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‘बेचारे’ बन गए शिंदे! …ठाणे पालक मंत्री पद भी खतरे में …जिले में ९ सीटें जीतनेवाली भाजपा ने ठोका दावा

सुनील ओसवाल / मुंबई
राज्य में मुख्यमंत्री और गृह मंत्री पद को लेकर चल रहे सियासी विवाद के बीच एक नई खबर ने एकनाथ शिंदे को और ज्यादा परेशान कर दिया है। ठाणे जिले को शिंदे अपना गढ़ मानते हैं इसलिए वहां के पालक मंत्री पर अपना हक समझते हैं। मगर अब ठाणे के पालक मंत्री का पद भी खतरे में है। वहां के पालक मंत्री पद पर भाजपा ने अपना दावा ठोक दिया है। मुख्यमंत्री और गृह मंत्री पद के हाथ से फिसलने के बाद शिंदे के लिए यह एक और झटका साबित हो रहा है। ऐसे में जीतने के बाद भी शिंदे बेचारे बन गए हैं।
विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अब ठाणे जिले के पालक मंत्री पद को लेकर भी विवाद शुरू हो गया है। इस पद पर भाजपा के तीन विधायकों ने दावा ठोक दिया है। ये हैं रवींद्र चव्हाण, किसन कथोरे और संजय केलकर। ऐसे में राजनीतिक पंडितों का अनुमान है कि ठाणे में भाजपा-शिंदे के बीच की तकरार बढ़ेगी। ऐसे में यदि शिंदे को शहरी विकास विभाग मिलता है तो इसका असर भाजपा के प्रभुत्व वाले जिलों में चल रहे कार्यों पर पड़ सकता है। बता दें कि भाजपा द्वारा ठाणे जिले में १०० फीसदी स्ट्राइक रेट रखने के बाद अब पार्टी ठाणे जिले के पालक मंत्री के लिए बेचैन हो गई है।

शिंदे को भंवर में छोड़
ठाणे मनपा का चुनाव
अकेले लड़ सकती है भाजपा!

हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने ठाणे जिले की नौ में से नौ सीटें जीतीं, जबकि शिंदे गुट को सात में से छह सीटों पर सफलता मिली है। ऐसे में भाजपा इस जिले के पालक मंत्री पद को हथियाने की ताक में है। राज्य में भाजपा एक बार फिर नंबर वन पार्टी बन गई है, ऐसे में अब ठाणे जिले में भी भाजपा की ओर से पालक मंत्री पद की मांग जोर पकड़ रही है। इसके अलावा भाजपा ने स्थानीय पदाधिकारियों को ठाणे मनपा चुनाव पूरी ताकत से लड़ने का आदेश दिया है। सुनने में आ रहा है कि भाजपा यहां से अकेले चुनाव लड़ने पर मंथन कर रही है। गौरतलब है कि ढाई साल पहले राज्य में महायुति सरकार आने के बाद भाजपा की ओर से ठाणे जिले का संरक्षक मंत्री पद पाने का दबाव डाला गया था, लेकिन शिंदे गुट ठाणे जिले के पालक मंत्री पर अपनी पकड़ बनाए रखने में सफल रहा। बता दें कि पिछले ढाई साल में ठाणे और पालघर जिलों में २५ से २८ हजार करोड़ रुपए के काम शुरू किए गए हैं। नई सरकार में यह खाता किसके पास होगा, इसे लेकर खींचतान चल रही है और अगर यह खाता किसी अन्य नेता के पास जाता है, तो क्या नए शहरी विकास मंत्री उतनी ही धनराशि देंगे, जितनी शिंदे ने ठाणे-पालघर जिले को दी थी, इस पर संदेह है। इसके चलते शिंदे गुट के कई विधायक, पूर्व नगरसेवक और पदाधिकारी पहले शुरू किए गए कार्यों को लेकर आशंकित हैं।

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