लो नहीं तो ये सरकार दाऊद समर्पित है ऐसा हम मान लेंगे, ऐसा हल्ला फडणवीस मचाते रहे। एकनाथ शिंदे ने तब कहा था कि वह नवाब मलिक से सटकर नहीं बैठना चाहते थे, इसलिए सरकार गिराई और सूरत भाग गए। आज वही दाऊद समर्पित मलिक महायुति में हैं और विधानसभा के उम्मीदवार भी बन गए हैं। फडणवीस और शिंदे का ढोंग इससे बेनकाब हो गया है। महाराष्ट्र में ढाई साल से गुंडों और भ्रष्टाचारियों का राज चल रहा है। शिंदे और अजीत पवार गुट के उम्मीदवारों को चुनाव खर्च के लिए २५-३० करोड़ रुपए आसानी से पहुंच गए और चुनाव आयोग का निरीक्षण दल उद्धव ठाकरे का हेलिकॉप्टर रोककर उनके बैग की तलाशी लेता रहा। हमने पिछले ढाई-तीन वर्षों में राज्य की प्रतिष्ठा का अध:पतन होते हुए खुली आंखों से देखा है। यह कलंक जो महाराष्ट्र पर लगा, उसे २० तारीख के चुनाव में मिटाना ही होगा। आर्थिक संकट से जूझ रहे महाराष्ट्र की तस्वीर बदलनी होगी और धोखे की राजनीति अब नहीं चलेगी, ऐसा फैसला जनता को करना ही होगा।
प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री शाह इस समय महाराष्ट्र में डेरा डाले हुए हैं। महाराष्ट्र में प्रचार खत्म होते ही मोदी ब्राजील के लिए रवाना हो जाएंगे। क्या ब्राजील में उनके साथ गौतम अडानी रहेंगे? क्योंकि मोदी विदेश में जहां भी जाते हैं, वहां अडानी पहुंच जाते हैं और उसके बाद अडानी की कंपनी को उस देश में बड़ा ठेका मिल जाता है। महाराष्ट्र के चुनाव में भाजपा-शिंदे-अजीत पवार जमकर पैसा बरसा रहे हैं। इतना सारा पैसा कहां से आता है? ये अब रहस्य नहीं रहा। अजीत पवार ने ही अब यह खुलासा किया है कि महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी सरकार को गिराने के लिए बैठकें गौतम अडानी के घर पर हुई थीं और अडानी खुद उन बैठकों में मौजूद रहते थे। भले ही उन्होंने बाद में बातें घुमा दी हों, लेकिन इससे महाराष्ट्र में वर्तमान सरकार कौन चला रहा है और वे ठाकरे को क्यों नहीं चाहते थे? इसका खुलासा हो गया है। महाराष्ट्र की लड़ाई अब पूरी तरह से गौतम अडानी और उनके धन साम्राज्य के खिलाफ है। वे पूरी मुंबई को निगलना चाहते हैं और उसकी तैयारी पूरी हो चुकी है। फोर्ट क्षेत्र में संयुक्त महाराष्ट्र के १०६ शहीदों का स्मारक है। इस मौके के भूखंड पर भी कल अडानी कब्जा कर लेंगे और उस स्मारक पर अडानी का टॉवर खड़ा नजर आएगा। लोग अब संयुक्त महाराष्ट्र के संघर्ष को नहीं जानते। अडानी उनसे बड़े हैं। अडानी का टॉवर एक खाली भूखंड पर खड़ा होगा। देखिए, विकास हुआ है! कहते हुए देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे विज्ञापन करेंगे।
महाराष्ट्र वासियों, क्या आप अपनी आंखों के सामने ऐसा होने देना चाहेंगे? अडानी की हार ही शिंदे-फडणवीस-शाह-मोदी की हार है; यह अवश्य किया जाना चाहिए।