मुख्यपृष्ठनए समाचाररोखठोक : भारतीय गधों की ‘ब्रेन मैपिंग'?

रोखठोक : भारतीय गधों की ‘ब्रेन मैपिंग’?

संजय राऊत- कार्यकारी संपादक

अमेरिका के प्रे. ट्रंप की मेडिकल रिपोर्ट जारी कर दी गई। ट्रंप की ‘ब्रेन मैपिंग’ यानी दिमागी परीक्षण भी हुआ और वह काम करने में सक्षम हैं, ऐसा कहा गया। ‘ब्रेन मैपिंग’ के नतीजों में कहीं ईवीएम की तरह गड़बड़ी तो नहीं है? ऐसा संदेह कई लोगों को है। क्या भारतीय शासकों की ऐसी ‘ब्रेन मैपिंग’ संभव है?

प्रे. ट्रंप क्या मानसिक रूप से अमेरिका जैसे देश का नेतृत्व करने में सक्षम हैं? दुनियाभर में कई लोगों को यह संदेह था। ट्रंप पागल की तरह व्यवहार करते हैं और सनकी व्यक्ति की तरह निर्णय लेते हैं। इस वजह से क्या ट्रंप का दिमाग ठिकाने पर है? ऐसा उनके समर्थकों को भी लगने लगा है। अब व्हाइट हाउस से ट्रंप की मेडिकल रिपोर्ट जारी हुई। इसमें कहा गया कि वे अपने कर्तव्यों का पालन करने में सक्षम हैं। ट्रंप ने ११ अप्रैल को मैरीलैंड वॉल्टर रीड नेशनल मिलिट्री मेडिकल सेंटर में मस्तिष्क और हृदय की जांच कराई थी। इसमें कहा गया कि उनका मस्तिष्क और हृदय ठीक है। उनका मानसिक परीक्षण किया गया, उसमें भी वे मजबूत निकले। प्रे. ट्रंप ७८ साल के हैं और उनके स्वास्थ्य को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। ट्रंप के दिमाग में कोई कचरा नहीं है। फिर भी वे इस तरह का व्यवहार क्यों कर रहे हैं? ईवीएम में घोटाला करके पैâसला बदला जाता है, क्या वैसा ही कुछ प्रे. ट्रंप की दिमागी जांच में भी हुआ है? ट्रंप इस तरह के एकमात्र राष्ट्रपति या नेता नहीं हैं। भारत समेत दुनियाभर के कई देशों के शासकों का मस्तिष्क परीक्षण करना जरूरी है, लेकिन क्या ये परीक्षण सही होंगे?
भारत में भी वैद्यकीय परीक्षण
जिस तरह प्रे. डोनाल्ड ट्रंप की मेडिकल रिपोर्ट सार्वजनिक की गई, उसी तरह भारतीय नेताओं की मेडिकल रिपोर्ट भी सार्वजनिक की जानी चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी के स्वास्थ्य को लेकर तो उनके चहेतों को भी चिंता होनी चाहिए, ऐसा बयान वे दे रहे हैं। सच-झूठ का भान उन्हें बिल्कुल नहीं है। वक्फ संशोधन बिल मंजूर होने के बाद मोदी खुद को ११ करोड़ गरीब मुसलमानों का मसीहा मानने लगे हैं। वे कहते हैं, ‘‘कांग्रेस ने मुसलमानों के लिए कुछ नहीं किया। जो भी किया, वह मैंने किया।’’ मोदी हरियाणा के हिसार गए और उनका मुस्लिम प्रेम उफन पड़ा। उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस पार्टी को मुसलमानों के प्रति यदि हृदय से प्रेम है तो उन्होंने किसी मुसलमान को अपनी पार्टी का अध्यक्ष क्यों नहीं बनाया?’’ मोदी का यह सवाल उनके स्वास्थ्य के प्रति चिंता बढ़ाए, ऐसा है। मोदी ने कहा कि मुसलमानों का भला हो, ऐसा कांग्रेस ने कभी नहीं चाहा, लेकिन पिछले १५ वर्षों से मोदी लगातार कह रहे हैं कि कांग्रेस की राजनीति मुस्लिम भलाई की है। अगर कांग्रेस को मुसलमानों से प्रेम है तो उसने अब तक किसी मुस्लिम को अध्यक्ष क्यों नहीं बनाया? ऐसी चिंता प्रधानमंत्री मोदी व्यक्त करते हैं। उनकी यह चिंता भी उनके स्वास्थ्य के प्रति चिंता बढ़ाने जैसी ही है। या तो मोदी को इतिहास से सबक सीखने की जरूरत है या फिर प्रे. ट्रंप की तरह ‘दिमागी जांच’ कर उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक करना जरूरी है। अगर मोदी ने असली इतिहास में झांका होता तो उन्हें कांग्रेस द्वारा बनाए गए मुस्लिम अध्यक्ष नजर आ जाते।
