रामदिनेश यादव / मुंबई
आगामी विधानसभा महायुति सरकार में अस्वस्थता बढ़ गई है। एक तरफ जहां सत्ता में शामिल तीनों दल भविष्य में एक साथ चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ कई मामलों में उनके बीच अभी से अनबन नजर आ रही है। जानकारों की मानें तो यह अनबन सीट शेयरिंग और मंत्रिमंडल में मनमाने निर्णयों को लेकर बताई जा रही है। अपने- अपने वोट बैंक और समर्थकों को बचाने की होड़ में महायुति भीतर महाशीत युद्ध शुरू है। ऐसे में भाजपा और अजीत पवार के दबाव के चलते एकनाथ शिंदे की तबीयत भी खराब होने लगी है। पिछले एक सप्ताह में दो से तीन बार वे बीमार पड़ गए, जिसकी वजह से सीएम एकनाथ शिंदे मंत्रिमंडल की बैठक सहित कई सभाओं में नहीं जा पाए। ऐसी चर्चा है कि राज्य में भाजपा और अजीत पवार गुट के दबाव तंत्र से शिंदे की राजनीति अब बीमार होने लगी है। नतीजन उनकी बीमार राजनीति (सिक पॉलिटिक्स) काफी सुर्खियों में आ गई है। शिंदे की बीमार पॉलिटिक्स को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। शिंदे अस्वस्थ्यता के चलते मंगलवार को वैâबिनेट की बैठक में भी नहीं आ पाए। कैबिनेट की बैठक भी पोस्टपोंड कर दी गई।
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि महायुति में इन दिनों खटपट चल रही है तीनों दल एक दूसरे को दबाने में जुटे हैं। सीटों के बंटवारे के मामले में भाजपा ने अजीत पवार और एकनाथ शिंदे गुट को काफी हद तक दबा दिया है। चुनाव को लेकर पूरा नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है। ऐसे में शिंदे खुद आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। दूसरी तरफ उनके नेतागण का उनपर काफी दबाव है जिसके चलते सीएम बीच में पिस रहे हैं। ऐसे में शिंदे का बीमार होना स्वाभाविक है।
सत्ताधारी भी कर रहे हैं आंदोलन
राज्य की असंवैधानिक सरकार के शासन में जनता परेशान है लोगों का काम नहीं हो रहा है सरकारी कार्यालयों में लोग चक्कर काट कर थक जा रहे हैं। आम जनता की बात तो छोड़िए, भाजपा के नेताओं का भी काम नहीं हो रहा है। यह शिकायत लेकर सत्ताधारी भाजपा के पूर्व नगरसेवक विनोद मिश्रा ने मनपा के अतिरिक्त आयुक्त के खिलाफ आंदोलन किया। उन्होंने आरोप लगाया कि पोस्ट ऑफिस खुलवाने के लिए मंजूरी के लिए प्रस्तावित उनकी फाइल लगभग दो महीने से आगे नहीं बढ़ी है। अतिरिक्त आयुक्त उन्हें मिलने का समय तक नहीं दे रहे हैं।