-१० साल में मोदी सरकार ने लिया १५० लाख करोड़ का कर्ज कांग्रेस ने उठाया सवाल
सामना संवाददाता / मुंबई
मोदी राज में न तो महंगाई कम हुई है और न ही बेरोजगारी…। महंगाई और बेरोजगारी के बढ़ने के साथ-साथ मोदी राज में देश पर कर्ज का बोझ भी बढ़ गया है। ये बात तो तय है कि मोदी सरकार ने महज दस सालों में भारत पर तीन गुना कर्ज बढ़ा दिया है। कांग्रेस हर बार यह आरोप लगा चुकी है कि अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति के लिए मोदी सरकार का `आर्थिक कुप्रबंधन’ जिम्मेदार है। आंकड़े बताते हैं कि मोदी सरकार ने पिछले १० वर्षों में २०५ लाख करोड़ का कर्ज लिया है। दरअसल, भारत सरकार मौजूदा वित्त वर्ष में १४ लाख करोड़ से अधिक का कर्ज लेने जा रही है। आश्चर्य की बात तो यह है कि आजादी के बाद से वर्ष २०१४ तक, ६७ सालों में देश पर कुल कर्ज ५५ लाख करोड़ था। पिछले १० वर्ष में अकेले मोदी जी ने इसे बढ़ाकर २०५ लाख करोड़ पहुंचा दिया। मोदी सरकार ने बीते १० साल में लगभग १५० लाख करोड़ कर्ज लिया। इससे ये साफ पता चलता है कि आज देश के हर नागरिक पर लगभग डेढ़ लाख रुपए का औसत कर्ज बनता है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर मोदी सरकार ने इतने बड़े कर्ज का यह पैसा राष्ट्रनिर्माण के किस काम में लगाया?
बता दें कि हाल ही में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भी भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की, १४ लाख करोड़ रुपए से अधिक उधार लेने के उनके प्रस्ताव को लेकर आलोचना की और सवाल किया कि सरकार राहत देने के बजाय ‘लोगों को कर्ज के बोझ तले दबा रही है, जबकि उन पर पहले से ही ‘बेरोजगारी, महंगाई और आर्थिक संकट का बोझ है। है। प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘वित्त मंत्रालय का कहना है कि भारत सरकार मौजूदा वित्त वर्ष में १४ लाख करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज लेने जा रही है। मोदी सरकार ने पिछले १० वर्षों में लगभग १५० लाख करोड़ कर्ज लिया।
आखिर मोदी सरकार ने क्यों लिया कर्ज?
दरअसल, पिछले १० सालों में ना तो नौकरियां बढ़ीं और न ही किसानों की आमदनी दोगुनी हुई न स्कूल और अस्पताल चमक उठे और न ही बड़ी-बड़ी पैâक्ट्रियां और उद्योग लगाए गए? फिर मोदी सरकार ने कर्ज क्यों लिया?