सामना संवाददाता / मुंबई
विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा-शिंदे-दादा गुट में सीटों के बंटवारे को लेकर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मिलकर अजीत पवार के साथ गेम कर दिया। परिणाम स्वरूप दादा की स्थिति यह हो गई है कि दादा न घर के रहे न घाट। बताया जाता है कि भाजपा ने अपने सहयोगियों के साथ सीट बंटवारे को लगभग फाइनल कर लिया है। सीट बंटवारे में भाजपा सबसे ज्यादा १५०-१५५, शिंदे गुट ८०-८५ और अजीत पवार गुट ५५-६० सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। तीनों ही पार्टियां जल्द ही इसकी आधिकारिक घोषणा करेंगी।
दादा के साथ क्यों हुआ खेल
उप मुख्यमंत्री अजीत पवार के साथ गेम होने के कई कारण हैं। जिसमें प्रमुख रुप से मुख्यमंत्री पद की दावेदारी खुलकर कर चुके है। इतना ही नहीं गत २५ सितंबर को एक कार्यक्रम में उन्होंने मुख्यमंत्री बनने की इच्छा भी प्रकट की थी। इसलिए भाजपा अजीत पवार को ज्यादा सीटें नहीं देना चाहती है, क्योंकि बीजेपी को लगता है कि ज्यादा सीट देने पर अगर अजीत गुट के विधायकों की संख्या बढ़ जाती है तो चुनाव के बाद वे सीएम पद की खुलकर डिमांड कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में बीजेपी के पास कोई ऑप्शन नहीं होगा।
भाजपा की सीटों पर दादा का दावा
पश्चिम महाराष्ट्र और मुंबई की अधिकांश उन सीटों पर अजीत पवार दावा ठोक रहे हैं, जहां बीजेपी का जनाधार रहा है। इतना ही नहीं, सेटिंग-गेटिंग के फॉर्मूले पर अजित जिन सीटों को मांग रहे हैं। उनमें भी करीब एक दर्जन सीटें ऐसी हैं, जहां पर बीजेपी की दावेदारी रही है। लोकसभा चुनाव में दादा गुट के खराब प्रदर्शन सहित कई कारण हैं जिसके कारण भाजपा ने अजीत पवार गुट का गेम कर दिया है।
भाजपा में हो सकती है बगावत!
महाराष्ट्र में सरकार बनाने की कोशिशों में जुटी बीजेपी की मुसीबतें मुंबई में कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। मुबई में विधानसभा टिकट के कई दावेदारों ने खुलेआम मोर्चा खोल दिया है। मुंबई में विधानसभा की कुल ३६ सीटें हैं, जो सरकार बनाने के लिए काफी अहम मानी जाती हैं। बीजेपी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक पार्टी के चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव के सामने कम से कम ४ ऐसी सीटें आई हैं, जहां पार्टी के ही दिग्गज नेता एक-दूसरे के खिलाफ ही बगावत करने को तैयार हैं। इनमें बोरीवली, घाटकोपर पूर्व, विले पार्ले जैसी हॉट सीट शामिल हैं। उदाहरण के लिए घाटकोपर पूर्व से पूर्व मंत्री प्रकाश मेहता यहां के वर्तमान विधायक पराग शाह के बदले खुद चुनाव लड़ना चाहते हैं। २०१९ में प्रकाश का टिकट काटकर पराग को दे दिया गया था। प्रकाश मेहता उस वक्त चुप रह गए थे, लेकिन अब टिकट को लेकर मजबूत दावेदारी कर रहे हैं। इस बार प्रकाश मेहता आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। इसी तरह का हाल बोरीवली और विले-पार्ले सीट की है।
२०१९ में बीजेपी मुबंई की ३६ में से १६ सीटों पर चुनाव लड़ी थी। बाकी की २० सीटों पर शिवसेना ने उम्मीदवार उतारे थे। इस बार इन ३६ सीटों पर तीन पार्टियों का दावा है। वहीं अजीत पवार की पार्टी तो उन सीटों पर दावा कर रही है, जिस पर बीजेपी पिछली बार चुनाव लड़ी थी।