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भारत की अर्थव्यवस्था में सोने की भूमिका और चालू खाता घाटा -भरतकुमार सोलंकी

मुंबई। भारत के सांस्कृतिक और धार्मिक जीवन में सोने का अत्यधिक महत्व हैं, जिसे आर्थिक क्षेत्र में भी अहम भूमिका निभाते हुए देखा जा सकता है। भारतीय समाज में सोने का उपयोग न केवल आभूषण और बचत-निवेश के रूप में किया जाता है, बल्कि यह पारिवारिक धरोहर और आर्थिक सुरक्षा का प्रतीक भी है।सोने की उच्च मांग के चलते भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा सोने का उपभोक्ता है। परंतु इस सोने की मांग का असर देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता हैं, विशेषकर चालू खाता घाटे (कैड) पर।

चालू खाता घाटा उस स्थिति को दर्शाता है, जब किसी देश का आयात उसके निर्यात से अधिक हो जाता है। 2024 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में भारत का सोना आयात 21.78 प्रतिशत बढ़कर 27 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में 22.25 अरब डॉलर था। मौजूदा त्योहारी सीजन और घरेलू मांग के कारण सोने की यह मांग और भी बढ़ी है, जो देश के व्यापार घाटे को प्रभावित कर रही है। आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान व्यापार घाटा 137.44 अरब डॉलर हो गया, जबकि पिछले वर्ष यह 119.24 अरब डॉलर था। इस आयात वृद्धि से चालू खाते का घाटा भी अप्रैल-जून 2024 में मामूली बढ़कर 9.7 अरब डॉलर हो गया।

देश का लगभग 40 प्रतिशत सोना स्विट्जरलैंड से आयात किया जाता हैं, इसके बाद संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और दक्षिण अफ्रीका का स्थान है। भारत का सोने पर निर्भरता देश की विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव डालती है, क्योंकि इसे डॉलर में भुगतान करना होता है। इसके साथ ही, यह चालू खाते के घाटे को भी बढ़ाती है, जो अर्थव्यवस्था के लिए चिंताजनक है।

सोने के आयात में वृद्धि का एक कारण आभूषण उद्योग की उच्च मांग हैं।आभूषण उद्योग भारत के लाखों कारीगरों और श्रमिकों के लिए रोजगार का एक प्रमुख स्रोत है। हालांकि, इससे विदेशी मुद्रा भंडार का निरंतर नुकसान भी हो रहा है, क्योंकि सोने का अधिकांश हिस्सा घरेलू खपत के लिए ही उपयोग किया जाता है। इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने बजट में सोने और चांदी पर सीमा शुल्क में कटौती की, जो आयात को सस्ता बनाता हैं, लेकिन इसका नकारात्मक असर व्यापार घाटे पर पड़ सकता है।

कुल मिलाकर, सोने की बढ़ती मांग भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर रही है। एक ओर, यह रोजगार और सांस्कृतिक पूर्ति के लिए महत्वपूर्ण हैं, वहीं दूसरी ओर, आयात निर्भरता देश की वित्तीय स्थिरता के लिए खतरा पैदा करती हैं। सरकार को ऐसे उपायों की आवश्यकता है जो सोने की मांग को घरेलू स्तर पर संतुलित करें और चालू खाता घाटे को नियंत्रण में रखें, ताकि दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।
(लेखक आर्थिक निवेश मामलों के विशेषज्ञ हैं)

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