संजय राऊत- कार्यकारी संपादक
भारत में गृहयुद्ध शुरू होने का शोर भाजपा के दुबे जैसे कई लोगों ने मचा रखा है। हिंदू-मुसलमानों के बीच विवाद भड़काकर खून-खराबे को आमंत्रण देनेवाले ये लोग गृहयुद्ध के ठेकेदार हैं। कश्मीर में हिंदुओं का हत्याकांड उसी गृहयुद्ध का हिस्सा है। गृहयुद्ध ज्यादा भड़का तो ‘राजा’ और राष्ट्रप्रमुख को भागना पड़ता है, ये भाजपा के दुबे जैसे लोगों को समझना चाहिए!
कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों ने हमला किया, जिसमें २६ पर्यटकों की जान चली गई। इनमें से ज्यादातर पर्यटक हिंदू थे। मोदी और उनके लोग देश में नफरत का जहर फैला रहे हैं। इसी वजह से पहलगाम हत्याकांड हुआ। क्योंकि बंदूकधारियों ने पुरुष पर्यटकों को गोली मारने के बाद रोती हुई महिलाओं से कहा, ‘‘जाकर अपने मोदी को बता देना।’’
इसका क्या मतलब है? मतलब सीधा है। धार्मिक गृहयुद्ध की यह चिंगारी गिरते हुए दिख रही है और यह पिछले दस सालों से शासन कर रही मोदी सरकार की विफलता है।
कश्मीर में गृहयुद्ध की शुरुआत होने से पहले ही भाजपा के बड़बोले सांसद निशिकांत दुबे ने ‘गृहयुद्ध’ शुरू होने का शोर मचाया और इस गृहयुद्ध का ठीकरा दुबे ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना पर फोड़ दिया।
मणिपुर जैसे राज्य में पिछले तीन सालों से जो आतंक, अराजकता और वर्गकलह सड़कों पर चल रहा है, वह गृहयुद्ध का ही हिस्सा है। इसके पीछे न तो मुसलमान हैं और न ही सुप्रीम कोर्ट। होगा भी तो भाजपा की राजनीति इसके पीछे है।
प्रधानमंत्री मोदी भगवान के अवतार हैं और दुबे जैसे लोग उस अवतार के ‘पिल्ले’ हैं। फिर भी कश्मीर से लेकर मणिपुर तक गृहयुद्ध की चिंगारियां क्यों उड़ रही हैं?
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति मुर्मू को निर्देश देते हुए कहा कि समय सीमा के भीतर विधेयकों पर निर्णय लेना अनिवार्य है। जैसे ही मुख्य न्यायाधीश ने यह फैसला सुनाया, भाजपा के दुबे ने यह कहकर अपनी अक्ल के तारे तोड़ दिए कि, ‘राष्ट्रपति को निर्देश देने वाला सुप्रीम कोर्ट कौन होता है? सुप्रीम कोर्ट अपनी मर्यादा का उल्लंघन कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने पार्लियामेंट के अधिकारों को अपने अधीन कर लिया है। यह गृहयुद्ध है। इस गृहयुद्ध के लिए मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना जिम्मेदार हैं।’ देश के मुख्य न्यायाधीश पर कीचड़ उछालना दबाव की राजनीति है। ‘सरकारी बॉस’ के निर्देश के बिना दुबे जैसे लोग मुख्य न्यायाधीश पर गृहयुद्ध का ठीकरा नहीं फोड़ेंगे। दुबे द्वारा अब तक दिए गए सभी बयान धार्मिक कट्टरता (गृहयुद्ध) को बढ़ावा देने वाले और समाज में नफरत की आग भड़काने वाले हैं। मौजूदा भारतीय जनता पार्टी का असली चेहरा (विकृत) देखना है तो वह दिल्ली में निशिकांत दुबे और महाराष्ट्र में नितेश राणे हैं। नितेश राणे से एक साक्षात्कार में प्रश्न पूछा गया, ‘इस समय भीषण गर्मी है। आपको कौन सा शरबत पसंद है? रूह अफजा या गुलाब शरबत?’ महाराष्ट्र के सम्माननीय मंत्री नितेश राणे ने कहा, ‘मैं गर्मी से राहत पाने के लिए गोमूत्र पीता हूं। यह बहुत मजेदार है। शरीर स्वस्थ रहता है।’ इसका मतलब श्री. मोदी, श्री. अमित शाह, देवेंद्र फडणवीस आदि हिंदुत्ववादी लोग इस समय यही ‘ठंडा’ पेय पी रहे होंगे। इसी पेय से नशा होता है और मुख्य न्यायाधीश पर अराजकता फैलाने का आरोप लगाया गया।
