सामना संवाददाता / मुंबई
‘ईडी’ २.० सरकार में भारी उथल-पुथल मची हुई है। शिंदे और फडणवीस का टशन खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। अब एक बार फिर सीएम फडणवीस ने डिप्टी सीएम शिंदे को झटका दिया है। सीएम फडणवीस ने डिप्टी सीएम शिंदे को राज्य ‘आपदा प्रबंधन प्राधिकरण’ (एसडीएमए) से आउट कर दिया है। शिंदे की जगह वहां पर दूसरे डिप्टी सीएम अजीत दादा की एंट्री हो गई है। इससे राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। कहा जा रहा है कि शिंदे को फडणवीस ने फुल (सीएम) से हाफ (डिप्टी सीएम) कर दिया। इसके बाद गृह मंत्रालय न देकर क्वाटर कर दिया था और अब उनका कद क्वाटर से छटाक भर रह गया है।
‘महायुति’ में दरार!
‘ईडी’ २.० में शिंदे के पर
कतरने का सिलसिला है जारी
शिंदे को इस कमेटी से बाहर किए जाने के बाद सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन में दरार की अटकलें तेज हो गई हैं। २००५ में मुंबई में आई विनाशकारी बाढ़ के बाद गठित आपदा प्रबंधन प्राधिकरण मुख्यमंत्री के नेतृत्व में आपातकालीन प्रतिक्रियाओं के समन्वय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हाल ही में जारी एक आदेश के अनुसार, महाराष्ट्र सरकार ने एसडीएमए का पुनर्गठन किया है। राज्य की मुख्य सचिव सुजाता सौनिक प्राधिकरण की सीईओ हैं, जिसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस हैं। उप मुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजीत पवार को एसडीएमए में शामिल किया गया है। शहरी विकास विभाग के प्रमुख पूर्व सीएम शिंदे को नौ सदस्यीय निकाय से बाहर रखा गया है।
फडणवीस-शिंदे में टकराव
शहरी विकास विभाग आपदा प्रतिक्रिया प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अधिकारी और बुनियादी ढांचा राहत और पुनर्वास कार्य के समन्वय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके बावजूद, शिंदे को प्रमुख एजेंसी में जगह नहीं दी गई है, जिससे ‘महायुति’ सरकार के भीतर दरार की अटकलों को बल मिला है, जिसमें भाजपा, शिंदे गुट और अजीत पवार गुट शामिल हैं। राजनीति के जानकार इसे फडणवीस और शिंदे के बीच सत्ता संघर्ष की अटकलों के बीच एक और टकराव के बिंदु के रूप में देखते हैं।
जानकारों का मानना है कि शिंदे को राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से बाहर रखा जाना दोनों नेताओं शिंदे और फडणवीस के बीच बढ़ती असहजता का संकेत है। पिछले साल नवंबर में हुए विधानसभा चुनावों के बाद सरकार गठन के बाद से ही शिंदे नाराज चल रहे हैं।
हालांकि, भाजपा के एक वरिष्ठ मंत्री के अनुसार, फडणवीस और शिंदे के बीच कोई बड़ा मतभेद नहीं है। हालांकि, यह सभी जानते हैं कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से शिंदे, भाजपा और फडणवीस से परेशान हैं। शिंदे ने उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने का पैâसला करने से पहले ‘काफी समय’ लिया, इसके बाद वैâबिनेट मंत्रियों के नाम तय करने और पालक मंत्रियों को जिम्मेदारी आवंटित करने में देरी हुई।