 बद्रुद्दीन तैयबजी
रहीमतुल्ला मोहम्मद सयानी
 नवाब सैयद मुहम्मद बहादुर
सैयद हसन इमाम
हकीम अजमल खान
मोहम्मद अली जौहर
मो. अब्दुल कलाम आजाद (दो बार)
मुख्तार अहमद अंसारी
कांग्रेस ने जिस तरह इन सभी मुसलमानों को अपनी पार्टी का अध्यक्ष नियुक्त किया, उसी तरह उसने देश के राष्ट्रपति पद पर भी मुस्लिम व्यक्ति का ही चयन किया। कई मुसलमानों को राज्यपाल बनाया और मुख्यमंत्री भी बनाया। महाराष्ट्र जैसे राज्य में बै. ए. आर. अंतुले को मुख्यमंत्री बनाया गया। अंतुले ने ही कोलाबा का नाम बदलकर ‘रायगड’ किया। इंग्लैंड से भवानी तलवार को भारत लाने की प्रेरणा उन्हीं की थी। आज मुसलमानों की फिक्र करनेवाले प्रधानमंत्री मोदी के मंत्रिमंडल में एक भी मुस्लिम प्रतिनिधि नजर नहीं आता। जिस देश में मुसलमानों की आबादी २० से २२ करोड़ है, उस समाज का देश के मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व न हो और प्रधानमंत्री मोदी स्वयं को मुसलमानों का तारणहार बताते हों, ये उनके स्वास्थ्य के प्रति चिंता करने के लक्षण हैं।
झूठ बोलने की बीमारी
सवाल मुसलमानों के प्रति महसूस हो रही झूठी तिलमिलाहट का नहीं, बल्कि झूठ बोलने की, भ्रम पैâलाने की जो बीमारी प्रधानमंत्री को लगी है, उसका है। मोदी एक तरफ मुस्लिम समाज के प्रति चिंता व्यक्त करते हैं, तो वहीं दूसरी तरफ भाजपा के हिंदुत्व के मुख्य प्रचारक बाबा रामदेव अपने पतंजलि उद्योग के उत्पादों को खपाने के लिए मुसलमानों पर रोज हमले करते हैं। रामदेव ने बाजार में एक नया शरबत लाया और कहा कि यह हिंदुओं के लिए है। बाजार में कई पीढ़ियों से लोकप्रिय हमदर्द कंपनी का ‘रुह अफजा’ शरबत खरीदा तो आपके पैसे का इस्तेमाल जिहाद के लिए होगा, ऐसा ‘शरबत जिहाद’ बाबा रामदेव ने लाया है। क्या यह मुसलमानों के मसीहा प्रधानमंत्री मोदी को मंजूर है? मोदी की रणनीति सीधी नहीं है। मोदी ने मुस्लिम प्रेम दिखाना शुरू कर दिया है तो सिर्फ कांग्रेस को जाल में पंâसाने के लिए। मोदी के मुस्लिम प्रेम को देखकर कांग्रेस अपने मुस्लिम प्रेम की ‘मात्रा’ बढ़ाएगी और फिर मोदी और भाजपा कांग्रेस के मुस्लिम प्रेम पर हमला करके हिंदुओं के मन में रोष निर्माण करेंगे।
रुपया कैसे गिरा…
मोदी के अंधभक्तों से बहस करना ‘गधों’ से बहस करने जैसा है। मोदी हमेशा लोगों को बेवकूफ बनाने के नए-नए तरीके ढूंढ़ते रहते हैं। लोगों को हमेशा मूर्ख बनाए रखना संभव नहीं है, यह मोदी ने गलत साबित कर दिया है। मोदी के पुराने भाषणों को सुनना चाहिए। मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने कहा था, ‘‘अगर देश में एक मजबूत प्रधानमंत्री होता तो भारतीय रुपया कभी इतना नहीं गिरता।’’ तब लगता था कि कब यह आदमी हमारा प्रधानमंत्री बनेगा और रुपया मजबूत होगा, लेकिन मोदी प्रधानमंत्री बन गए और तब से रुपया हर दिन गिरता जा रहा है। मोदी इस बारे में चिंता का एक भी शब्द व्यक्त करने को तैयार नहीं हैं। जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो वे भाषण देते हुए कहा करते थे, ‘‘मैं मर जाऊंगा, लेकिन आधार योजना को लागू नहीं होने दूंगा।’’ मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद आधार योजना को और अधिक जोश के साथ लागू किया और फिर कभी मरने की बात नहीं की। जीवित रहते हुए झूठ को प्रतिष्ठा दी। मोदी और उनके लोग हर दिन झूठ बोलते हैं। रुपया गिर रहा है, लेकिन झूठ-होने का मूल्य डॉलर से ऊपर चला गया है। इस बीमारी का इलाज क्या है? प्रे. ट्रंप की तरह अब किसके दिमाग की जांच करनी चाहिए?
