मंगलेश्वर त्रिपाठी
केराकत, जौनपुर। देश में विकास की गंगा बह रही है। लोग सरकार की तरफ से दी जा रही तमाम योजनाओं का लाभ ले रहे हैं। ऐसे में एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जिसे देखकर आपको बेहद अफसोस होगा। आप यह सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि आखिर विकास की गंगा किस ओर बह रही है, जब सही और पात्र लोगों तक योजनाएं पहुंच ही नहीं है। क्या यह बस एक छलावा है जो केवल कागजों तक ही सीमित है? क्या आप शौचालय में रहने वाले किसी परिवार की कल्पना कर सकते हैं? यह सुनकर ताज्जुब हो रहा होगा, मगर यह आजाद भारत का कड़वा सच है। इस परिवार की दुर्दशा देखकर एक बार शायद आपको भी दया आ जाएगी।
केराकत तहसील क्षेत्र के सेनापुर ग्रामसभा के दाऊदपुर पुरवे की रहने वाली गीता देवी 50 वर्ष पत्नी रामाश्रय यादव जो अपने नाबालिग पुत्र रितेश यादव के साथ शौचालय में रहती हैं। परिवार की माली हालत काफी खराब है। गरीबी और रहने के लिए जगह के अभाव ने इस परिवार को शौचालय में ही गुजारा करने को मजबूर कर दिया है। चाहे भीषण ठंड हो या भीषण बारिश, शौचालय ही पनाहगार है और पेड़ ही उसकी छत। यह परिवार लगभग 10 वर्षों से यहां अपना जीवन बसर कर रहा है।
गीता देवी ने बताया कि पति का निधन हुए 14 वर्ष हो गए हैं। पहले हम लोग मिट्टी के बने घर में रहती थे लेकिन बारिश के कारण उनका पूरा घर ध्वस्त हो गया, जिसके बाद परिवार के पास रहने के लिए कोई जगह नहीं थी। थक-हारकर गरीब परिवार ने सरकारी शौचालय में रहने का रास्ता चुना। इस शौचालय में पूरे परिवार के लिए गृहस्थी का सारा सामान रखा जाता है, खुले आसमान के नीचे खाना पकाती है और खाती है। फिर वहीं बगल में दो चारपाई के बीच में सो जाती है। शौचालय व राशन कार्ड के अलावा इस गरीब परिवार को किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला है। विडंबना तो देखिए कि इस परिवार को अंत्योदय कार्ड जरूरत है मगर पात्र गृहस्थी कार्ड बनवाया गया है, जिस पर प्रति यूनिट पांच किलो राशन मिलता है। परिवार में दो सदस्य हैं और राशन कार्ड पर केवल एक ही सदस्य का नाम है। जरा सोचिए क्या पांच किलो राशन से महीने भर का भरण पोषण हो सकता है? हालांकि गीता देवी का पुत्र इस समय शहर में रह रहा है लेकिन असल में उन्हें राशन कार्ड से ज्यादा सरकारी आवास की जरूरत है।
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अंत्योदय कार्ड की जगह बनाया गया है पात्र गृहस्थी कार्ड