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सटायर: सोलह बच्चे पैदा करें

 डाॅ रवींद्र कुमार

नेता जी ने आव्हान किया है, ‘उठ जागो मेरे सूबे के लोगाें! सूबे को तुम्हारी ज़रूरत है। लग जाओ सूबे का नाम रोशन करने की खातिर।’ हुआ कुछ यूं कि लोक सभा में सीटें जनसंख्या के हिसाब से तय होती हैं। जहां कम जनसंख्या वहां से कम सांसद और जहां ज्यादा जनसंख्या वहां से ज्यादा सांसद। इसे कुछ लोग ये भी सोचने लगे हैं कि ज्यादा बच्चे होंगे तो क्या पता हमीं को सांसद और मंत्री बना दिया जाए। पीछे बनाया भी गया था। इसके चलते नेता लोग भी देश-निर्माण में लग गए। लोकसभा में सीटें कम हो रही हैं, ये जानकार नेता जी का चिंतित होना लाजिमी है। यूं नेता जी छोटी-बड़ी चिंता करते रहते हैं और अक्सर उस चिंता की रपट उनके गंभीर फोटो समेत अखबार में छपती रहती है। यदि एक हफ्ते उनकी फोटो और खबर अखबार में न छपे तो लोगों को चिंता होने लगती है कि नेता जी ठीक तो हैं। जो दिखता है सो बिकता है। इसलिए चिंता किसी भी स्तर की हो नेता जी को आप हरदम चिंता में पाएंगे।

अब 16 बच्चों की संख्या पर नेता जी कैसे पहुंचे, जरूर उन्हाेंने कोई गुणा-भाग किया होगा। भला हमें क्या? हमें आम खाने से मतलब, पेड़ तो नेता जी ने गिन ही लिए हैं। अब ये 16 बच्चे पैदा करने की कुव्वत आजकल की भारतीय पत्नियों में कहां? वो दिन गए जब ‘दूधो नहाओ पूतो फलो’ का आशीर्वाद खूब ही सक्सेस था। अब वो बातें कहां! न जमीन इतनी जरखेज है न जोरू में इतना दम है और न जेब में जर है। हां अलबत्ता अगर सूबे की सरकार कोई स्कीम चला दे कि जितनी मर्जी शादी करो और करते रहो, जब तलक सोलह का टार्गेट पूरा न हो जाए। हम जान लड़ा देंगे। एक बात और है, इसके साथ-साथ बच्चों की देखभाल, पढ़ाई-लिखाई की और खाने की भी कोई योजना घोषित करनी पड़ेगी। अभी तो मां-बाप के ही खाने के वांदे हैं। जो है, सो अभी दो बच्चे हैं और दोनों ही बेकार बैठे हैं। वो तो भला हो कुछ न कुछ त्याेहार, यात्रा, धरना-प्रदर्शन, रोड शो के चलते बिजी रहते हैं। गांव में आधे युवा तो टिक-टाॅकर हैं, आधे उनमें एक्टिंग करते हैं। आपकी स्कीम जब आ जाये तो आप खूब उसका प्रचार-प्रसार टिक-टाॅक आदि पर करें, फिर हो सकता है कि ये युवा मोबाइल छोड़ मंडप की तरफ बढ़ें।

आप तो सीधे-सीधे स्कीम चला दो 6 बच्चे वाले को यह पद/यह इनाम मिलेगा। दस वाले को सीधे सरपंच, दस से ज्यादा को सीधे विधानसभा और पंद्रह पार करते ही सांसद। सांसद बोले तो उसके पास इतने सन्स-डाॅटर हैं, माने अपुन के फ्यूचर वोट। दूर का विजन रखें। देखिए आपके ये एक शादी वाली शर्त उठा देने मात्र से समाज का कितना भला होगा। इसको कंपलसरी करना होगा, नहीं तो ‘एक्जिस्टिंग’ बीवी लोगों ने बहुत नाटक करना है। ये जान लड़ा देंगी ताकि सरकार की ये ऐतिहासिक योजना सफल न होने पाए। एंटी-नेशनल हैं, जी सब की सब। आप देखो! समाज में इसके चलते रेप भी नहीं हुआ करेंगे। सब हंसी-खुशी राष्ट्रीय कार्यक्रम में अपना सहयोग देने में जुट जाएंगे और दिन-रात एक कर देंगे। राष्ट्र-निर्माण में अपना सूबा पीछे नहीं रहेगा। लौटती डाक से सूचित करना डी.जे. बुक कर लिया है। घोषणा होते ही आप देखना इकाॅनमी को कितना बल मिलेगा। सब शेरवानी, लहंगा, मिठाई, बैंड-बाजे, बेंक्वेट हॉल, केटरर और हनीमून पैकेज में लग जाएंगे। सूबे में हर दूसरा आदमी या तो दूल्हा होगा या बाराती।

सब एक, दूसरे से पूछा करेंगे कौन सीवीं शादी है। भद्र महिलाएं गर्व से बताया करेंगी, बहन! मेरा यह बारहवां बच्चा है, तुम्हारा? कोई महीना खाली नहीं जाएगा जब किसी न किसी का हैपी बर्थडे न हो। किसी-किसी महीने में तो दो या दो से ज्यादा हैपी बर्थ डे हुआ करेंगे। बाजार उड़ चलेगा। प्राइवेट क्लिनिक, अस्पताल और दाइयों को काम मिलेगा। रोजगार बढ़ेगा। देखते-देखते अपना सूबा हिंदुस्थान में नंबर वन हो जाना है। जब तक धन आए, मैं तन-मन से आपके साथ हूं।

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