अमिताभ श्रीवास्तव
पाताल में घुसा केमिकल
तो क्या पाताल तक जा घुसा है केमिकल? लगता तो यही है, क्योंकि दुनियाभर के अधिकांश पानी के स्रोतों में हानिकारक केमिकल पीएफएएस का स्तर बढ़ गया है। इससे दुनियाभर के वैज्ञानिक चिंतित हैं। पीएफएएस को फॉरएवर केमिकल भी कहते हैं जो आग, पानी, ग्रीस, दाग छुड़ाने वाले केमिकल किसी से नहीं हटता यानी एक बार यदि यह पर्यावरण में पहुंच गया, वहां से इसका निकलना मुश्किल हो जाता है। इस केमिकल का इस्तेमाल फूड पैकेजिंग, कपड़ा बनाने, नॉन-स्टिक फ्राई पैन, कॉस्मेटिक चीजें, कारपेट आदि बनाने में इस्तेमाल होता है। यह एक तरह का टॉक्सिन है। ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी ने अपने अध्ययन में पाया है कि दुनियाभर के ग्राउंड वाटर में पीएफएएस पहुंच गया है और यह पानी के माध्यम से शरीर में घुस सकता है। इंसान पर घातक पीएफएएस का प्रभाव हो सकता है। इससे कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ सकता है और शरीर में एंजाइम और हार्मोन का स्तर भी गड़बड़ा सकता है।
उम्र को रोक देने वाला बंदा
यह हास्यस्पद भी है और बेवकूफ बना देने वाला तथ्य कि कोई अपनी उम्र भी रोक सकता है। है न, मगर न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट की मानें तो एक अमेरिकन शख्स का दावा है कि वो अपनी उम्र को रोक सकता है। उसने अपनी बायलॉजिकल एज को हैक करने का फॉर्मूला ढूंढ़ लिया है। उसके पास कुछ ऐसे सीक्रेट्स हैं, जिनकी वजह से ये रिटायर्ड सिक्योरिटी इंजीनियर अभी भी बिल्कुल युवा दिखता है। उसका दावा है कि वो अपनी जेनेटिक क्लॉक को रिवर्स कर रहा है। यही वजह है कि ६१ साल में भी उसके अंदर बुढ़ापे का कोई नामोनिशान नहीं दिखता। अमेरिका के मिशिगन के रहने वाले डेव पास्को नाम के शख्स को देखकर कोई भी कन्फ्यूज हो जाएगा। उनकी उम्र तो ६० के पार है, लेकिन उसका शरीर किसी ३५-३६ साल के शख्स जितना मजबूत है। उनके बाल भी बिल्कुल काले हैं और चेहरे पर झुर्रियां भी नहीं हैं। उसका कहना है कि वो इसके लिए काफी मेहनत करता है और पैसे भी खर्च करता है। वह अपने शरीर को अपनी उम्र से जल्दी खत्म नहीं होने देना चाहता। ११० साल की उम्र में भी वो खुद को युवा ही रखना चाहता है।
कैलेंडर से गायब ११ दिन
ये भी भला कोई बात हुई कि कैलेंडर में ११ दिन ही न हों, पर ऐसा हुआ भी और पूरा देश कन्फ्यूज हो गया। जी हां, ब्रिटेन में साल १७५२ में ३ सितंबर से १३ सितंबर के बीच यहां न तो किसी का जन्म हुआ, न ही किसी की मृत्यु हुई और न ही कोई विवाह हुआ। क्योंकि इस देश के कैलेंडर में ये ११ दिन थे ही नहीं। लोग २ सितंबर, १७५२ की रात को सो गए और १४ सितंबर को जाग गए, क्योंकि ब्रिटेन, पहले जूलियन कैलेंडर का उपयोग कर रहा था, जबकि उसके अधिकांश पड़ोसी पहले से ही अधिक सटीक ग्रेगोरियन कैलेंडर में चले गए थे। इसकी वजह से ब्रिटेन को भी नया कैलेंडर अपनाना पड़ा। इस वजह से ११ दिनों का नुकसान ब्रिटेन को उठाना पड़ा। नया कैलेंडर अपनाने के लिए ब्रिटेन की संसद ने बाकायदा कानून पारित किया, जिसे कैलेंडर न्यू स्टाइल एक्ट १७५० के नाम से जाना जाता है। इससे पहले ब्रिटेन जिस जूलियन कैलेंडर को मानता था, उसे ४६ ईसा पूर्व में जूलियस सीजर ने तैयार करवाया था। उसमें चंद्र-सौर कैलेंडर की गलतियों को ठीक किया गया था। यह एक रोमन कैलेंडर था, जिसमें साल में ३५५ दिन और १२ महीने होते थे, लेकिन यह सौर वर्ष से लगभग १० दिन छोटा था। सूर्य की बराबरी करने के लिए बाद में कैलेंडर में हर दूसरे साल २३ या २३ दिन जोड़े जाते रहे। ठीक उसी तरह जैसे हम हर चार साल में लीप दिन जोड़ते हैं।
खुदाई में मिले सर्जरी के प्रमाण
आज से हजार साल पूर्व क्या कॉस्मेटिक सर्जरी थी? असंभव जान पड़ता है, क्योंकि यह तो आधुनिक जगत की बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। हालांकि, ऐसा है नहीं क्योंकि स्वीडन में खुदाई के दौरान वैज्ञानिकों को कुछ ऐसे कंकाल मिले हैं, जिनसे साबित होता है कि आज से १,००० साल पहले भी कॉस्मेटिक सर्जरी होती थी। डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, जर्मनी के साइंटिस्ट की टीम को स्वीडन में एक पुरातत्वस्थल से तीन लंबी खोपड़ियां मिली हैं। इनसे पता चलता है कि १,००० साल पहले वाइकिंग युग की महिलाओं को कॉस्मेटिक प्रक्रिया से गुजरना पड़ा था। वैज्ञानिकों का मानना है कि शायद सुंदरता बढ़ाने के लिए उस युग की महिलाओं ने इस तरह की सर्जरी करवाई हो, ताकि उनकी खोपड़ी को लंबा किया जा सके। महिलाओं की खोपड़ी बचपन में ही बदली गई। वैसे तो इससे पहले भी सर्जरी को लेकर कई प्रमाण मिले हैं, लेकिन पहली बार वाइकिंग युग की महिलाओं में कॉस्मेटिक सर्जरी के साक्ष्य बताते हैं कि तब साइंस आज के मुकाबले कितना समृद्ध रहा होगा।
लेखक ३ दशकों से पत्रकारिता में सक्रिय हैं व सम सामयिक विषयों के टिप्पणीकर्ता हैं। धारावाहिक तथा डॉक्यूमेंट्री लेखन के साथ इनकी तमाम ऑडियो बुक्स भी रिलीज हो चुकी हैं।