दुखद समाचार यह नहीं है कि
सब बिक गया बिक रहा है
बिक जाएगा और बिकता रहेगा इसी तरह।
दुखद यह है कि हम सब देख रहे हैं
देखते रहेंगे चुपचाप तटस्थ होकर।
गाते रहेंगे उदासीनता और बजाते रहेंगे
मौन समर्थन पितामह कुल गुरू
आचार्य और महात्मा विदुर की तरह
लाचार होकर।
दुखद यह है कि मर रही है
हमारी वीर परंपरा हमारा विश्वास
और हम ढो रहे हैं नपुंशकता
विवश होकर कभी कभी तो
शौक से भी।
दुखद यह है बस
दुखद यह है कि आधी दुनिया भी
बैठ गई है आंख पर पट्टी बांधकर
इस जलते हुए महाभारत में।
-अन्वेषी