मुख्यपृष्ठसमाचारशिवसेना ने फेरीवाला नीति’ लागू करने के लिए मनपा को दिया पत्र

शिवसेना ने फेरीवाला नीति’ लागू करने के लिए मनपा को दिया पत्र

 

राधेश्याम सिंह / वसई

वसई-विरार में रोड के किनारे फेरीवाले धंधा लगाते हैं, जिससे वहां पर आने जाने वाले वाहनों की लंबी कतारें लग जाती है और ट्रैफिक जाम लग जाता है। वसई-विरार मनपा अंतर्गत फेरीवाला नीति न होने के कारण फेरीवालों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है, जिससे ट्रैफिक समस्या के साथ ही साथ जन सुरक्षा का मुद्दा खड़ा हो गया है। फेरीवालों की बढ़ती संख्या को नियंत्रित करने के लिए जल्द से जल्द वसई-विरार महानगरपालिका क्षेत्र में ‘फेरीवाला नीति’ लागू की जानी चाहिए, ऐसा वसई-विरार महानगरपालिका के पूर्व स्थायी समिति सदस्य और शिवसेना (उद्धव बालासाहब ठाकरे) उपजिला प्रमुख किशोर पाटिल और कई पदाधिकारियों ने मनपा अतिरिक्त संजय हेरवाडे से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की और उन्हें इस मांग का ज्ञापन सौंपा है।

राज्य सरकार ने 2014 में शहरों में राष्ट्रीय फेरीवाला नीति लागू करने का आदेश दिया था। इसके अनुसार वसई-विरार महानगरपालिका ने फेरीवालों का बायोमेट्रिक सर्वेक्षण पूरा कर लिया था। इसमें 12 हजार 768 स्थायी फेरीवालों और 2 हजार 388 अस्थायी फेरीवालों का बायोमेट्रिक तरीके से पंजीयन किया गया है। लेकिन फेरीवाला नीति को लेकर मनपा द्वारा कोई निर्णय नहीं लिए जाने के कारण फेरीवाला नीति अभी भी अधर में लटकी हुई है। मनपा हमेशा यही कहती है कि नीति को अंतिम रूप देने का काम चल रहा है।

जबकि किशोर पाटील ने बताया कि शहर की योजना और विकास की योजना नगर नियोजन विभाग द्वारा बनाई जाती है, इसलिए सर्वेक्षित हॉकरों के लिए जोन बनाने का काम नगर नियोजन विभाग को ही करना होगा, ऐसा दीनदयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डीई-एनयूएलएम) विभाग का कहना है, ‘हॉकर नीति’ को लागू करने में कठिनाई हो रही है।वसई-विरार शहर महानगरपालिका के अंतर्गत 2017 के बाद अद्यतन फेरीवालों का बायोमेट्रिक पुनः सर्वेक्षण, पंजीकरण, पहचान पत्र और बिक्री प्रमाण पत्र जारी करने और संबंधित खर्चों के लिए डी-एनयूएलएम विभाग ने प्रशासनिक और वित्तीय मंजूरी मांगी है। नगर प्रशासन निदेशालय (डीएमए) ने इस सर्वेक्षण को मंजूरी दे दी है। इसके लिए आवश्यक निधि की व्यवस्था महानगरपालिका को करनी है। डी-एनयूएलएम विभाग ने बताया कि प्रत्येक वार्ड समिति के लिए अनुमानित लागत 10 लाख रुपये है, यानी 9 वार्ड समितियों के लिए 90 लाख रुपये खर्च होगे।सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार नगर विकास विभाग ने ‘सी’ श्रेणी महानगरपालिका क्षेत्र के लिए सिटी हॉकर समिति तथा वार्ड हॉकर समिति गठित करने तथा राज्य के नगरीय क्षेत्रों में फेरीवालों के संबंध में राष्ट्रीय हॉकर नीति-2009 में आवश्यक संशोधन के संबंध में आगे की कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।

