– जोरों पर चल रही है इस्तीफे की मांग
रामदिनेश यादव / मुंबई
राज्य के वरिष्ठ मंत्री धनंजय मुंडे बीड में सरपंच देशमुख की हत्या मामले में घिरते जा रहे हैं। धनंजय मुंडे ने पहले वाल्मीक कराड का समर्थन खुले तौर पर किया था, लेकिन अब वही बयान उनके लिए मुसीबत बन रहा है। हालात ऐसे हो गए हैं कि जिस पार्टी के साथ वे सरकार में हैं, उसी की शिंदे गुट के विधायकों ने उनके इस्तीफे की मांग कर दी है। शिंदे गुट के नेता अब अजीत पवार गुट पर दबाव के लिए मुंडे को मंत्रिमंडल से हटाने की मांग कर रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, शिंदे गुट के नेता मानते हैं कि धनंजय मुंडे के कारण सरकार की छवि खराब हो रही है। ऐसे में जब तक जांच पूरी न हो, उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए था। लेकिन अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि इस्तीफे की जिम्मेदारी कौन लेगा। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का कहना है कि जैसे-जैसे सबूत मिलेंगे, कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, इस्तीफे के सवाल पर फडणवीस और अजीत पवार दोनों ही एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालते नजर आ रहे हैं।
धनंजय मुंडे के इस्तीफे की मांग सिर्फ विपक्ष नहीं, बल्कि सत्ता पक्ष के विधायक भी कर रहे हैं। विधायक सुरेश धस ने उन पर सीधे भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। कृषि घोटाले में अजीत पवार ने जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने बीड के जिलाधिकारी को मुंबई बुलाकर पूरे वित्तीय लेन-देन के दस्तावेज पेश करने को कहा है। इस स्थिति में यह साफ हो गया है कि धनंजय मुंडे की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं। शिंदे गुट के नेता अब इस मुद्दे का इस्तेमाल अजीत पवार को घेरने के लिए कर सकते हैं। इससे महायुति के अंदर राजनीतिक समीकरण और ज्यादा पेचीदे हो सकते हैं।
खत्म होगी राजनीतिक पहचान!
धनंजय मुंडे दिवंगत भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे के भतीजे और मौजूदा मंत्री पंकजा मुंडे के चचेरे भाई हैं। उनकी यह पहचान राजनीतिक विरासत को दर्शाती है, लेकिन अब विपक्ष उनकी इस पहचान को बदलने की कोशिश कर रहा है। उन पर हफ्ता वसूली, जबरन उगाही और वाल्मीक कराड को राजनीतिक संरक्षण देने के आरोप लग रहे हैं। चाहे वह सांसद बजरंग सोनवणे हों, विधायक सुरेश धस हों या पूर्व मंत्री जीतेंद्र आव्हाड सभी जमकर आरोप लगा रहे हैं।