१,४०० करोड़ की सफाई योजना पर फिरा पानी … मनपा ने शिंदे का टेंडर कचरे में डाला
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई में एकनाथ शिंदे की एक और योजना को बड़ा झटका लगा है, क्योंकि मनपा ने १,४०० करोड़ रुपए के कचरा प्रबंधन टेंडर को रद्द कर दिया। इस योजना के तहत घर-घर कचरा संग्रहण, झुग्गी सफाई और शौचालयों के रख-रखाव का काम होना था, लेकिन कानूनी विवाद और राजनीतिक विरोध के चलते यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई।
शिंदे सरकार ने भले ही सफाई का सपना दिखाया हो, लेकिन मनपा ने इसे कचरा समझकर किनारे रख दिया। टेंडर को २०२३ में जारी किया गया था, लेकिन बेरोजगार संस्थाओं के महासंघ ने इसे मुंबई हाई कोर्ट में चुनौती दी। मामला २०२४ के मानसून सत्र तक पहुंचा, जहां विधायक प्रवीण दरेकर ने सवाल उठाया कि इसमें समुदाय-आधारित संगठनों को क्यों नहीं जोड़ा गया।
मनपा ने नगर विकास विभाग (यूडी-२) से मार्गदर्शन मांगा, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। अंत में कोर्ट के आदेश और देरी के चलते टेंडर रद्द कर दिया गया। एक रिपोर्ट के अनुसार, मनपा का कहना है कि वर्तमान में झुग्गी सफाई का काम समुदाय-आधारित संगठनों के माध्यम से किया जाता है, जिन्हें ६,००० रुपए प्रतिमाह दिए जाते हैं और वे झुग्गीवासियों से १० रुपए प्रति घर और व्यावसायिक इकाइयों से ५० रुपए तक शुल्क वसूल सकते हैं। हालांकि, कई इलाकों में इन संगठनों पर अनियमितता और लापरवाही के आरोप लगे, जिसके चलते सफाई व्यवस्था को केंद्रित (सेंट्रलाइज) करने के लिए एक एजेंसी नियुक्त करने की योजना बनी। लेकिन नई प्रणाली में सफाई का वार्षिक बजट १०० करोड़ रुपए से बढ़कर ३५० करोड़ रुपए हो जाता, जिस पर सवाल उठने लगे। कानूनी और प्रशासनिक अड़चनों के कारण मनपा ने आखिरकार इस योजना को रद्द कर दिया, जिससे शिंदे की महत्वाकांक्षी स्वच्छता परियोजना शुरू होने से पहले ही धराशायी हो गई।