डाॅ. रवींद्र कुमार
आप चिंता न करें, हमारी चिकित्सा व्यवस्था भीषण उन्नत है और ऐतहासिक है। हमारे शास्त्र भरे पड़े हैं, जिसमें हमारे एडवांस मेडिकल कौशल व सुविधाओं का जिक्र है। जिक्र क्या तफसील से पूरा ऑपरेशन स्टेप बाई स्टेप दिया गया है। क्या सर्जरी, क्या खांसी-जुकाम, गंभीर से गंभीर बीमारी का इलाज हमारे पौराणिक ग्रन्थों में मिल जाएगा। न जाने कितने शास्त्रों मे यह पूरी चिकित्सा प्रणाली दी गयी है। बस उसको पढ़ लीजिए समझो आप एम.बी.बी.एस. हो गए। यही सब किताबें आक्रमणकारी आक्रांता बाहर ले गए और वहां से अंग्रेजी में तर्जुमा कर के हमें ही ‘ज्ञान’ देते हैं। हमारी बिल्ली हमीं से म्याऊं। म्याऊं-म्याऊं करके एम.बी.बी.एस. और एम.डी के पाठ्यक्रम चला दिए। ‘एम’ बोले तो म्याऊं।
इसी श्रंखला में एक सूबे में अब बिना क्लोरोफॉर्म दिए ऑपरेशन करने का रिकॉर्ड स्थापित किया है। बात क्रेडिट की तो है ही। नहीं तो न जाने कितना खर्चा-पानी क्लोरोफॉर्म पर ही हो जाता है। कई बार तो क्लोरोफॉर्म इस तरह और इतनी मात्रा में सुंघा देते हैं कि मरीज होश में ही नहीं आ पाता। यूं कहने को ऑपरेशन सफल रहा, मगर मरीज है कि आंख ही नहीं खोल रहा।
असल में इस फील्ड में अब इतना कंपिटीशन हो गया है कि मरीज़ घर-घर ढूंढे जा रहे हैं। कबाड़ी (भंगार) वाले की तरह गली-गली “ऑपरेशन करा लो ! ऑपरेशन !!” आवाज लगाते देखे जा सकते हैं। सस्ता लगा देंगे। अगले दिन छुट्टी…ऑपरेशन करा लो ऑपरेशन! जले-कटे, पथरी, फेफड़े, गुर्दे सबका ऑपरेशन तसल्लीबख्श रियायती दाम पर करते हैं। मोतियाबिंद का ऑपरेशन करा लो! मोतियाबिंद कच्चा हो या पक गया हो फौरन हाथ के हाथ डिस्चार्ज। आप चाहें तो ‘आपका डॉक्टर-आपके द्वार’ स्कीम में आपके घर आ कर भी ऑपरेशन कर देंगे। और तो और औजार भी आपके ही चल जाएंगे। हमें तो बस एक अदद कैंची, चिमटी और चाकू लगेगा। ये तीन चीज घर-घर होती हैं। चाकू सब्जी काटने वाला है तो भी चलेगा। ब्लेड हम साथ लाएंगे। आप अपना मनपसंद ब्रांड का ब्लेड भी दे सकते हैं। डिटाॅल आपके यहां होगी ही। देखिए हम ‘काॅस्ट इफेक्टिव’ मेडिकल सुविधाएं चला रहे हैं। अतः सब सुविधाएं आपके घर पर ही देंगे। हमें सेवा का अवसर ज़रूर दें। कोई बैड की किल्लत नहीं न एडमिशन का कठिन प्राॅसीजर। हम आपकी खटिया पर ही आपकी सर्जरी कर आपकी खटिया खड़ी कर देंगे। बोले तो आपको खड़ा कर दौड़ने-भागने लायक बना देंगे।
हम घर-घर जाकर डिलिवरी भी कराते हैं। देखिए घबराने की कोई बात नहीं अपनी नानी-दादी से पूछिए सब घर में ही पैदा हुई थीं न कि किसी मैटरनिटी वार्ड में। हमारी यू.एस.पी. ही ये है कि आपकी डिलिवरी आप ही के घर के अंदर होगी। डेढ़ सौ करोड़ में से, सौ करोड़ घर पर ही पैदा हुए हैं और देख लो अस्पताल में पैदा हुओं से ज्यादा तंदुरुस्त हैं।
अतः घबराने का नहीं। घाबरू नका। कम वन कम ऑल !