मुख्यपृष्ठस्तंभश्री-वास्तव उ-वाच : धरती को शीतल रखने की तरकीब

श्री-वास्तव उ-वाच : धरती को शीतल रखने की तरकीब

अमिताभ श्रीवास्तव

यदि धरती शीतल नहीं हुई तो प्रलय निश्चित है। वैज्ञानिक निरंतर सावधान कर रहे हैं, इसकी बावजूद धरतीवासी ध्यान नहीं दे रहे। फिर भी वैज्ञानिक बचाने के लिए निरंतर जुटे हुए हैं। यह तो बता ही दिया गया है कि धरती काफी तेजी से गर्म हो रही है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अगले कुछ वर्षों में धरती का तापमान लगभग १.५ डिग्री बढ़ जाएगा। इससे दुनिया के कई हिस्सों में सूखा पड़ेगा। अकाल की नौबत आएगी और लाखों लोगों के मारे जाने की आशंका है। इसलिए वैज्ञानिकों ने वर्षों से धरती को और गर्म होने से रोकने की कोशिशों में जुटे हैं। इसी कड़ी में कुछ अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक नई तरकीब खोजी है। उनका मानना है कि अगर सिर्फ ये कर लिया जाए तो धरती का तापमान बढ़ने से रोका जा सकता है और लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती है। साइंस के मुताबिक, पानी का वाष्प एक कुदरती ग्रीनहाउस गैस है। यह गर्मी को पार नहीं जाने देता। यह ठीक उसी तरह काम करता है, जैसे कोयला, तेल या गैस के जलने पर निकलने वाली कार्बनडाईऑक्साइड गैस करती है। इसलिए यह कार्बनडाईऑक्‍साइड की तरह ही खतरनाक है। इसीलिए वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर धरती ऊपरी वातावरण में मौजूद इन वाष्‍प को सुखा दिया जाए तो गर्मी को बाहर निकलने का रास्‍ता मिल जाएगा। इससे धरती का तापमान कम हो जाएगा, यानी धरती ठंडी हो जाएगी।

खोदी जमीन, निकला मंदिर
हर युग बदलता है। धीरे-धीरे एक संस्कृति जमींदोज हो जाती है और इसी इतिहास को देखने, समझने के लिए पुरातत्व विभाग शोध में लगा रहता है। वो खुदाई करता है, खुदाई में कई बार चौंकानेवाली चीजें मिल जाती हैं। हाल ही में तेलंगाना के नलगोंडा जिले में भी कुछ ऐसा मिला, जो पुरातत्‍वविदों को हैरान कर गया। कृष्णा नदी के किनारे बसे मुदिमानिक्यम गांव में साइंटिस्‍ट जमीन की खुदाई करवा रहे थे, तभी उन्‍हें पत्‍थर टूटने की आवाज सुनाई दी। जब मिट्टी हटाई गई तो दुर्लभ शिलालेख के साथ बादामी चालुक्य काल के २ मंदिर मिले। अनुमान है कि ये मंदिर १,३०० साल से अधिक पुराने हैं। इनके साथ मिला शिलालेख १,२०० साल पुराना है। मुदिमानिक्यम गांव में पब्लिक रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ हिस्ट्री के डॉ. एमए श्रीनिवासन और एस अशोक कुमार की टीम ये खुदाई करवा रही थी। साइंटिस्‍ट के मुताबिक, पूरी संभावना है कि शिलालेख ८वीं या ९वीं शताब्दी ईस्वी पूर्व का है। तब बादामी चालुक्‍य वंश का शासन हुआ करता था। मंदिरों की अद्वितीय स्थापत्य शैली देखते ही बनती है। इस शिलालेख में ‘गंडालोरंरू’ शब्‍द लिखा गया है, जो उस वक्‍त का शब्‍द है।

टांग मत अड़ाओ!
कहते हैं न कि किसी के झगड़े में अपनी टांग मत अड़ाओ। गलत नहीं कहते हैं। अब देखिए न, इंसान तो इंसान, जानवर भी अपने झगड़े के बीच किसी अन्य की दखलअंदाजी नहीं चाहते। सोशल मीडिया पर एक क्लिप वायरल हो रही है। यह वीडियो क्लिप मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले के राजपुरा क्षेत्र की है, जहां दो सांड़ों की लड़ाई के बीच आए एक शख्स को लड़ाई रुकवाना महंगा पड़ गया। बताया जा रहा है कि आधे घंटे तक बीच सड़क पर दो सांड़ों के लिए लड़ाई चल रही थी। इस बीच सांड़ लड़ते-लड़ते करीब २०० मीटर तक पहुंच गए, जिन्हें देखकर लोग अपने घरों से बाहर आ गए और उनकी लड़ाई का वीडियो बनाने लगे। इसी बीच राह चलता एक शख्स सांड़ के सामने आकर खड़ा हो गया। वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे शख्स सांड़ की पूंछ पकड़ रहा था, जिसके चलते एक सांड़ बुरी तरह से बिफर गया और उसने शख्स को उठाकर जमीन पर बुरी तरह पटक दिया। इसके बाद दोनों सांड़ लड़ते-भागते हुए राजपुर मार्ग की ओर चले गए। अब यही वीडियो इंटरनेट पर जमकर वायरल हो रहा है।

दुनिया का सबसे छोटा डॉक्टर
अब यदि कहें कि वो दुनिया का सबसे छोटा डॉक्टर है तो लोगों को लगेगा पद में छोटा होगा, मगर पद में नहीं कद में छोटा है। जी हां, भावनगर मेडिकल कॉलेज के गलियारों में इंटर्न २२ साल के गणेश बरैया एमबीबीएस पूरी कर करने के बाद अपनी इंटर्नशिप शुरू कर चुके हैं। महज ३ फीट लंबा और महज १८ किलोग्राम वजन वाला बरैया मुश्किल से अस्पताल के बिस्तर की ऊंचाई तक पहुंच पाता है और उसे अपने मरीजों की जांच करने के लिए पैर फैलाना पड़ता है। बौनेपन के चलते गणेश के शरीर का ७२ फीसदी हिस्सा लोकोमोटिव विकलांगता से प्रभावित हुआ है, लेकिन अब वे डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी करने के बाद मुस्कान के साथ लोगों का इलाज कर रहे हैं। डॉक्टरों की पढ़ाई करने के बाद अब वे जब मरीजों के बीच जाते हैं तो लोग भी कौतूहल से भर जाते हैं। बरैया के लिए डॉक्टर बनने का सफर आसान नहीं रहा है। पूरे परिवार में किसी ने भी १०वीं कक्षा से आगे की पढ़ाई नहीं की है। सभी की शादी हो चुकी है। गणेश बरैया कॉलेज पहुंचने वाले अपने परिवार के पहले शख्स हैं।
-लेखक ३ दशकों से पत्रकारिता में सक्रिय हैं व सम सामयिक विषयों के टिप्पणीकर्ता हैं। धारावाहिक तथा डॉक्यूमेंट्री लेखन के साथ इनकी तमाम ऑडियो बुक्स भी रिलीज हो चुकी हैं।

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