डाॅ. रवीन्द्र कुमार
मेरे भारत महान ने बहुत मामलों में गिनीस बुक ऑफ वर्ड रिकॉर्ड्स में अपना डंका बजाया है। मुझे याद है कहीं लंबे नाखून वाले भारतीय का नाम दर्ज रहा तो कहीं सबसे लंबी मूंछ वाला भी हिंदुस्थानी था। कुल मिला कर कोई कायदे का काम बतौर रिकॉर्ड दर्ज नहीं था। सब इसी तरह के ऊट-पटांग रिकार्ड थे। भला हो इस दौर का जब हमने एक नहीं, दो नहीं, बल्कि कई रिकॉर्ड अपने नाम करा लिए हैं। यह ऐसे ही मुमकिन नहीं हुआ इसके पीछे बहुत फंड, बहुत मेहनत लगती है।
अब यही देख लो ! हमने सरयू किनारे दीये जलाए, फिर अगले साल पुनः दिये जलाए गिनीस वालों की भी आंखें चुंधिया गई होंगी, तभी न हमने भी सोचा क्यों न बरस दर बरस इनकी आंखें चुंधियाईं जाएं। लेटेस्ट हमने दीये जला कर दुनिया में अपना नाम कर दिया। इसी को ना कहते हैं डंका बजा दिया और एक बार नहीं बार-बार, लगातार। इसी के साथ एक रिकॉर्ड स्वतः ही बन गया, वो है लोगों का तेल इकट्ठे करने का। कोई बोतल में भर रहा है कोई डिब्बे में भर रहा था। वह भी साल दर साल टी वी पर देखा जा सकता है। यूं कहने को पुलिस उन्हें भगाती है, फिर भी तेल तो तेल है। पूरी दुनियाँ में किसी न किसी रूप में तेल की आपाधापी मची है।
सो भारत में हाल के दिनों में ये दो रिकॉर्ड बने हैं पहला दीये जलाने का दूसरा गरीबों द्वारा तेल उठाने का। उसी तरह ओरल कैंसर में भारत नंबर एक है। हमारे यहां गुटखा, तंबाकू और धूम्रपान करने की ऐतहासिक परंपरा रही है। और तो और, हम स्टार्टअप इंडिया कम उम्र मे ही कर देते हैं। आप 8-10 साल के बच्चों को तथा महिलाओं को गुटखा खाते देख सकते हैं। गांव-गांव, गली-गली, नुक्कड़-नुक्कड़ गुटखा उपलब्ध है। आपको ऐसे तंबाकूवीर मिल जाएंगे जो रोज सौ रुपये से ज्यादा का गुटखा खा जाते हैं। ओरल कैंसर ही नहीं अन्य कैंसर में भी जल्दी ही भारत अपनी धमाकेदार उपस्थिति दर्ज कराने वाला है।
भारत में नेत्र-रोगियों, अंधों की संख्या दुनिया में सबसे अधिक है । दरअसल, यह फिगर स्थूल आंखों की है। जहां तक अंध-भक्ति का सवाल है, वो फिगर तो और भी अधिक है। वहां तो हम पहले से ही वर्ड में नंबर वन है। अब पता चला डेविड धवन और गोविंदा क्यों अपनी पिक्चरों की श्रंखला को नंबर वन कहते हैं, फिर भले कुली नंबर वन ही क्यों न हो। हम कुपोषण में भी वर्ड रिकॉर्ड रखते हैं। दूसरे देश में अगर बालक कुपोषण का शिकार हैं तो वे युद्ध की विभीषका से जूझ रहे हैं, पर हम अहिंसावादी है। अतः शांति में भी कुपोषण का पोषण कर रहे हैं।
हम प्रेस स्वतन्त्रता में भी गिनीस बुक ऑफ वर्ड रिकॉर्ड की दहलीज पर हैं। हम बेरोजगार वाले सैक्टर में भी गिनीज में प्रमुख स्थान रखते हैं। हम सोने के आभूषण की खरीद में भी गिनीज लायक हैं, हमें इस पर गर्व है। उसी तरह हम चोरी-चकारी, भुखमरी, बाढ़, सूखा, सड़क-दुर्घटना हार्ट-डिजीज में भी गिनीज बुक में स्थान रखते हैं।
बुलडोजर के इनोवेटिव प्रयोग की एंट्री के बारे में गिनीज वालों को इत्तिला दी गई है। कोई देश हमारे मुकाबले में नहीं होगा। किडनी के बारे में कहते हैं हम ऑलरेडी वर्ड कैपिटल का दर्जा रखते हैं। अब पता नहीं भारत इस रिकॉर्ड को गिनीज के पास क्यों नहीं भेज रहा ? जहां तक बालक-बालिकाओं के अपहरण का सवाल है, उसमें आप क्या समझते हैं हम किसी से नंबर दो हैं ? मिलावट के क्षेत्र में हमने जो झंडे गाड़े हैं किसी से छुपे नहीं है। आप तो कॉमोडिटी बताओ: चाय-पत्ती, चीनी, नमक, सब्जियां, तरबूज, दूध, घी, शराब। मिलावट करने में हम प्रतिभाशाली नहीं जीनियस हैं। बेईमानी की प्रतियोगिता हो या फिर वादा खिलाफी हो, अनप्रोफेशनल, कामचोरी, प्रदूषण, नदी-नाले में गंदगी, दूसरे देशोने में घुसपैठ, रिश्वतखोरी सब में मेरा भारत गिनीज बुक ऑफ वर्ड में अव्वल है। गिनीज वालों तुम छापो या मत छापो हम तो अपनी प्रतिभा अपना कौशल जानते हैं। तुम नहीं छापोगे तो हम अपनी ही पुस्तिका निकाल लेंगे। हम सक्षम हैं। ये पुराना भारत नहीं।