जांच समिति गठित, जिला परिषद की करेगी जांच
सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य में महायुति सरकार हो या केंद्र में मोदी सरकार के कार्यकाल में जमकर घोटाले हो रहे हैं। लगभग हर परियोजना में कहीं न कहीं घोटाला सामने आ रहा है। अब जल जीवन मिशन में बड़ा घोटाला सामने आया है। मात्र रत्नागिरी जिले में जलजीवन मिशन के अंतर्गत किए जा रहे कार्यों में करीब ६०० करोड़ रुपए से अधिक के भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप लगा है। यह खुलासा आरटीआई कार्यकर्ता स्वप्निल खैर की शिकायत के बाद हुआ है, जिसके चलते जिला प्रशासन अब सतर्क हो गया है। इस मामले की जांच के लिए चार सदस्यीय समिति गठित की गई है, जो रत्नागिरी जिला परिषद में जाकर जांच करेगी।
जलजीवन योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों के सभी घरों तक निजी नल कनेक्शन द्वारा सुरक्षित और पर्याप्त जल आपूर्ति करने का शासन का उद्देश्य था, लेकिन योजना के बावजूद लोगों तक पानी नहीं पहुंच पाया और इसके बदले इसमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की बात सामने आई है। इस वजह से कई जगहों पर काम अधूरा पड़ा है और लोगों को पानी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। इस मामले में अब ६०० करोड़ रुपये के घोटाले की आशंका जताई जा रही है।
आरटीआई के जरिए यह भी सामने आया है कि जलजीवन मिशन योजना के नाम पर भारी मात्रा में फंड की बर्बादी की गई है और कई कार्य केवल कागजों पर ही पूरे दिखाए गए हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि यह सारा भ्रष्टाचार ठेकेदारों और प्रशासन की मिलीभगत से हुआ है। अब पूरे जिले की जनता की नजर इस पर है कि इस मामले के दोषियों के खिलाफ आखिर क्या कार्रवाई की जाएगी।
प्रशासन ने अब कार्रवाई शुरू की
प्रशासन ने अब कार्रवाई शुरू की है। गठित विशेष समिति में उप अभियंता संजय दिपंकर, सेवानिवृत्त उप अभियंता प्रवीण म्हात्रे, लेखाधिकारी चंद्रसेन शिंदे तथा उप लेखापाल दिनेश पोल शामिल हैं। इन्हें राज्य के पानी व स्वच्छता मिशन कार्यालय, बेलापुर में जांच के लिए बुलाया गया है। जांच के बाद विस्तृत रिपोर्ट जमा करने के आदेश दिए गए हैं।