रामदिनेश यादव / मुंबई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में जो नाराजगी थी, उसकी वजह से लोकसभा चुनाव में संघ ने तटस्थ भूमिका निभाई थी। कुछ वैसी ही भूमिका अब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी संघ निभाने जा रहा है, क्योंकि भाजपा ने अपनी तुच्छ राजनीति के लिए सबसे ज्यादा जो गंध मचाई, वह महाराष्ट्र में मचाई थी। राजनीतिक पार्टियों को तोड़ना, एमएलए खरीदना, केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर नेताओं को जेल में डालना, इससे संघ की जो विचारधारा है, उसको कथित तौर पर ठेस पहुंची है इसलिए संघ चाहता है कि नई भाजपा, इस प्रकार के राजनीतिक कुकर्मों से दूरी बनाए, अन्यथा वह चुनाव में तटस्थ रहेगा।
संघ सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, संघ चाहता है कि भाजपा राजनीति के भ्रष्ट नेताओं से दूरी बनाए रखे और जिन लोगों को राजनीतिक लाभ के लिए पार्टी में शामिल कर निष्ठावंतों को दरकिनार किया गया है, उस पर भी समुचित निर्णय लेकर चीजों में सुधार करे। संघ के अंदरुनी हलकों में चर्चा के अनुसार, भाजपा की मनमानी से पैâले सामाजिक और राजनीतिक कीचड़ के छींटे वह अपने ऊपर नहीं लेना चाहता है। इसके अलावा शिवसेना तथा राकांपा को तोड़ने का काम भाजपा ने किया है, इसे संघ ने कभी पसंद नहीं किया। दूसरी तरफ यदि राज्य में भाजपा की सरकार नहीं आती है तो पार्टी में जमा हुआ कचरा भी साफ हो जाएगा। सूत्रों की मानें तो भाजपा के घमंड को भी कम करना संघ की इच्छा है। यही वजह है कि इस चुनाव में संघ तटस्थ भूमिका में है। इसे देखते हुए भाजपा की सांसें फूल गई हैं। बता दें कि संघ के पीछे आने की वजह से ही लोकसभा चुनाव में भाजपा के ४०० पार का सपना चकनाचूर हुआ था इसलिए संघ की भूमिका महत्वपूर्ण है। यह गौर करने योग्य है। बता दें संघ एक गैर-राजनीतिक संगठन के रूप में अपनी भूमिका को बनाए रखने का प्रयास करता है व चुनाव में प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं होता है।