गधों से बहस
मोदी ने लोगों को बेवकूफ बनाने की दुकान खोल ली है और राहुल गांधी की ‘प्यार की दुकान’ से इसकी स्पर्धा लगा दी है। हरियाणा के हिसार में रामपाल कश्यप नामक एक पात्र मिला। उसने १४ साल पहले प्रतिज्ञा की थी कि, ‘‘जब तक मोदी प्रधानमंत्री नहीं बन जाते और मैं उनसे नहीं मिल लेता, तब तक मैं जूते नहीं पहनूंगा।’’ मोदी हिसार गए और अपने हाथों से कश्यप के पैर में जूता पहनाया। मोदी ने ऐसे कई महान कार्यों में खुद को झोंक दिया। इस बारे में बहस करना मूर्खता है। जंगल में एक गधे और बाघ के बीच बहस हो गई। बाघ का कहना था, ‘‘घास हरी है।’’ गधे ने कहा, ‘‘धत्, तुम मूर्ख हो। घास तो नीली है।’’ बाघ मानने को तैयार नहीं था। ‘‘घास हरी ही है।’’ ऐसे दहाड़कर बाघ ने कहा। गधा भी खिलखिलाने लगा। अंत में दोनों के बीच तय हुआ। जंगल के राजा ‘सिंह’ महाराज के पास चलेंगे। वही न्याय करेंगे। दोनों जंगल के राजा के पास गए। राजा ने पूछा, ‘‘क्या फरियाद है?’’ गधे ने कहा, ‘‘महाराज, यह बाघ कह रहा है कि घास हरी है। मैं कह रहा हूं कि घास नीली है, लेकिन वो यह मानने को तैयार नहीं है। अब आप ही इस मूर्ख को बताइए।’’ सिंह ने अपनी अयाल हिलाते हुए कहा, ‘‘गधे, तुम्हारा कहना शत-प्रतिशत सही है।’’ भाजपा की तरह; घास नीली ही है।’’ गधा इस बात से खुश हुआ। उसने बाघ से कहा, ‘‘देखो, पैâसला मेरे पक्ष में हुआ।’’ गधा फिर नाचता-कूदता बाहर आया, लेकिन वह फिर रुक गया। उसके दिमाग में आया, मैंने मुकदमा तो जीत लिया, लेकिन इस बाघ ने मेरा ‘टाइम’ खाया, उसकी सजा इसे मिलनी ही चाहिए। वह सिंह के दरबार में वापस आया। ‘‘महाराज, आपने मेरे पक्ष में न्याय किया है, लेकिन इस बाघ को सजा मिलनी चाहिए। कड़ी सजा दी जानी चाहिए।’’ सिंह बोला, ‘‘हां, बिल्कुल सही! बाघ, तुम्हें सजा मिलनी ही चाहिए। तुम्हें अगले दस दिनों तक मौन रहना होगा। दहाड़ना, गुर्राना वगैरह बंद।’’ बाघ ने कहा, ‘‘महाराज, आपका आदेश मंजूर है।’’ अब गधा खुशी से पागल हो गया। मैंने इस बाघ को सबक सिखाया, उसे सजा दी। और क्या चाहिए? गधा चला गया और बाघ ने गुर्राते हुए सिंह से पूछा, ‘‘अरे, तुम वैâसे राजा हो? तुम्हें पता है, घास हरी होती है। मुझे पता है कि घास हरी ही होती है। दुनिया जानती है, घास हरी होती है। फिर तुमने यह क्यों कहा कि घास नीली होती है?’’ इस पर सिंह ने कहा, ‘‘देखो, चुपचाप सुनो। तुम जानते हो, घास हरी होती है। मैं भी जानता हूं कि घास हरी होती है। दुनिया जानती है कि घास हरी होती है, लेकिन तुम उस गधे से बहस क्यों कर रहे थे? गधे से बहस करने की ही तुम्हें सजा मिली। जो गधे से बहस करता है, वह सबसे बड़ा गधा होता है। समझे?’’
क्या गधों के दिमाग का परीक्षण संभव है? क्या गधों की ‘ब्रेन मैपिंग’ की व्यवस्था भारत के अस्पतालों में है?

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