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शिंदे सरकार की आर्थिक हालत खस्ता… राज्य के ठेकेदारों का चौदह हजार करोड़ बकाया!

सामना संवाददाता / मुंबई

राज्य के विकास का दावा करने वाली शिंदे सरकार की आर्थिक हालत इतनी खस्ता हो गई है कि वह विकास कार्यों के कामों का पैसा देने में भी असमर्थ साबित हो रही है। बताया जाता है कि सार्वजनिक निर्माण विभाग के अंतर्गत काम करनेवाले ठेकेदारों का तकरीबन १४ हजार करोड़ रुपए शिंदे सरकार पर बकाया है। बताया जाता है कि सार्वजनिक निर्माण विभाग के माध्यम से ६५ हजार करोड़ रुपए के कार्यादेश जारी किए गए हैं, लेकिन ठेकेदारों द्वारा पहले से ही किए गए विकास कार्यों का बिल तकरीबन १४ हजार करोड़ रुपए बकाया है। ठेकेदारों का पहले से ही १४ हजार करोड़ रुपए का बिल बकाया है, इस बीच ६५ हजार करोड़ का कार्यादेश जारी करके सार्वजनिक निर्माण विभाग ने ठेकेदारों को पशोपेस में डाल दिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, पिछले दो वर्षों (मार्च २०२२ मार्च २०२४) के बीच करीबन ११ हजार करोड़ रुपए के बिल ठेकेदारों के बकाया हैं। बताया जाता है कि मार्च २०२४ में ठेकेदारों को काम का सिर्फ ८ से १० फीसदी बिल का भुगतान किया गया था। इस संदर्भ में हाल ही में मंत्रालय में ठेकेदार संघ के पदाधिकारियों और सचिव के बीच बैठक हुई थी।

फंड और कार्यों के बीच अंतर
हालांकि, सरकार ने बड़ी संख्या में काम शुरू किए हैं, लेकिन इसके लिए किए गए प्रावधानों में भारी अंतर है इसलिए अगर इसे स्वीकार भी कर लिया गया तो ठेकेदारों को इसे पूरा करने में बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। राज्य की सड़कों का बजट २,७०० करोड़ रुपए है और लंबित बिल ४,०९० करोड़ रुपए हैं। प्रमुख जिला सड़कों का बजट ५,२०८ करोड़ रुपए है और लंबित बिल ६,६५५ करोड़ रुपए है। २०२३-२४ की बजट में सार्वजनिक निर्माण विभाग के लिए १९ हजार ८०० करोड़ का प्रावधान किया गया था। इसके साथ ही अनुपूरक बजट में १८ हजार करोड़ रुपए की बढ़ोतरी की गई थी। ६० हजार करोड़ की लागत के कार्यों की शेष राशि की उपलब्धता को लेकर ठेकेदारों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।

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