रामदिनेश यादव / नागपुर
नागपुर में आयोजित विधानमंडल के शीतकालीन सत्र की पूर्व संध्या पर हुए महायुति सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार के बाद एकनाथ शिंदे गुट में विद्रोह की चिंगारी भड़क उठी है। मंत्री नहीं बनाए जाने से दर्जन भर विधायक नाराज हैं। इनमें से कई खुलकर अपनी नाराजगी प्रकट कर रहे हैं। उप मुख्यमंत्री शिंदे की हालत ऐसी है कि उनका `दिन का चैन और रात की नींद हराम’ हो गई है। उनका लटका हुआ चेहरा यह बयां करता है कि पार्टी में विद्रोह की चिंगारी बड़ी आग में तब्दील हो रही है। ऐसे हालात में शिंदे कल मीडिया के सामने आए और सब कुछ ठीक होने का दावा किया, लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है। भाजपा ने एकनाथ शिंदे के रुतबे को कम करते हुए उन्हें उप मुख्यमंत्री बनाया। हालांकि, अभी भी वे मुख्यमंत्री के भ्रम से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं।
शिंदे गुट ने विधानसभा चुनावी नतीजे आने के बाद यह भ्रम पाल लिया था कि भाजपा फिर से उन्हें मुख्यमंत्री बनाएगी और उनके सभी करीबी विधायकों को मंत्री बनाया जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं, जिसके चलते शिवसेना से गद्दारी कर भाजपा के साथ आए शिंदे गुट के कई नेताओं को झटका लगा है। उनमें भाजपा के प्रति नाराजगी की चिंगारी अब धीरे-धीरे बड़े विद्रोह के रूप में आगे बढ़ रही है। पिछली सरकार में मंत्री रहे तानाजी सावंत, दीपक केसरकर, अब्दुल सत्तार के अलावा मंत्री पद की शपथ लेने के लिए कोट सिलवा चुके विधायक विजय शिवतारे, प्रकाश सुर्वे, नरेंद्र भोंडेकर खुलकर अपनी नाराजगी प्रकट कर चुके हैं। सूत्रों के अनुसार, ये लोग अब एक गुट में तब्दील हो रहे हैं। ऐसे में शिंदे गुट के नाराज विधायक एवं पूर्व मंत्रियों की टोली किसी भी समय झटका दे सकती है।
विधायकों की नाराजगी नहीं संभाल पा रहे हैं शिंदे
शिंदे इन नाराज नेताओं को मनाने में जुटे हैं, लेकिन जानकारों की मानें तो वे उन्हें संभाल नहीं पा रहे हैं। एक तरफ शिंदे सफाई दे रहे हैं कि कोई नाराज नहीं है, सब कुछ ठीक है, लेकिन हकीकत कुछ और है जो जल्द ही सबके सामने आने वाली है।
मानसिक रूप से त्रस्त
भाजपा का धोबी पछाड़ खाकर मुख्यमंत्री से शिंदे अभी भी मुख्यमंत्री का भ्रम पाले हुए हैं। उनके आस-पास के गुर्गे और लाव-लश्कर भी इसी बात का एहसास भी कराता है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। सूत्रों की मानें तो मानसिक रूप से त्रस्त हो गए हैं, वैसे उनके पास भाजपा से चिपकने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है।