सुरेश मिश्र
कागा बोले काहें न अटरिया हो रामा
पिया कब अइहैं?
चईत चुरत बाटइ, जरे मोरा मनवां,
देहियां क तापमान जइसे अदहनवां,
धूं-धूं करे दिल कइ नगरिया हो रामा
पिया कब अइहैं?
बोझ लागे जिनगी, पताएला सरिरिया,
पिया परदेसव, चलाए के दंवरिया?
धनि छटपटाए जस मछरिया हो रामा,
पिया कब अइहैं?
सखी री, गरम लागे, निमिया क छइयां,
शुकवा न लागि जाए मोरी अमरइया,
जेके देखा फाने बाटइ ररिया हो रामा,
पिया कब अइहैं?
रहिया लखत थकलीं फागुन महिनवां,
अगिया लगाए बाटइ मन मा मदनवां,
काटि खाए हमके सेजरिया हो रामा,
पिया कब अइहैं?
जिया जारे पिहा-पिहा, पपिहा क बोलिया,
हमरा करेजा छीलइ कजरी कोयलिया,
भौंरा भनभनाएं हर डगरिया हो रामा,
पिया कब अइहैं?
केतना सतइब्या हमके सजना सुरेश हो,
चिरई न चुगि जाए, चलि आवा देश हो,
जोहि-जोहि झार्इं भइ नजरिया हो रामा,
पिया कब अइहैं?
कागा बोले काहें न अटरिया हो रामा
पिया कब अइहैं?