अमिताभ श्रीवास्तव
बोलो कौन है, जो आइलैंड खरीदेगा? जी हां, बिक रहा है एक आईलैंड। न्यूयॉर्क पोस्ट की एक रिपोर्ट में तो यही लिखा है। यह आइलैंड अमेरिका के फ्लोरिडा में है। इसे ब्लैक द्वीप के नाम से जाना जाता है। इसका इतिहास बेहद खास है। कहते हैं कि १८वीं सदी में यहां कुख्यात समुद्री डाकू ‘ब्लैक सैम’ रहा करता था। उसी के नाम पर इसका नाम ‘ब्लैक आइलैंड’ रखा गया है, लेकिन अब यह बिकने के लिए बाजार में उपलब्ध है। ७ एकड़ जमीन पर बसा ये खूबसूरत शहर किसी को भी मोह लेगा। इसकी सुंदरता बेमिसाल है। इसमें ११ बंगले तो ऐसे हैं, जिनमें तीन बेडरूम, दो बाथरूम बने हुए हैं। तीन फ्लोर हैं और तीनों पर ही एक से एक खूबसूरत डिजाइन हैं। एक कपड़े धोने का कमरा, एक बैठक कक्ष, एक भोजन कक्ष और बालकनी है, जहां से आप समुद्र तट का नजारा देख सकते हैं। यह द्वीप तल्हासी से लगभग दो घंटे की ड्राइव पर है। यहां केवल नाव, समुद्री जहाज या हेलिकॉप्टर के माध्यम से ही पहुंचा जा सकता है। आप चाहें तो खुद का जहाज खरीद सकते हैं। ब्लैक आइलैंड को एक समुद्री जहाज ने खोजा था, जिसे ब्लैक शटल नाम दिया गया है।
नया देश जैकिस्तान
हैरत होगी किंतु ये सच है कि कोई जमीन खरीदे और उस पर एक नया देश बना दे। देश बनाकर उसका नाम अपने नाम पर रख दे और फिर विश्व के लोग उस देश में घूमने जाएं। है न अजीब पर सच है। न्यूयॉर्क के रहने वाले एक आर्टिस्ट जैक लैंड्सबर्ग ने साल २००५ में अमेरिकी राज्य ऊटाह के रेगिस्तानी इलाके में २ एकड़ की जमीन खरीदी थी। उसने ये जमीन ऑनलाइन वेबसाइट ई-बे से सिर्फ ६१० डॉलर यानी ५० हजार रुपए में खरीदी थी। जब वो पहली बार इस जमीन को देखने गया तो पहचान के लिए जमीन पर पीला और लाल रंग का झंडा लगा दिया, पर फिर उसे एक खयाल आया। खयाल था अपना खुद का देश बनाने का! अपने नाम से जोड़कर उसने नाम तय किया, जैकिस्तान। जैक ने रेकॉन टॉक नाम की वेबसाइट से बात करते हुए कहा था कि उसने जब जमीन खरीदी थी, तब राजनीतिक तौर पर देश के बुरे दिन चल रहे थे। उन्हें लगा कि वो राजनेताओं से बेहतर ढंग से अपना देश चला सकते हैं। इस वजह से उन्होंने रेगिस्तान में कुछ नहीं से कुछ बनाना शुरू कर दिया। रिपोर्ट के अनुसार, जैक अब हर साल कुछ दिनों के लिए जैकिस्तान जाते हैं और वहां पर आर्ट और क्राफ्ट से जुड़ी मजेदार चीजें बनाते हैं। उन्होंने अपनी जमीन पर पेट्रोल गेट बना लिया है, साथ ही रोबोट भी बनाया है। वो अपनी वेबसाइट से ४० डॉलर का असल पासपोर्ट बेचते हैं। वो इस जमीन पर मकान नहीं बनाना चाहते, क्योंकि यहां पानी का कोई सोर्स नहीं है।
मूड खराब है, मजा करो
यदि आपका मूड खराब है, ऑफिस नहीं जाना चाहते तो कोई बात नहीं है ऑफिस खुद आपको छुट्टी देगा, बस आप मजा करो। ये पढ़कर लगेगा जैसे कोई मजाक वाली बात लिखी हो, क्योंकि ऐसा भी कभी हो सकता है भला? जी हां, हो सकता है नहीं बल्कि हुआ है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की हेनान प्रांत में मौजूद एक रिटेलर कंपनी पेंग डोंग लाइ के मालिक ने अपने कर्मचारियों के लिए ऐसी छुट्टियां घोषित की हैं, जिनकी किसी को कल्पना भी नहीं होगी। उन्होंने चाइना सुपरमार्वेâट वीक के दौरान इस बात की घोषणा की है कि अपनी कंपनी में वे कर्मचारियों के लिए १० ऐसी छुट्टियां दे रहे हैं, जो सिर्फ उन दिनों के लिए होंगी, जब वे खुश नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘हर किसी की जिंदगी में ऐसा वक्त आता है, जब वो खुश नहीं होता है। अगर आप खुश नहीं हैं तो काम करने मत आइए’। ये छुट्टियां आराम करने और अपना मूड लिफ्ट करने के लिए हैं तो अब ऐसे ऑफिस में कौन काम नहीं करना चाहेगा?
हूूपिंग कफ ने फिर उठाया माथा
ये हूपिंग कफ क्या है? अरे काली खांसी। ये बीमारी तो लगभग खत्म हो गई थी न? नहीं। बिल्कुल भी नहीं केवल थमी हुई थी, क्योंकि दुनियाभर में एक बार फिर काली खांसी ने दस्तक दी है। चीन, फिलीपींस, नीदरलैंड, अमेरिका और ब्रिटेन समेत दुनिया के कई हिस्सों में इस बीमारी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। काली खांसी, जिसे पर्टुसिस या हूपिंग कफ भी कहा जाता है, एक तरह का इन्फेक्शन है, जिसका जल्दी पता लगाना मुश्किल होता है और यह घातक हो सकता है। नेशनल डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन एडमिसट्रेशन के मुताबिक चीन में २०२४ के पहले दो महीनों में इस संक्रमण के ३२,३८० मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें १३ मौतें भी शामिल हैं। इस संक्रमण का यह आंकड़ा बीते साल की तुलना में २० गुना ज्यादा है। वहीं फिलीपींस में अभी तक काली खांसी की वजह से ५४ मौतें दर्ज की गर्इं। यह बेहद संक्रामक बीमारी किसी संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने पर निकलने वाली बूंदों के जरिए पैâलती है। यह बैक्टीरिया गले में एयरवेज की परत से चिपक जाता है और टॉक्सिन्स प्रोड्यूस करता है, जो सिलिया (छोटे बाल जैसी संरचनाएं, जो एयरवेज से बलगम को साफ करने में मदद करती हैं) को नुकसान पहुंचाते हैं। नतीजतन, एयरवेज में सूजन आ जाती है, जिससे काली खांसी के लक्षण दिखाई देते हैं, जिनमें गंभीर खांसी, घरघराहट की आवाज और सांस लेने में कठिनाई शामिल है।
लेखक ३ दशकों से पत्रकारिता में सक्रिय हैं व सम सामयिक विषयों के टिप्पणीकर्ता हैं। धारावाहिक तथा डॉक्यूमेंट्री लेखन के साथ इनकी तमाम ऑडियो बुक्स भी रिलीज हो चुकी हैं।