सामना संवाददाता / मुंबई
पिछले कुछ दिनों से औरंगजेब की कब्र को लेकर महाराष्ट्र में विवाद गहराता जा रहा है। तथाकथित हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा खुलताबाद स्थित इस कब्र को हटाने की मांग तेज हो गई है, जिसके लिए विरोध प्रदर्शन भी किए जा रहे हैं। नागपुर में इसी मुद्दे को लेकर हिंसा भड़कने की भी खबरें आई हैं।
इसी बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा को जोरदार झटका दिया है। संघ ने इसे अनावश्यक बताया है। संघ के पूर्व सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने कहा कि औरंगजेब की कब्र का मुद्दा अप्रासंगिक है। उसकी मृत्यु यहीं हुई थी, इसलिए उसकी कब्र भी यहीं बनाई गई। जिसकी उसमें श्रद्धा होगी, वह वहां जाएगा।
उदारता का प्रतीक
भैयाजी जोशी ने आगे कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने भी अफजल खान की कब्र बनवाई थी, जो भारत की उदारता और समावेशी संस्कृति का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि औरंगजेब की कब्र वहीं बनी रहे और जो चाहे वहां जाए।
संघ की परंपरानुसार तय होगा उत्तराधिकारी!
पूर्व सरकार्यवाह की राय
इन दिनों औरंगजेब का मुद्दा काफी गरमाया हुआ है। इस मुद्दे को संघ के पूर्व सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने गैरजरूरी बताया है। इसके साथ ही संघ के उत्तराधिकारी के सवाल पर उन्होंने स्पष्ट किया कि यह परंपरा के अनुसार ही तय होगा।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ३० मार्च को हुए कार्यक्रम के बाद भैयाजी जोशी का बयान सुर्खियों में आ गया है। मोदी की सराहना करते हुए भैयाजी जोशी ने कहा कि कोरोना काल में उन्होंने समाज को ऊर्जा दी। माधव नेत्रालय का भूमि पूजन उनके हाथों हुआ है और जल्द ही यह प्रकल्प पूरा होगा।
कब्र के खिलाफ शिंदे गुट
शिंदे गुट के मंत्री संजय शिरसाट ने इस विवाद पर टिप्पणी करते हुए कहा कि औरंगजेब की कब्र को लेकर कई लोग तर्क-वितर्क कर रहे हैं। वह संभाजी नगर में मरा था और उसकी इच्छा के अनुसार उसे वहां दफनाया गया। यह कहना कि किसी ने उसे जबरदस्ती दफनाया, गलत है। उन्होंने यह भी कहा कि औरंगजेब की कब्र नहीं होनी चाहिए क्योंकि उसने छत्रपति संभाजी महाराज पर अत्याचार किए थे। इतिहास को मिटाने का यह प्रयास राजनीतिक नहीं है।