डॉ. रवींद्र कुमार
पिछले दिनों खबर आई थी कि आइसक्रीम में इंसानी उंगली मिली है। भला हो ग्राहक का वह डॉक्टर था, सो फौरन पहचान भी गया। सामान्य आदमी तो उसे कोई नया फ्लेवर समझता और सोचता आइसक्रीम वाले अब कंपटीशन के चलते ब़ड़े-बड़े नट्स-ड्राई प्रâूट्स डालते ही हैं यह कोई ब़ड़ा मेवा होगा। हिंदुस्थानीr नहीं तो विदेशी होगी। हो सकता है वह इस बात से खुश भी हो जाता। और उनका यह ‘फिंगर फ्लेवर’ चल निकलता। जैसे `फिश फिंगर’ चल ही रही है। जैसे `फिंगर प्रâाई’ चल पड़ी है। कोई माल चल निकले और ग्राहक को पसंद आ जाए तो फिर वो कीमत नहीं देखता।
आइसक्रीम वाले फिर इसकी देखा-देखी और नए-नए अद्भुत फ्लेवर निकालते। बाकी जितने अब तक के फ्लेवर हैं वो मुंह छुपाए फिरते। उन्हें कोई नहीं पूछता। उनकी मार्वेâट वैसे ही डाउन हो जाती जैसे आजकल बटर स्कॉच, ब्लू करंट, स्ट्राबेरी, कसाटा और टूटी-प्रâूटी के आगे वैनिला, ऑरेंज को कोई नहीं पूछता। लोग इसे खूब पॉपुलर करते। नए-नए फ्लेवर इंसानी अंग अनुसार चल पड़ते। फिंगर-स्कॉच, लिप- बेरी, ईयर-करंट, स्वीट-टूथ, टंग-ट्विस्टर, सोचो देखते-देखते इन नॉन-वेज आइस क्रीम के फ्लेवर्स का कितना क्रेज हो जाएगा। नो वेज, नो वीगन प्लीक। ऑनली नॉन-वेज।
इससे आइसक्रीम जगत में बड़ी क्रांति आ जाएगी। नए-नए कंपटीशन खड़े हो जाएंगे। लीवर-लाइट, किडनी-कुल्फी, हार्ट्स-कंटेंट! मानव अंगों की तस्करी करनेवालों को इतने ऑर्डर मिलने लग पड़ेंगे कि उन्हें ओवर टाइम करना पड़ेगा। चिंता की बात ये है कि इतने अंग मिलेंगे कैसे? आइसक्रीम बहुत महंगी होगी क्योंकि इतने सारे डोनर कहां और कैसे मिलेंगे? फिर क्लेण्डस्टाइन तरीके से मानव-तस्करी को बल मिलेगा। औने-पौने दाम पर उंगलियां बिकने लगेंगी। कुछ लोग सोया-चॉप की तरह नकली फिंगर के कारोबार में लग जाएंगे, जिससे एम.एस.एम.ई.उद्योग को बढ़ावा मिलेगा और बेरोजगारी की समस्या के हल में मदद मिलेगी। दस-दस उंगलियां आप लटकाए-लटकाए घूम रहे हैं क्या फायदा इनका? शादी-ब्याह में अलग रौनक रहती। हमारे मुंबई वाले मामा जी की शादी में चार-चार आइसक्रीम फ्लेवर थे सारे के सारे बॉडी पार्ट्स वाले। केक पेस्ट्री ही नहीं, हमारे यहां आइसक्रीम बहुत पॉपुलर हो चली है। हर मौके बेमौके आइसक्रीम का जलवा रहता है। क्या इंडिया गेट, क्या मरीन ड्राइव, आप तो ये सोचो कितनी बड़ी मार्केट अनटैप रही है अब तक। बड़े-बड़े आविष्कार ऐसे बड़े-बड़े शहरों में छोटे-छोटे एक्सीडेंट से ही प्रकाश में आते हैं। आगे इतिहास में लिखा जाएगा इसका आविष्कार फलां कंपनी ने संवत २०२४ ईसवी में हिंदुस्थान में किया गया था।
आइसक्रीम वाले पार्लर अलग क्लेम करेंगे। हमारे यहां शुद्ध मानव अंगों का उपयोग किया जाता है। नकली साबित करनेवाले को एक वर्ष तक मुफ्त आइसक्रीम दी जाएगी।