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बिहार और झारखंड के अब भी ग्रामीण लोग पढ़ाई से ज्यादा खाने-पीने पर कर रहे हैं खर्च 

अनिल मिश्र / पटना

आम भारतीय सहित पूरी दुनिया के लोग अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के निर्माण के लिए प्रदेश सहित देश या अपनी समर्थ के अनुसार उच्च शिक्षा के लिए विदेश भेज रहे हैं, वहीं पिछड़े राज्यों में शुमार बिहार और झारखंड के ग्रामीण परिवेश में पले-बढ़े ग्रामीण परिवारों के लोग अपनी बच्चों के पढ़ाई से ज्यादा अपने परिवार के भरण-पोषण के साथ-साथ सेहत को लेकर ज्यादा फिक्रमंद हैं। इसी कारण बिहारी और झारखंडी लोग शिक्षा से अधिक खाने-पीने को लेकर ज्यादा तब्बजो देते हैं।अभी हाल में सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा करवाए गए एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है। सांख्यिकी मंत्रालय जारी इस रिपोर्ट में पूरे देश में ग्रामीण परिवेश रह रहे परिवारों द्वारा प्रतिमाह किस मद में कितना खर्च होता है, उसका एक रिपोर्ट जारी किया गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार, बिहार के ग्रामीण परिवार आज भी पढ़ाई से ज्यादा खर्च मांस-मछली, दूध दही में करते हैं। वहीं बिहार से एक कदम और आगे बढ़ते हुए झारखंड के ग्रामीण परिवार शिक्षा से ज्यादा खर्च शराब, बीड़ी, पान, सिगरेट इत्यादि में अपना पैसा खर्च करते हैं।
सांख्यिकी मंत्रालय के रिपोर्ट के अनुसार, अपने जीवनयापन के लिए झारखंड की ग्रामीण आबादी प्रतिमाह औसतन 2,763 रुपए खर्च करती हैं। इस 2,763 रुपए में से 1,336 रुपए वे घर में खाने पीने की चीज जैसे दाल, चीनी, तेल, नमक, दूध दही, सब्जी, मांस-मछली पर खर्च करते हैं और इसी 2,763 रुपए में से लगभग 1,426 रुपए पान-बीड़ी, तंबाकू, शराब के साथ-साथ दवा, कपड़ा और पढ़ाई में लगाते हैं। अगर बात सेहत की करें तो दूध, दही, पनीर की तो यहां प्रतिमाह खर्च होते हैं 147 रुपए, मांस-मछली में 185 रुपए, तंबाकू-शराब में 100 रुपए और शिक्षा में मात्र 83 रुपए खर्च किए जाते हैं।
जबकि बिहार का ग्रामीण परिवार प्रतिमाह औसतन कुल 3,384.11 रुपए खर्च करता है। बिहार का ग्रामीण परिवार अपने औसत मासिक खर्च में से 1,812.18 रुपए खाने-पीने की चीजों और 1,571.93 रुपए दूसरी चीजों पर खर्च करता है। बिहार का ग्रामीण परिवार दूध व उसके दूसरे उत्पाद पर प्रतिमाह 309.51 रुपए और मुर्गा-मछली पर 202.59 रुपये खर्च करता है। बिहार में 2016 से शराबबंदी लागू होने की वजह से यहां का ग्रामीण परिवार तंबाकू उत्पाद पर प्रतिमाह औसतन सिर्फ 95.87 रुपए खर्च करता है। हालांकि, पान-बीड़ी के मुकाबले पढ़ाई पर 100.57 रुपए खर्च करता है। यानी बिहार का ग्रामीण परिवार झारखंड के मुकाबले शिक्षा पर कुछ ज्यादा खर्च करता है। वहीं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के ग्रामीण परिवार के जीवन यापन का मासिक खर्च, ग्रामीण परिवार के अखिल भारतीय औसत से करीब दोगुना है। ग्रामीण परिवार के मासिक खर्च का अखिल भारतीय औसत 3,773 रुपए है, जबकि दिल्ली के ग्रामीण परिवार का औसत मासिक खर्च 6,575.67 रुपए है। दिल्ली का ग्रामीण परिवार खाने-पीने की चीजों पर 2,644.59 रुपए और दूसरे चीजों जैसे- पान, सिगरेट, शराब, शिक्षा, दवा, कपड़ा आदि पर 3,931.08 रुपए खर्च करता है। दिल्ली का ग्रामीण परिवार भी तंबाकू उत्पाद और शराब के मुकाबले शिक्षा पर कम खर्च करता है।
इस तरह पिछड़े राज्य बिहार और झारखंड का ग्रामीण परिवार पढ़ाई से ज्यादा दूध-दही और मुर्गा-मछली पर खर्च करता है।झारखंड इस मामले में बिहार से एक कदम आगे है।झारखंड का ग्रामीण परिवार पान, बीड़ी, सिगरेट और शराब पर भी पढ़ाई से ज्यादा खर्च करते हैं। अभी हाल में हुए सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा ग्रामीण परिवार द्वारा प्रतिमाह विभिन्न वस्तुओं पर किये जाने औसत खर्च से संबंधित आंकड़ों से इस बात की जानकारी मिली है।

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