एक साथ कई युद्ध
भाजपा के दुबे कहते हैं, ‘देश में गृहयुद्ध शुरू हो गया है। एक नहीं, बल्कि एक साथ कई गृहयुद्ध छिड़ गए हैं। इसके लिए मुख्य न्यायाधीश खन्ना जिम्मेदार हैं।’ दरअसल, देश के बीस राज्यों में भाजपा की सरकार है। देश के पूरे प्रशासन, सेना और पुलिस बल पर भाजपा और मोदी का नियंत्रण है। ऐसे में अगर गृहयुद्ध शुरू हुआ है तो यह केंद्र सरकार की विफलता है और गृहयुद्ध की जिम्मेदारी लेते हुए प्रधानमंत्री मोदी को इस्तीफा ही दे देना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को कुर्सी पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। कश्मीर में हुए हिंदू हत्याकांड के बाद अमित शाह को कुर्सी पर बने रहने का अधिकार ही नहीं है। निशिकांत दुबे जिस गृहयुद्ध की बात कर रहे हैं, वह अगर सच है तो इसकी शुरुआत किसके कारण हुई? पिछले मुख्य न्यायाधीश ने मस्जिदों, मदरसों और दरगाहों को खोदने की खुली छूट दे दी थी। खुदाई काम करके मंदिरों की खोज की अनुमति देना गृहयुद्ध को निमंत्रण देना है। इसके कारण उत्तर प्रदेश के ‘संभल’ समेत कई जगहों पर दंगे हुए। देश में महंगाई और बेरोजगारी ने कहर बरपाया हुआ है। सोना एक लाख रुपए से ऊपर चला गया है। महाराष्ट्र में पानी की कमी ने हाहाकार मचा रखा है। मुंबई जैसे शहरों में पानी के लिए प्रदर्शन हो रहे हैं। यह एक तरह का गृहयुद्ध ही है, लेकिन दुबे जैसे लोग गृहयुद्ध का अर्थ हिंदू-मुसलमानों के बीच दंगे होना, यही समझते हैं। सुप्रीम कोर्ट सत्ताधारियों के दबाव के बावजूद राष्ट्रपति को निर्देश देता है। दुबे को लगता है कि यह गृहयुद्ध की शुरुआत है, लेकिन ऐसा न होकर राष्ट्रपति को रबर स्टैंप बनाकर राष्ट्रपति भवन में बैठाने को ही गृहयुद्ध की असली शुरुआत कहना पड़ेगा।
गांधी का धमाका
राहुल गांधी ने अमेरिका जाकर दुनिया को बताया कि किस तरह महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में ‘महा फर्जीवाड़ा’ हुआ। भारत का चुनाव आयोग और भारतीय जनता पार्टी ने हाथ मिला लिया। इस वजह से देश में चुनाव पारदर्शी और निष्पक्ष नहीं हुए। राहुल गांधी का यह दावा महत्वपूर्ण है। महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में महज दो घंटे में ६५ लाख नए मतदाताओं ने मतदान किया। कई जगहों पर तो मतदाताओं की संख्या से भी ज्यादा मतदाताओं ने मतदान किया। चुनाव आयोग ने शाम ५.३० बजे एक आंकड़ा दिया और शाम ७.३० बजे देखा गया कि ६५ लाख मतदाता बढ़ गए। यह कैसे संभव है? यह लोकतंत्र में अराजकता है। यह अराजकता सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने नहीं, बल्कि मोदी-शाह-फडणवीस की व्यावसायिक राजनीति से निर्माण हुई है। निशिकांत दुबे जैसे लोगों को यह जानने की कोई वजह नहीं है। क्योंकि उनका आपराधिक इतिहास चौंकाने वाला है। वे धोखाधड़ी, धमकी, जालसाजी जैसे अपराधों के खिताबों से सुशोभित हैं। वे भाजपा की कृपा से सांसद बन गए और अपराध दबा दिए गए।