साथ ही महाराष्ट्र सरकार के नगर विकास विभाग के माध्यम से स्ट्रीट वेंडर आजीविका संरक्षण तथा स्ट्रीट वेंडर मुआवज़ा अधिसूचना 2014 के अनुसार कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए गए हैं। मनपा क्षेत्र में फेरीवालों के सर्वेक्षण और आगे की कार्रवाई के लिए एक शहरी फेरीवाला समिति का गठन किया गया है। साथ ही मनपा वार्ड समिति स्तर पर एक वार्ड फेरीवाला समिति का भी गठन किया गया है। मुंबई महानगरपालिका शहरी विकास विभाग के सर्वेक्षण के अनुसार,आपत्तियों और सुझावों पर विचार करने के बाद पात्र फेरीवालों की चुनावी सूची को अंतिम रूप दिया जाना है और प्रकाशित किया जाना है। इसके लिए, वसई-विरार महानगरपालिका द्वारा 2017 तक बायोमेट्रिक पद्धति के माध्यम से किए गए सर्वेक्षण के बाद, 15,156 फेरीवालों की सूची मनपा की वेबसाइट पर और सहायक आयुक्त कार्यालय के माध्यम से वार्ड समिति ए से आई कार्यालयों में प्रकाशित की जानी थी। उसके बाद, वार्ड समिति द्वारा प्राप्त आपत्तियों और सुझावों का निराकरण करने के बाद, एक उद्देश्यपूर्ण और पूर्ण रिपोर्ट डे-एनयूएलएम विभाग को प्रस्तुत की जानी थी। फेरीवालों की पूरी सूची के साथ यह रिपोर्ट शहर के फेरीवाले समिति की बैठक में रखी गई और अंतिम पुष्टि के बाद, सूची श्रम आयुक्तालय को सौंपी गई और सड़क विक्रेता समिति के सदस्यों का चुनाव किया गया। राष्ट्रीय फेरीवाला नीति 2005 की प्रक्रिया पूरी होने के बाद फेरीवालों को पहचान पत्र और बिक्री प्रमाण पत्र जारी करने के लिए एक समयबद्ध कार्यक्रम लागू किया जाना था। लेकिन यह प्रक्रिया अभी तक वसई विरार मनपा के माध्यम से पूरी होती नहीं दिख रही है, किशोर पाटील ने कहा कि इसका नतीजा यह हुआ कि वसई-विरार शहर महानगरपालिका की सीमा में फेरीवालों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। फेरीवाले कई इलाकों में अतिक्रमण करके अपना कारोबार स्थापित कर रहे हैं।

वसई-विरार शहर महानगरपालिका की सीमा में कपड़े, मोबाइल फोन के सामान, सब्जी विक्रेता, फल विक्रेता सहित विभिन्न सामान बेचने वाले फुटपाथ, सड़क के किनारे, भीड़भाड़ वाले स्थानों पर बैठते हैं। जिससे फुटपाथ और सड़कों को अवरुद्ध करके बैठते हैं, पैदल चलने वाले राहगीरों को फुटपाथ पर चलना मुश्किल हो गया है बेबस होकर राहगीर रोड पर चलते है जिससे सड़क दुर्घटना में वृद्धि हो गई है। साथ ही साथ दुकानदारों को इन फेरीवाले की वजह से खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। यातायात जाम भी हो रहा है। ‘ना फेरीवाला क्षेत्र, उच्च न्यायालय ने रेलवे स्टेशन, फ्लाईओवर , ब्रिज के आस पास और पैदल पुल के 150 मीटर के भीतर और धार्मिक स्थानों, शैक्षणिक संस्थानों और अस्पतालों के 100 मीटर के भीतर फेरीवालों को बैठने पर प्रतिबंधित किया है। लेकिन कोई भी नियम वसई-विरार महानगरपालिका के माध्यम से लागू नहीं किया जा रहा है,जिससे आम नागरिकों की सुरक्षा को लेकर एक गंभीर सवाल खड़ा हो गया है। इस समस्या की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए, पूर्व स्थायी समिति सदस्य और शिवसेना उपजिला प्रमुख किशोर नाना पाटील ने कहा है कि जल्द से जल्द एक ‘राष्ट्रीय हॉकर नीति’ लागू की जानी चाहिए।

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