– आईटीडीपी ने रिपोर्ट में जताई चिंता
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई में यातायात सेवाओं को लेकर बड़ी समस्या है। मुंबई की दूसरी लाइफलाइन कही जाने वाली बेस्ट के बेड़े में बसों की संख्या घटती जा रही है। इससे मुंबई जैसे बड़े शहर में बस में यात्रा करने वाले लोगों की मुसीबतें भी बढ़ती जा रही हैं। इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसपोर्टेशन एंड डेवलपमेंट पॉलिसी संस्थान ने इस पर एक रिपोर्ट जारी की है और मुंबई की यातायात व्यवस्था पर गंभीर चिंता जताई है। रिपोर्ट के अनुसार, सामान्य तौर पर प्रति लाख आबादी पर न्यूनतम ६० बसें होनी चाहिए, लेकिन मुंबई में मात्र २७ बसें ही सड़क पर दौड़ रही हैं। ऐसे में बस के भीतर यात्रियों को ठूस-ठूस कर यात्रा के लिए मजबूर होना पड़ता है।
इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसपोर्टेशन एंड डेवलपमेंट पॉलिसी के अनुमान के अनुसार, मुंबई को ८ हजार से अधिक बसों की आवश्यकता है, लेकिन वर्तमान में बेस्ट केवल लगभग ३ हजार बसें ही चला रही है। इस वजह से मुंबई में प्रति लाख जनसंख्या पर केवल २७ बसें उपलब्ध हैं, जो कि आवास और शहरी कार्य मंत्रालय के सिफारिशों के अनुसार प्रति लाख जनसंख्या पर ६० बसें होनी चाहिए।
बता दें कि दिसंबर २०२४ में आईटीडीपी द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, महाराष्ट्र के शहरी क्षेत्रों में सार्वजनिक परिवहन की भारी कमी है। शहरी परिवहन कार्यसमिति की सिफारिशों के मुताबिक, दो लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में सार्वजनिक बस सेवाएं होनी चाहिए। लेकिन महाराष्ट्र के ४४ शहरों में से केवल १४ में ही बस सेवाएं उपलब्ध हैं, जबकि ३० शहरों में बस सेवा का अभाव है। उधर बस सेवा वाले १४ शहरों में प्रति लाख जनसंख्या पर केवल १५ बसें उपलब्ध हैं। यह प्रति लाख जनसंख्या पर ४०-६० बसों की सिफारिश से काफी कम है।
शहरी बस सेवाओं की बदतर स्थिति
आईटीडीपी की रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र के अन्य शहरी क्षेत्रों में भी बस सेवाओं की भारी कमी है। राज्य में ५.६ करोड़ लोगों की परिवहन जरूरतों को पूरा करने के लिए कम से कम २८.८ हजार बसों की आवश्यकता है। लेकिन वर्तमान में राज्य में लगभग ८.७ हजार बसें ही उपलब्ध हैं। इनमें से लगभग ३.५ हजार बसें अपने कार्यकाल के अंतिम चरण में हैं, जिनका टर्म पूरा होने वाला है, वे बसें भंगार में बेंच दी जाएंगी। मुंबई सहित महाराष्ट्र में २४ हजार नई बसों की तुरंत आवश्यकता है, जिसमें पुरानी बसों के प्रतिस्थापन की जरूरत भी शामिल है।