ऐसे हैं ये दुबे…
ये दुबे महाशय कौन हैं, जो सुप्रीम कोर्ट पर अराजकता या गृहयुद्ध पैâलाने का आरोप लगा रहे हैं? मोदी-शाह के दरबार के ये एक रत्न हैं। ऐसे कई नवरत्नों से भाजपा का दरबार सजा हुआ है।
२०१८ में भाजपा कार्यकर्ताओं ने दुबे के पैर धोए और इस पवित्र जल को पीया। उस समय उन्होंने खुद की तुलना भगवान कृष्ण से की थी।
दुबे और मोदी में एक समानता है। दोनों के पास ‘फेक डिग्री’ है। दुबे ने चुनावी हलफनामे में उनके पास एम.बी.ए. की डिग्री होने का उल्लेख किया है। वो डिग्री फर्जी है, ऐसा खुलासा खुद दिल्ली यूनिवर्सिटी ने किया है। पता चला कि दुबे कभी दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्र थे ही नहीं। इसलिए दुबे भाजपा विद्यापीठ में फिट हैं।
दुबे पर कई बार एयरपोर्ट पर सुरक्षा नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगा है।
दुबे की पत्नी पर भी धोखाधड़ी, धमकाकर संपत्ति हड़पने जैसे अपराध दर्ज हैं।
राहुल गांधी ने जब लोकसभा २०२३ में मोदी-अडानी (Modani Nexus) के व्यापारिक संबंधों का धमाका किया, तब इसी दुबे ने गांधी को लोकसभा से बर्खास्त करने की मांग की थी। ये महाशय किसी अलग ही दुनिया में रहते हैं।
मोदी गरीबों को ५ किलो अनाज मुफ्त देते हैं, इसके लिए सभी को मोदी का आभार मानना चाहिए, ऐसा बयान उन्होंने दिया था। क्या मोदी अपनी जेब से ५ किलो अनाज देते हैं? महंगाई और बेरोजगारी के लिए किससे माफी मांगनी चाहिए?
दुबे ने भाजपा की छत्रछाया में धोखाधड़ी की। फर्जी डिग्री, झूठे विचारों वाले लोगों को गृहयुद्ध का डर सता रहा है। क्योंकि इतिहास बताता है कि गृहयुद्ध में पहली बलि दुबे जैसे लोगों की जाती है।
दुनिया चपेट में
दुनिया में कई जगहों पर गृहयुद्ध क्यों शुरू है? इसका अध्ययन भाजपा के सभी चमचों को करना चाहिए। सीरिया, सूडान, म्यांमार, अफगानिस्तान जैसे देश गृहयुद्धों में बर्बाद हो गए। भूख, बेरोजगारी, वर्ग-वर्णकलहों से गृहयुद्ध की चिंगारी भड़की। गृहयुद्ध लोकतंत्र को बचाने और गुलामी के खिलाफ भी लड़े जाते हैं। १८६० में अमेरिका में गृहयुद्ध छिड़ गया था। गृहयुद्ध मतलब देशांतर्गत युद्ध, किसी देश के नागरिक जाति और धर्म के नाम पर एक-दूसरे से लड़ते हैं और खून-खराबा करते हैं। उनमें राज्य टूट जाते हैं। अगर किसी देश का ‘राजा’ और राष्ट्रप्रमुख स्वार्थी हो तो गृहयुद्ध का खतरा रहता है। जब राष्ट्रप्रमुख अपने राज्य को बनाए रखने के लिए तानाशाह बन जाता है तब लोग अपना धैर्य खो देते हैं और सड़कों पर उतरकर राज्य पर कब्जा कर लेते हैं। ऐसे समय में राजा को या राष्ट्रप्रमुख को भागना पड़ता है। पड़ोसी बांग्लादेश और पाकिस्तान में अक्सर ऐसा होता है। क्या भाजपाइयों को डर है कि भारत में भी ऐसा ही होगा?
कश्मीर में हुए हत्याकांड पर भी अब राजनीति होगी। जैसा कि पुलवामा हत्याकांड में हुआ था। हिंदुओं की हत्या जितनी होगी, उतनी ही आग मुसलमानों के खिलाफ भड़काई जाएगी और अंधभक्तों को गृहयुद्ध में धकेला जाएगा।
भारत में इसके अलावा और क्या चल रहा है? गृहयुद्ध के ठेकेदारों ने देश पर कब्जा कर लिया है। अभी के लिए बस इतना ही!