-हमारी सहनशीलता की न लें परीक्षा; महायुति सरकार को चेतावनी
-हस्ताक्षर अभियान में बड़ी संख्या में निवासियों की भागीदारी
सामना संवाददाता / मुंबई
एल्फिंस्टन पुल परियोजना से प्रभावितों का परेल और वरली क्षेत्र में ही पुनर्वास करने की जोरदार मांग करते हुए शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने सोमवार को हस्ताक्षर अभियान चलाया और सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाया। मूल मुंबईकरों को उजाड़ने की सरकार की साजिश है, जिसे हम ध्वस्त कर देंगे। हमारी सहनशीलता की परीक्षा न लें। जब तक स्थानीय निवासियों का पुनर्वास इसी क्षेत्र में नहीं किया जाता, तब तक एल्फिंस्टन पुल को गिराने नहीं देंगे, ऐसी चेतावनी शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) विधायक अजय चौधरी ने इस अवसर पर दी।
स्थानीय निवासियों के पुनर्वास के सवाल को ‘जैसे थे’ की स्थिति में रखते हुए सरकार ने एल्फिंस्टन पुल गिराने का षड्यंत्र रचा है। इसका प्रखर विरोध करते हुए शिवसेना ने सोमवार को हस्ताक्षर अभियान चलाया। इस मौके पर विभागप्रमुख एवं विधायक महेश सावंत, विधायक अजय चौधरी, सुधीर सालवी, साईनाथ दुर्गे, सूरज चव्हाण, पूर्व महापौर श्रद्धा जाधव, नगरसेविका प्रीति पाटणकर आदि उपस्थित थे। स्थानीय विधायक महेश सावंत ने एल्फिंस्टन पुल के ध्वस्तीकरण के विरोध में हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत की। इसके बाद सैकड़ों नागरिकों ने हस्ताक्षर कर सरकार की दमनकारी नीति का विरोध किया।
इस अवसर पर जनता से एकजुट होकर संघर्ष करने का आह्वान करते हुए विधायक महेश सावंत ने आश्वस्त किया कि शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) स्थानीय निवासियों के साथ दृढ़ता से खड़ी है। कुछ इमारतों को खतरनाक घोषित कर उन्हें तोड़ने के लिए नोटिस भेजी गई है। सरकार का यह षड्यंत्र है। हम सरकार की इस कुटिल चाल को सफल नहीं होने देंगे, ऐसी चेतावनी भी उन्होंने दी।
पोद्दार, कामगार अस्पतालों में ओपीडी, आईसीयू करें शुरू
सरकार ने एल्फिंस्टन पुल को तोड़ने की योजना बनाते समय मरीजों की परेशानी पर ध्यान नहीं दिया है। परेल क्षेत्र में बड़े अस्पताल हैं। पुल बंद होने पर वरली और प्रभादेवी के मरीजों को भारी असुविधा होगी। इसलिए पहले वरली के पोद्दार और कामगार अस्पतालों में ओपीडी और आईसीयू यूनिट शुरू करें, ऐसी जोरदार मांग विधायक महेश सावंत ने की।
अडानी को मुंबई की
जमीनें कैसे दी जा रही हैं?
अडानी को मुंबई की जमीनें वैâसे दी जा रही हैं? मुलुंड के मीठागर की जमीन, देवनार डंपिंग ग्राउंड की जमीन… एक-एक कर सारी जमीनें अडानी के हवाले की जा रही हैं। क्या अडानी सरकार चला रहा है? सरकार का ‘हम करें सो कानून’ वाला रवैया हम बर्दाश्त नहीं करेंगे, ऐसा इशारा विधायक अजय चौधरी ने दिया।
कुर्ला में नहीं जाएंगे
हम पीढ़ी दर पीढ़ी इसी क्षेत्र में रहते आए हैं। हमारे बच्चों के स्कूल-कॉलेज भी इसी क्षेत्र में हैं। इसलिए किसी भी स्थिति में हम कुर्ला के ट्रांजिट वैंâप में रहने नहीं जाएंगे। हमें या तो हर महीने ४५ हजार रुपये किराया दें या फिर दादर, वरली क्षेत्र में ही अस्थायी ट्रांजिट कैंप दें, ऐसी मांग एल्फिंस्टन पुल के कारण प्रभावित हाजी नुरानी और लक्ष्मी निवास इमारतों के निवासियों ने की है।
प्रशासन अंधा हो गया है क्या?
एल्फिंस्टन पुल तोड़ने से पहले नागरिकों की असुविधा का विचार तक नहीं किया गया है। हम बार-बार आंदोलन कर रहे हैं। प्रशासन अंधा हो गया है क्या? ऐसा तीखा सवाल पूर्व महापौर श्रद्धा जाधव ने उठाया।