संजय राऊत -कार्यकारी संपादक
७५ साल की उम्र में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद छोड़ देंगे। उससे पहले वे अपनी सारी जिद पूरी कर रहे हैं। ‘एक देश एक चुनाव’ उनमें से एक है। उस जिद की देश को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। मोदी द्वारा घोषित सभी योजनाएं ध्वस्त हो गई हैं। ‘वन इलेक्शन’ योजना भी ध्वस्त हो जाएगी।
वेताल जिस प्रकार अपनी जिद पूरी करता है, उसी प्रकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘एक देश, एक चुनाव’ की अपनी जिद पूरी करने का फैसला किया है। मोदी ने १७ तारीख को ७४ वर्ष की उम्र पूरी की। अगर मोदी अपनी बात पर कायम रहे तो उन्हें ७५ साल की उम्र में प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ेगा। ७५ साल के बाद कोई सत्ता के पद पर न रहे, यह नियम मोदी ने बनाया है। इस वजह से लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सुमित्रा महाजन जैसे कई नेता मार्गदर्शन मंडल में जाकर बैठ गए। एक साल बाद प्रधानमंत्री मोदी को भी जाना पड़ेगा और उससे पहले मोदी एक ऐतिहासिक फैसला लेकर इतिहास में अपना नाम दर्ज कराना चाहते हैं। एक साल बाद मोदी क्या करेंगे, यह उनका मसला है, लेकिन अपने नाम पर इतिहास लिखने की जो कोशिश उन्होंने शुरू की है, वह देश को गर्त में डाल देगी। प्रधानमंत्री मोदी ने दस साल में कोई खास काम नहीं किया। उन्होंने उत्सव और त्यौहार मनाए। उन्होंने जगभ्रमण किया। मोदी ने सरकारी खजाना खाली कर दिया। बदले में देश को क्या मिला? मोदी अब अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप महाशय के लिए प्रचार करने अमेरिका रवाना हो गए हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने खुद वॉशिंगटन में ऐलान किया है, ‘मोदी २१-२२ सितंबर को अमेरिका आ रहे हैं। उनकी और मेरी मुलाकात होगी।’ ट्रंप के लिए प्रचार करने मोदी अमेरिका जा रहे हैं। बाकी ‘क्वॉड’ नेताओं का शिखर सम्मेलन आदि तो सिर्फ बहाना है। एक देश, एक चुनाव मोदी की जिद है। जिस अमेरिका में ट्रंप का प्रचार करने के लिए वे जा रहे हैं, वहां एक देश, एक चुनाव जैसी कोई चीज नहीं है। मोदी को अमेरिका जाकर ये सब अध्ययन करना चाहिए।
ध्वस्त हुईं योजनाएं
मोदी द्वारा देश में शुरू की गई सभी योजनाएं ध्वस्त हो गई हैं। ऐसे में एक देश, एक चुनाव योजना भी हवा में उड़ जाएगी।
मोदी कोई भी योजना लाते हैं, वह योजना ध्वस्त हो जाती है।
• मोदी ने देश में नोटबंदी की घोषणा की। हजार-पांच सौ के नोट बंद कर दिए। इससे भ्रष्टाचार और आतंकवाद बंद होगा, ऐसा उन्होंने बताया। लेकिन नोटबंदी की योजना और घोषणा विफल हो गई। अर्थव्यवस्था चरमरा गई।
• कोरोना काल में थाली और घंटी बजाकर ब्लैकआउट करो, कोरोना भाग जाएगा, ऐसी योजना उन्होंने निकाली थी। कोरोना नहीं गया। सैकड़ों लाशें गंगा में बहानी पड़ीं।
• मोदी पाक अधिकृत कश्मीर को भारत में मिलाकर अखंड भारत का सपना साकार करने वाले थे। वो तो हुआ ही नहीं, उल्टा लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में घुसकर चीन ने देश की सीमाएं तोड़ दी।
• मोदी ने राम मंदिर, नया संसद बनाया। ये संरचनाएं टपकने लगी हैं।
