संजय राऊत- कार्यकारी संपादक
मोदी-शाह का राज एक दिन जाएगा, लेकिन जाते-जाते वे देश को टुकड़ों में बांटकर जाएंगे। पिछले दस सालों में भारत में हिंदू और मुसलमान दो अलग-अलग राष्ट्र बन गए हैं। यह माहौल बंटवारे जैसा है। शिवराय के इतिहास को बदलना, हिंदू-मुसलमानों के लिए अलग दुकानों की मांग करना, यह सब एक सोची-समझी मूर्खता है, जो भारत को हिंदू पाकिस्तान की ओर धकेल रही है!
मोदी युग का अब अंतिम चरण शुरू हो चुका है। मोदी और उनके लोग कभी न कभी जाएंगे, लेकिन जाते-जाते वे इस देश को टुकड़ों में बांटकर जाएंगे, यह साफ दिख रहा है। देश में आज जो सांप्रदायिक और धार्मिक नफरत बढ़ी है, वह `बंटवारे’ से पहले भी इसी तरह दिखाई दे रही थी। आज यहां के कुछ हिंदू (अर्थात विकृत मानसिकता वाले) नेता बै. जिन्ना की भूमिका में आ गए हैं। यह देश के लिए खतरनाक है। भारत में सावरकर ने द्विराष्ट्र सिद्धांत प्रस्तुत किया था। भारतीय मुसलमान और भारतीय हिंदू दो अलग-अलग राष्ट्र हैं। उनके अपने अलग धर्म, परंपराएं और रीति-रिवाज हैं। इसलिए सामाजिक और नैतिक दृष्टिकोण से मुसलमानों को हिंदू बहुल भारत से बाहर अपनी अलग मातृभूमि बनाने का अधिकार होना चाहिए। ऐसा उनका कहना था।
डॉ. आंबेडकर ने भी एक बार कहा था, `यहां हिंदू और मुसलमान दो अलग-अलग राष्ट्र के रूप में रहते दिखाई दे रहे हैं।’
हालांकि, पंडित नेहरू जैसे समझदार व्यक्ति ने खुलकर कहा था, `देश का संविधान धर्मनिरपेक्ष ही रहेगा। मैं भारत को हिंदू पाकिस्तान नहीं बनने दूंगा।’
धर्म के आधार पर बने कई राष्ट्र टूटकर बिखर गए हैं। इसमें पाकिस्तान भी शामिल है। पंडित नेहरू जैसे लोगों ने इस देश को हिंदू पाकिस्तान नहीं बनने दिया, इसलिए यह देश बचा रहा। लेकिन मोदी युग में देश को फिर से एक नए बंटवारे की ओर धकेला जा रहा है। क्या हम हिंदू पाकिस्तान की ओर बढ़ रहे हैं?
दंगल करवा रहे हैं
मुसलमानों की कमियां निकालकर उन्हें भड़काने का एक राष्ट्रीय कार्यक्रम चलाया जा रहा है, जो चौंकाने वाला है। दुबई में भारत बनाम न्यूजीलैंड चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल मुकाबले में भारत विजयी हुआ। इसके बाद कई जगहों पर भाजपा समर्थकों ने जीत का जश्न मनाते हुए मोर्चे निकाले। ये मोर्चे रात के समय जानबूझकर मस्जिदों के सामने से निकाले गए और वहां शोरगुल मचाने, जोर-जोर से वाद्ययंत्र बजाने, मुसलमानों के खिलाफ नारेबाजी करने जैसी घटनाएं शुरू हो गईं। मध्य प्रदेश के महू में इसके कारण दो गुटों के बीच दंगा भड़क उठा। इसका असर अन्य जगहों पर भी देखने को मिला। जीत का जश्न मनाने का यह तरीका नहीं है, लेकिन ऐसी घटनाओं को लगातार अंजाम देकर देश में दंगे भड़काने की साजिश रची जा रही है।
