आरटीआई में जानकारी देने से किया इनकार
सामना संवाददाता / मुंबई
चुनावी बॉन्ड की बिक्री और भुनाने से जुड़ी जानकारी देने के संबंध में एसबीआई ने एक बार फिर से चुप्पी साध ली है। आरटीआई यानी सूचना के अधिकार कानून के तहत दायर पहली अपील का जवाब देने से एसबीआई ने एक बार फिर से इनकार कर दिया है। आरटीआई के तहत चुनावी बॉन्ड की बिक्री और भुनाने से जुड़ी जानकारी मांगी गई थी।
एसबीआई ने गोपनीय कार्यप्रणाली का हवाला देते हुए कहा कि यह जानकारी बैंक की ‘बौद्धिक संपदा’ है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ये आंतरिक दिशानिर्देश केवल बैंक कर्मचारियों के लिए हैं जिन्हें सीधे चुनावी बॉन्ड से जुड़ा काम करना होता है। सूचना पारदर्शिता की पैरवी करने वाली अधिवक्ता अंजलि भारद्वाज ने ४ मार्च को एक आवेदन दायर कर चुनावी बॉन्ड से जुड़ी कार्यप्रणाली की जानकारी मांगी थी। ये जानकारी एसबीआई द्वारा अप्रैल २०१७ से लागू दिशानिर्देशों से जुड़ी थी। लेकिन ३० मार्च को बैंक ने उनके आवेदन को खारिज कर दिया। इसके बाद भारद्वाज मामले को एसबीआई के प्रथम अपीलीय प्राधिकरण के पास ले गर्इं। १७ मई को प्राधिकरण से मिले जवाब से असंतुष्ट होकर, भारद्वाज ने अब केंद्रीय सूचना आयोग में इस इनकार को चुनौती देने का पैâसला किया है। १७ मई के अपने आदेश में प्राधिकरण ने कहा है कि ‘मांगी गई जानकारी बैंक के व्यावसायिक गोपनीयता के अंतर्गत आती है और इसलिए प्रदान नहीं की जा सकती है। साथ ही ये आंतरिक दिशानिर्देश केवल बैंक कर्मचारियों के लिए हैं और यह जानकारी बैंक की बौद्धिक संपदा भी है, इसलिए सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा ८(१)(डी) के तहत इसे देने से इनकार किया गया है।’ इस धारा में बताया गया है कि ‘कोई भी जानकारी, व्यापारिक गोपनीयता, व्यापारिक रहस्य या बौद्धिक संपदा जिसको उजागर करने से किसी तीसरे पक्ष की प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति को नुकसान पहुंचेगा, उसे तब तक नहीं दिया जा सकता, जब तक कि सक्षम प्राधिकारी संतुष्ट न हो जाए कि बड़े सार्वजनिक हित के लिए ऐसी जानकारी का खुलासा किया जाना जरूरी है।’ अंजलि भारद्वाज का कहना है कि चुनावी बॉन्ड से जुड़ी कार्यप्रणाली की मांग इसलिए की गई थी क्योंकि उन्हें इस बात को लेकर चिंता थी कि एसबीआई इन बॉन्ड्स से जुड़े लेन-देन का डेटा कैसे मैनेज करता है। चिंता इस बात को लेकर थी कि कहीं बॉन्ड खरीदने और भुनाने वाले दोनों पक्षों के लिए यूनिक नंबर रिकॉर्ड तो नहीं कर रहा है, जिससे बॉन्ड की ट्रैकिंग हो सके।