• मोदी ने उज्जैन के महाकाल मंदिर का कॉरिडोर खड़ा किया। एक आंधी में वहां के देवताओं की मूर्तियां गिर गर्इं। महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग में मोदी के हाथों • मोदी की योजना विदेशों से काला धन वापस भारत लाकर सभी नागरिकों के खाते में १५ लाख रुपए जमा कराने की थी, जो अमल में आई ही नहीं।
• मोदी ने भ्रष्टाचार और भ्रष्ट व्यक्तियों को जड़ से उखाड़ फेंकने का बीड़ा उठाया था। लेकिन प्रत्यक्ष में मोदी ने अपनी पार्टी में सभी बाहरी भ्रष्टचारियों को इकट्ठा किया और उन भ्रष्ट पैसों पर वे अपनी राजनीति कर रहे हैं।
• उन्होंने एक असाधारण व्यक्ति और भगवान का अवतार होने की ‘योजना’ जाहिर की, लेकिन उनका देवत्य झूठा है, ये जनता ने लोकसभा चुनाव में दिखा दिया।
• मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान चलाया। उन्होंने हाथ में झाड़ू लेकर साफ-सफाई का नाटक किया। आज भारत सबसे ज्यादा अस्वच्छ और कचरेबाज देश के रूप में जाना जाता है।
• मोदी ने आत्मनिर्भर और स्वावलंबी भारत की संकल्पना पेश की, लेकिन देश के ९० करोड़ लोगों को मोदी १० किलो अनाज मुफ्त में देकर आलसी और गुलाम बना रहे हैं।
• भारत किसी के सामने नहीं झुकेगा, ऐसा मोदी बारंबार कहते थे, लेकिन चीन की आक्रामकता के खिलाफ मोदी अपने मुंह पर ताला लगाए बैठे हैं। जैसे ही मोदी यूक्रेन गए, ‘हम यूक्रेन क्यों गए और यूक्रेन के राष्ट्रप्रमुख के साथ क्या चर्चा हुई।’ इसका खुलासा करने के लिए मोदी ने अपने दूत को पुतिन से मिलने के लिए रूस भेजा। यह किसी स्वावलंबी और संप्रभु देश के लक्षण नहीं है। इससे विश्वगुरु सिर्फ एक बुलबुला है, यह साबित हो गया।
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा घोषित सभी योजनाएं और घोषणाएं छलावा और ढकोसला ही साबित हुईं। एक देश, एक चुनाव योजना की अवस्था भी कुछ और नहीं होगी। मोदी ने धारा ३७० हटाने का श्रेय लिया। धारा ३७० हटते ही कश्मीर में सब कुछ सुचारु हो जाएगा, कश्मीरी पंडित अपने घर जा सकेंगे, कश्मीर में उद्योग आएंगे, रोजगार बढ़ेगा और आतंकवाद खत्म होगा, ऐसा बताया गया था, लेकिन वैसा कुछ भी नहीं हुआ। एक देश, एक चुनाव योजना भी इसी तरह फर्जी है।
नो इलेक्शन!
प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री शाह भविष्य में चुनाव नहीं कराना चाहते हैं। एक देश, एक ही उद्योगपति यह उनकी मूल योजना है। ‘नेशन-इलेक्शन’ तो दोयम है। जो सरकार मणिपुर नहीं पहुंची, वह पूरे देश में एक साथ चुनाव कराएगी। उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में सात-आठ चरणों में चुनाव कराने वाले अक्षम और पक्षपाती चुनाव आयोग के भरोसे देश में सभी चुनाव एक साथ कराने की योजना एक छलावा साबित होगी। जो लोग चार राज्यों में एक साथ चुनाव न करा पाए और जिन्होंने तीन साल से मुंबई सहित महाराष्ट्र की १४ महानगरपालिकाओं का चुनाव नहीं कराया, उन्हें एक देश, एक चुनाव का डंका बजाना है। मोदी अगले वर्ष पचहत्तर साल की उम्र में निवृत्त हो जाएंगे। इसलिए यह योजना उन्हीं के द्वारा लाई गई है। ऐसे में नए प्रधानमंत्री एक साथ चुनाव योजना पर पैâसला लेंगे, तब तक एक साथ चुनाव का ढोल पीटते रहो!
वेताल ने अपनी जिद पूरी की। हमारे प्रधानमंत्री भी अपनी हर जिद पूरी कर रहे हैं। एक वर्ष सहन करना होगा। चलो कर लेंगे!