`मुसलमानों के साथ हम नहीं रहेंगे,’ यह जहर भारतीय जनता पार्टी और उसकी विचारधारा से जुड़े लोग खुलकर फैला रहे हैं। ऐसा उनका यह खुला प्रचार चल रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने हाल ही में सार्वजनिक रूप से कहा कि, `हिंदू और मुसलमानों का `डीएनए’ एक ही है। हिंदू और मुसलमानों को एक साथ रहना चाहिए।’ वे शुरू से ही एक साथ हैं, लेकिन संघ की विचारधारा से जुड़े नए लोगों को यह विचार स्वीकार नहीं है। महाराष्ट्र के एक मंत्री नितेश राणे ने महाराष्ट्र में हिंदुओं और मुसलमानों के लिए अलग-अलग मटन की दुकानें बनाने की घोषणा की है। क्या श्री भागवत को यह मान्य है?’ उत्तर प्रदेश की भाजपा विधायक केतकी सिंह ने कहा, `मुसलमानों के लिए अस्पतालों में अलग वार्ड बनाएं।’ यह जहर फैलाने का सिलसिला यूं ही चलता रहा तो भारत के हिंदू पाकिस्तान बनने की गति और तेज हो जाएगी। इन सभी ने लोगों के मन में मुस्लिम समाज के प्रति तिरस्कार और घृणा पैदा कर दी है, जिससे देश का सामाजिक और राष्ट्रीय माहौल जहरीला हो रहा है। प्रधानमंत्री मोदी चुनाव प्रचार के दौरान कहते हैं, `मुसलमान हिंदू महिलाओं के मंगलसूत्र खींचकर ले जाएंगे, इसलिए भाजपा को वोट दें।’ लेकिन जब मुस्लिम देशों के नेता भारत आते हैं, तो वही प्रधानमंत्री उन्हें लेने और गले लगाने हवाई अड्डे पर जाते हैं। अमेरिका दौरे में प्रे. ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी और भारत का खुला अपमान किया। प्रे. ट्रंप मुसलमान नहीं हैं। मोदी वह अपमान सहकर वापस देश लौट आए और लोग उस अपमान को भुला दें इसलिए देश में `हिंदू बनाम मुसलमान’ का माहौल शुरू कर दिया और अब वे महाकुंभ का गंगाजल लेकर मॉरीशस के लिए रवाना हो गए हैं। इससे देश का क्या विकास होगा? उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में मुस्लिम माफिया और गुंडों के एनकाउंटर शुरू हो गए हैं, लेकिन योगी जिस जाति के हैं, उस जाति के गुंडों और माफियाओं को पूरा अभय मिला हुआ है। यानी हिंदू माफियाओं को हिंदुओं को लूटने का पूरा अधिकार भाजपा शासित राज्य में है। भाजपा के बंगाल के नेता सुवेंदु अधिकारी कहते हैं, `मुस्लिम विधायकों को राज्य की विधानसभा से उठाकर बाहर फेंक दो।’ क्या यही भाजपा के हिंदू राष्ट्र की यानी हिंदू पाकिस्तान की शुरुआत है? हिंदू सहनशील, संयमी और संस्कारी हैं, लेकिन अगर कोई उन पर अकारण हमला करे तो वे उसे बख्शते नहीं हैं।
नए मटन हृदयसम्राट
महाराष्ट्र में हिंदुओं के लिए मटन की अलग दुकानें, लेकिन मुंबई में मंगलप्रभात लोढा जैसे कई बिल्डर मटन खाने वाले हिंदुओं को उनके हाउसिंग कॉलोनियों में पैर रखने नहीं देते और उन्हें जगह देने से इनकार कर दिया जाता है। इस पर क्या ये `मटन’ वाले `बाल हिंदूहृदयसम्राट’ बोलेंगे? भारत के स्वतंत्रता संग्राम में मुसलमान भी शामिल थे। कई मुस्लिम क्रांतिकारी फांसी पर चढ़ गए। कई मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानी `अंडमान’ के काले पानी की सजा भुगत रहे थे। कई लोग वहीं मर गए। उनका भी अंग्रेजों ने उत्पीड़न