-हाई कोर्ट ने लगाई फटकार
-एससी के आदेश पर सू मोटो लेकर अधिनियम की करेगी समीक्षा
सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य में सरकार मुंबई में झोपड़पट्टी पुनर्वसन की बात तो बहुत करती है लेकिन वास्तव में झोपड़पट्टी पुनर्वसन क्षेत्रों के विकास को लेकर गंभीर नहीं है। राज्य की ईडी सरकार झोपड़पट्टी पुनर्वसन के नाम पर खिलवाड़ कर रही है। सरकार के पास मुंबई में झोपड़पट्टियों के सही आंकड़े ही नहीं हैं, जिसे लेकर मुंबई हाई कोर्ट ने चिंता व्यक्त करते हुए राज्य सरकार, मनपा और एसआरए विभाग के प्रति कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। साथ ही उन्हें अपडेटेड आंकड़े जुटाने का निर्देश दिया है।
हाई कोर्ट के अनुसार, यह मामला एक व्यापक चिंता का विषय है, राज्य सरकार, एसआरए और मनपा के पास यह आंकड़े होना जरूरी है। कोर्ट ने मुंबई में झोपड़पट्टी के आंकड़ों के साथ सभी संबंधित सरकारी, अर्द्धसरकारी, निजी जमीनों पर भी चल रही परियोजनाओं आदि का पूरा विवरण जुटाने का निर्देश दिया है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने झोपड़पट्टी पुनर्वसन को लेकर प्रलंबित मामलों की सुनवाई के दौरान चिंता व्यक्त करते हुए हाई कोर्ट को समीक्षा करने और प्रलंबित मामलों की सुनवाई के निर्देश दिए। साथ ही स्वयं संज्ञान में लेकर एसआरए एक्ट की भी समीक्षा करने का निर्देश दिया। एसआरए के तहत १,६०० से अधिक मामले सिर्फ हाई कोर्ट में प्रलंबित हैं। जिसके बाद हाई कोर्ट ने एसआरए और मनपा को आंकड़े पेश करने का निर्देश दिया, लेकिन मनपा और एसआरए के पास ताजा आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।
मनपा की ओर से वरिष्ठ वकील मिलिंद साठे ने २०१९ का डेटा पेश किया जो सिटीस्पेस नामक निजी संस्था द्वारा दायर एक जनहित याचिका के जवाब में एकत्र किया गया था। लेकिन कोर्ट ने इसे नकार दिया है और नए आंकड़े पेशकरने के निर्देश दिए है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस संदर्भ में ३० जुलाई को मुंबई हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से इसके लिए एक विशेष खंडपीठ गठित करने को कहा था। हाई कोर्ट के जस्टिस फिरदौस पूनावाला और गिरीश कुलकर्णी की पीठ का गठन १२ अगस्त को किया गया था।