-प्रशासन द्वारा तय मापदंडों का हो रहा है उल्लंघन
सामना संवाददाता / मुंबई
साकीनाका क्षेत्र की झोपड़पट्टियों में सेकंड हैंड कंप्यूटरों को लाकर रिपेयरिंग करके बेचने का एक बहुत बड़ा मार्केट चलता है। खराब हुए कंप्यूटर के पार्ट्स सहित अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामान कचरे में फेंक दिए जाते हैं, जिनकी वजह से ई-कचरा (इलेक्ट्रॉनिक कचरा) के निपटारे की समस्या ने इस इलाके को वैंâसर और अन्य गंभीर बीमारियों का स्रोत बना दिया है। मिली जानकारी के अनुसार, कुछ व्यापारी औद्योगिक क्षेत्रों में जारी लाइसेंस का गलत इस्तेमाल कर साकीनाका जैसे रिहायशी इलाकों में कंप्यूटर वेस्ट का निपटान कर रहे हैं, जिससे स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ रहा है।
बता दें कि ई-कचरे के लिए सरकारी मानदंड तय किए गए हैं और उनका डिस्पोजल कुछ कई व्यापारी औद्योगिक क्षेत्रों में ई-कचरे के निपटारे के लिए प्राप्त लाइसेंस का दुरुपयोग कर रहे हैं। स्थानीय समाजसेवी सब्बन अली सैयद ने बताया कि यह भी जरूरी है कि ई-कचरे के लाइसेंस की सही ढंग से जांच की जाए। कई लाइसेंसों पर उल्लिखित पता और व्यापार का स्थान मेल खाते हैं नहीं, इसकी जांच हो। गलत पते पर लाइसेंस होना धोखाधड़ी का संकेत हो सकता है।
क्या है ई कचरा?
ई-कचरे में सीसा, पारा, बेरीलियम, कैडमियम और कुछ रेडियोसक्रिय तत्व जैसे कई तरह के विषाक्त तत्व होते हैं। ई-कचरे में पाए जाने वाले रसायन मिट्टी, पानी और हवा को प्रदूषित करते हैं। ई-कचरे से हवा में कार्सिनोजेन्स और न्यूरोटॉक्सिन निकलते हैं, जो लंबे समय तक चलने वाले धुएं में योगदान करते हैं। इन हानिकारक धुएं में डाइऑक्सिन और फ्यूरान शामिल होते हैं। ई-कचरे को उचित तरीके से निपटाकर और रीसाइकिल करके हम पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं रीसाइकिल करने से हम हानिकारक विषाक्त पदार्थों को निकलने से रोक सकते हैं।