किया। तो क्या मुसलमानों के खून-पसीने से हासिल की गई। `आजादी’ से आज के `नव हिंदू मटन हृदयसम्राट’ बाहर होने वाले हैं? मुसलमानों के योगदान से हासिल भारत में हम सांस भी नहीं लेंगे, वे यह कहकर किस देश में जाएंगे? भारत के स्वतंत्रता संग्राम और भारत निर्माण में शून्य योगदान देने वाले लोग हीनभावना से ग्रस्त हैं और हिंदू-मुसलमान दो अलग राष्ट्र फिर से बना रहे हैं। इस खेल को नाकाम कर देना चाहिए।
ये भी औरंगजेब
महाराष्ट्र सहित भारत में इन्हीं हिंदुत्ववादियों ने फिर से औरंगजेब को जिंदा कर दिया। इसके पीछे राजनीतिक स्वार्थ है। औरंगजेब को महाराष्ट्र में दफना दिया गया। वह मिट्टी में मिल गया। लेकिन किसी फिल्म के सहारे औरंगजेब को फिर से समाज में खड़ा करना शिवराय का भी अपमान है। `श्रीमान योगी’ की प्रस्तावना में प्रा. नरहर कुरुंदकर कहते हैं, `औरंगजेब को समझे बिना शिवराय को ठीक से समझा नहीं जा सकता।’ लेकिन इन लोगों को शिवराय भी समझ में नहीं आए। शिवराय ने हिंदवी स्वराज्य के लिए पहली लड़ाई की चंद्रराव मोरे से। उसी चंद्रराव मोरे के वंशज आज भाजपा में और शायद महाराष्ट्र सरकार में भी हैं। गाय-बैलों का गोबर खाना, गोमूत्र से नहाना और पीना, ऐसा हिंदुत्व सावरकर को मंजूर नहीं था, लेकिन यह गोबर खाकर कुछ लोग भारत देश को तोड़ने निकल पड़े हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज और संभाजी राजे के बारे में झूठी जानकारी देकर इतिहास का विकृतिकरण इन लोगों ने शुरू कर दिया है। छत्रपति शिवाजी महाराज की सेना में मुसलमान नहीं थे, यह फडणवीस के मंत्रिमंडल के `मटन हृदयसम्राट’ ने कहा। यह महाराज और इतिहास का अपमान है। अबू आजमी के दिए गए वक्तव्य की अपेक्षा दिया गया यह बयान ज्यादा गंभीर है। शिवराय के दादा मालोजी राजे भोसले ने सूफी संत शाह शरीफ के सम्मान में अपने बेटों के नाम शहाजी और शरीफजी रखे। आगे शिवराय ने हिंदवी स्वराज्य में भी सभी धर्मों का सम्मान किया। उनकी सेना के एक तिहाई सैनिक मुस्लिम थे। शिवराय की `नौसेना’ का नेतृत्व सिद्दी संबल के हाथ में था। महाराज जब आगरा में औरंगजेब की नजरकैद में थे, तब वहां से छुड़ाने के लिए शिवराय की मदद करने वाला मदारी मेहतर एक मुस्लिम था। छत्रपति के गुप्तचर विभाग का सचिव हैदर अली था और उनके शस्त्रागार का प्रमुख इब्राहिम खान था। छत्रपति शिवाजी महाराज ने कभी भी `धर्मांध’ राजनीति नहीं की। उन्होंने सभी भाषाओं का सम्मान किया। आज शिवराय को अलग-अलग धर्मांध खांचों में खड़ा करना एक राष्ट्रीय पाप है। मुख्यमंत्री फडणवीस महाराष्ट्र से अगर शिवराय इतिहास मिटाना नहीं चाहते हैं, तो उन्हें ऐसे बेसमझ उत्तेजक लोगों को मंत्रिमंडल से बाहर रखना चाहिए। कुछ लोग औरंगजेब की कब्र उखाड़ना चाहते हैं, लेकिन महाराष्ट्र में हिंदू पाकिस्तान वाले हिंदू औरंगजेब पैदा कर रहे हैं। वे कब्र में पड़े औरंगजेब से भी ज्यादा भयानक हैं।