संजय राऊत – कार्यकारी संपादक
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव हुए। पैसे बांटे गए। हत्या और झगड़े हुए, धमकियां दी गईं, लेकिन चुनाव आयोग ने क्या किया? यह आयोग को श्रद्धांजलि देने का वक्त आ गया है। महाराष्ट्र चुनाव में अडानी के कम से कम ३ हजार करोड़ रुपए खर्च हुए। उस अडानी के खिलाफ अमेरिका में गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया। वहां के मुख्य न्यायाधीश निष्पक्ष होते हैं और राष्ट्रपति क्रिसमस पर उनके घर केक खाने नहीं जाते!
भारत के चुनाव आयोग को श्रद्धांजलि दी जाए ऐसा वक्त आ गया है। अदालतें तो कब की ‘आईसीयू’ में चली गई हैं। शेषन ने चुनाव आयोग को गरिमा और प्रतिष्ठा दिलाई थी, लेकिन मौजूदा चुनाव आयोग ने उसे मिट्टी में मिला दिया है। उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में एक मतदान केंद्र पर ड्यूटी पर तैनात एक पुलिसकर्मी मतदान करने आई मुस्लिम महिलाओं को बंदूक से धमका रहा है और उन्हें मतदान करने से रोक रहा है। वोट देने आए तो याद रखना, इस तरह की चेतावनी वाला वीडियो पूरी दुनिया में पहुंच गया और भारत के लोकतंत्र की गरिमा शर्मसार हो गई। जब तक यह ‘रोखठोक’ पाठकों के हाथ में आएगा तब तक महाराष्ट्र विधानसभा के नतीजे सामने आ चुके होंगे, लेकिन इन नतीजों पर क्या लोग भरोसा करेंगे? महाराष्ट्र में कई जगहों पर सत्ताधारी दल के लोगों ने आतंक का माहौल बनाए रखा और चुनाव आयोग ने कोई कार्रवाई नहीं की। नासिक जिले के नंदगांव निर्वाचन क्षेत्र के शिंदे गुट के विधायक कांदे ने समाचार चैनलों के कैमरों के सामने उसी निर्वाचन क्षेत्र के एक निर्दलीय उम्मीदवार समीर भुजबल को खुलेआम धमकी दी, ‘आज शाम तुम्हारा मर्डर फिक्स है!’ इस भयानक घटना के बावजूद चुनाव आयोग और पुलिस प्रशासन चुप रहा।
तावड़े और ठाकुर
विधायक हितेंद्र ठाकुर ने भाजपा महासचिव विनोद तावड़े को पैसे बांटते रंगे हाथों पकडा़। इसमें लाखों रुपए की नकदी देखी गई, लेकिन चुनाव आयोग ने पैसे बांटने के बाबत कोई मामला दर्ज नहीं किया और जिस ठाकुर ने यह पूरा खेल खेला वही ठाकुर चार घंटे बाद विनोद तावड़े को डिनर पर ले गए। लोग किस पर भरोसा करें? ठाकुर ने बताया कि उन्हें भाजपा नेताओं ने सूचित किया है कि तावड़े पैसे बांट रहे हैं इसलिए श्रीमान देवेंद्र फडणवीस को लेकर संदेह पैदा हुआ। महाराष्ट्र की राजनीति में जो गलत हो रहा है वह सिर्फ फडणवीस के कारण ही है, यह लोगों के मन में मजबूती से बैठ गया है। तावड़े के पास नकदी पाई गई, लेकिन कोई मामला दर्ज नहीं किया गया और आश्चर्यजनक रूप से देवेंद्र फडणवीस तावड़े के बचाव में आगे आए। फडणवीस कहते हैं, ‘तावड़े निर्दोष हैं। उनके पास नकदी नहीं थी। वह कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने के लिए विरार गए थे।’ यह उन्होंने अपने आपको धोखा दिया है। लाखों रुपए पकड़े, लेकिन कोई अपराध नहीं। तो फिर आचार संहिता के नाम पर चुनाव आयोग ने चौकियां बनाकर जांच करने का नाटक क्यों किया? यह सवाल है। फिर यह बात सामने आई है कि इन चौकियों पर पुलिस और होम गार्ड को भी गुजरात और राजस्थान से महाराष्ट्र लाया गया था। इसे क्या समझना चाहिए? महाराष्ट्र का हर स्तर पर गुजरातीकरण किया गया। ये इसका एक नमूना है।
बेईमान दोबारा नहीं आएंगे
‘एग्जिट पोल’ ने बता दिया कि महाराष्ट्र के नतीजे क्या होंगे। ये सभी पोल एक बड़ा घोटाला हैं। इन सर्वेक्षणों में यह कहना कि एकनाथ शिंदे के बेईमान गुट को उद्धव ठाकरे की मूल शिवसेना से अधिक सीटें मिलेंगी, यह अक्ल का दिवालियापन है। ‘महाराष्ट्र में दोबारा शिंदे-फडणवीस, अजीत पवार की सरकार नहीं चाहिए। जितना हुआ वह काफी है। महाराष्ट्र बेईमान मुक्त हो,’ यह सार्वभौमिक लोकभावना है। ये लोग धन के तूफानी इस्तेमाल से भी जीत नहीं पाएंगे। उद्धव ठाकरे ने वोट इसलिए मांगे ताकि महाराष्ट्र राज्य अडानी जैसे भ्रष्ट उद्योगपति के हाथ में न जाए और यह ‘अडानी राष्ट्र’ न बन जाए। यह कितना सच था यह वोट की गिनती के तुरंत बाद स्पष्ट हो गया। गौतम अडानी और उनके लोगों द्वारा सरकारी काम पाने के लिए २८० बिलियन डॉलर्स यानी २ हजार करोड़ रुपए सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी गई। वह अमेरिकी अदालत में सामने आ गई है। वहां के प्रशासन ने अब अडानी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया है, जिसके चलते दुनियाभर में भारत शर्मसार हुआ है। अडानी और मोदी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। ये दोनों अलग नहीं हैं। इस वजह से अमेरिकी प्रशासन ने एक तरह से मोदी के चेहरे से अडानी का मुखौटा हटा दिया। अमेरिका में अदालतें भारत की तरह खरीदी नहीं जा सकतीं और वहां के मुख्य न्यायाधीश के घर अमेरिका के राष्ट्रपति क्रिसमस का केक खाने जाएंगे नहीं। इसलिए सेबी और भारतीय अदालतों द्वारा बरी किए गए अडानी को अमेरिकी अदालत द्वारा बरी नहीं किया जाएगा। इन्हीं अडानी को मोदी-शिंदे-फडणवीस ने धारावी समेत मुंबई की अहम जमीनें दे दीं। मुंबई का एयरपोर्ट, टोल नाके व साल्ट पैन की जमीनें दी गईं और बदले में कल के विधानसभा चुनाव में शिंदे-फडणवीस-अजीत पवार के लिए कम से कम तीन हजार करोड़ रुपए खर्च किए गए। मेरे मन में कोई संदेह नहीं है कि महाराष्ट्र के खिलाफ यह साजिश सफल नहीं होगी और महाराष्ट्र पर लगा विश्वासघात का दाग मिट जाएगा।
जब तक यह ‘रोकठोक’ पाठकों के हाथ में आएगा तब तक एग्जिट पोल की ऐसी-तैसी करनेवाले नतीजे घोषित हो चुके होंगे और महाराष्ट्र जीतेगा! जब महाराष्ट्र जीतेगा तब चुनाव आयोग को श्रद्धांजलि देने का कार्यक्रम पूरा होगा!