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श्री-वास्तव उ-वाच : समुद्र के अंदर आर्ट गैलरी

अमिताभ श्रीवास्तव

रोचक भी है और आश्चर्य भी कि समुद्र के अंदर आर्ट गैलरी बनाई जा रही है। यह है वैâरिबियन समुद्र, जिसके तल पर एक अनूठी मूर्तिकला गैलरी आकार ले रही है। इस गैलरी को बनाने का मकसद है पर्यटन और जलवायु परिवर्तन से खतरे में पड़े कोरल (मूंगे) को एक घर प्रदान करना। ह्यूगो ओसोरियो और पेड्रो फ्यूएंटेस द्वारा अब तक २५ आकृतियां कोलंबिया के तट से दूर इस्ला फुएर्टे के आस-पास नीले पानी में बनाई गई हैं। ये कलाकृतियां १.५ मीटर (लगभग पांच फुट) ऊंची हैं। समुद्र तल के चारों ओर लगभग छह मीटर की गहराई में पैâली हुई हैं। पानी के नीचे बनी कोलंबिया की यह पहली आर्ट गैलरी न सिर्फ टूरिस्टों, बल्कि मछलियों और गोताखोरों को भी आकर्षित कर रही हैं। दरअसल, ये मूर्तियां २०१८ से ही समद्र के नीचे स्थापित की जा रही है। इन्हें मुस्जिफ नामक पहल के तहत रखना शुरू किया गया था। पैâशन डिजाइनर और द्वीप निवासी तातियाना ओरेगो ने इसकी शुरुआत की थी। अभी २५ और मूर्तियां समुद्र तल पर लगाने की योजना है।
ओह! ग्रीन लैंड में दबे मिले वायरस
ओह! यह तो बड़ी विचित्र बात है, जिसे वैज्ञानिकों ने खोजी है। दरअसल, आर्कटिक में जमी बर्फ की सतह पर नए वायरसों की खोज की है। ये बर्फ पिघलाने वाले एलगी को खा रहे हैं, जिससे ग्रीनलैंड की बर्फ पिघलने की गति धीमी हो सकती है। जी हां, रिसर्चर्स को ग्रीनलैंड में जमी बर्फ की शीट में नए वायरस मिले हैं। ये वायरस ग्लोबल वॉर्मिंग के चलते बर्फ पिघलने की रफ्तार को धीमा कर सकते हैं। डेनमार्क के वैज्ञानिकों ने पाया कि ये बड़े-बड़े वायरस बर्फ की शीट पर मौजूद एलगी (शैवाल) को खा रहे हैं। इन एलगी की वजह से अक्सर तेजी से बर्फ पिघलने लगती है। वैज्ञानिकों को लगता है कि एलगी के साथ इन वायरसों के रहने से एक प्राकृतिक तंत्र बना है, जो ग्लोबल वॉर्मिंग के असर को कम कर सकता है। इन वायरसों की खोज आरहूस यूनिवर्सिटी में पर्यावरण विज्ञान विभाग की लौरा पेरिनी और उनकी टीम ने की है। पेरिनी ने कहा, `हम इन वायरसों के बारे में बहुत कुछ नहीं जानते, लेकिन मुझे लगता है कि वे शैवाल के खिलने के कारण बर्फ पिघलने को कम करने के तरीके के रूप में उपयोगी हो सकते हैं। पेरिनी के मुताबिक, यह पहली बार है, जब आर्कटिक में बर्फ की शीट से ऐसे शैवाल खाने वाले वायरस मिले हैं। फिलहाल, पता लगाया जा रहा कि ये वायरस लाभप्रद हैं या हानिकारक।
पोस्टमार्टम स्पर्म से बनी मां
यह अपने आप में अजूबा है, चिकित्सा क्षेत्र का अपना कमाल है। दरअसल, एक ऑस्ट्रेलियाई मॉडल अपने पति के मरने के कई महीनों बाद मां बनी है। वो पोस्टमॉर्टम स्पर्म कलेक्शन के जरिए मां बनी है। एलिडी पुलिन नामक इस मॉडल के पति एलेक्स चंप की साल २०२० में मौत हो गई थी। सालों बाद उन्होंने अपने पति की मौत और उसके चमत्कारी बेबी गर्ल को जन्म देने के बारे में बात की है। ३१ साल की एलिडी ने बताया कि उसे पोस्टमॉर्टम स्पर्म कलेक्शन के बारे में पता चला। दरअसल, यह प्रक्रिया मरने के बाद व्यक्ति के शुक्राणु पुन: प्राप्त करना कहलाता है। ये बच्चों की चाह रखने वाले दंपतियों के लिए है। यह एक मृत व्यक्ति से शुक्राणु ऊतक निकालने की प्रक्रिया है, ताकि उन शुक्राणुओं का उपयोग आईवीएफ के माध्यम से अपने साथी के अंडों को निषेचित करने के लिए किया जा सके। एलिडी ने यही किया और ६ महीने बाद आईवीएफ ट्रीटमेंट शुरू कर दिया। एलिडी पुलिन ने २ आईवीएफ ट्रीटमेंट के बाद अक्टूबर २०२१ में बेबी गर्ल को जन्म दिया। एलिडी की बेटी का नाम मिन्नी एलेक्स पुलिन रखा। एलिडी का कहना है कि वो बेटी की आंखों में एलेक्स चंप की झलक देखती हैं। वो चंप को याद कर दुखी होती हैं। चंप जीते जी पिता नहीं बन पाए। वो अगर होते तो एक अच्छा पिता होते।
मरने के बाद पार्टी
किसी की मृत्यु के बाद माहौल गमगीन होता है, मगर यहां तो धूमधाम से पार्टी हो रही है। पत्नी अपने बच्चों के साथ झूम रही है, लगभग पांच सौ लोगों को बुलाया गया है और धूम-धड़ाका मचा है। जी हां, ४० साल की केटी यंग नाम की महिला के पति ब्रैंडन की मौत स्ट्रोक और उसकी कॉम्प्लिकेशन की वजह से हो गई थी। न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, केटी के तीन बच्चे हैं, जिनकी उम्र १२, १० और ८ साल है। केटी नहीं चाहती थीं कि पिता की मृत्यु की वजह से बच्चे सदमे में चले जाएं, बल्कि वे अपने पिता के साथ गुजरे अच्छे वक्त को याद करें। ऐसे में उन्होंने चर्च में रोने-धोने के भाषण और दुख भरे माहौल की बजाय एक ऐसी पार्टी आयोजित की, जिसमें उनके पति को खुशी-खुशी याद किया जाए। सोशल मीडिया पर उन्होंने ५०० मेहमानों वाली इस पार्टी का वीडियो पोस्ट किया। इसमें बाउंसी कासल, आर्ट एंड क्राफ्ट की चीजें और उनके पति के पसंदीदा चिप्स और डिप्स शामिल थे। उनके आर्ट व एल्बम भी दिखाए गए और मेहमानों को गुडी बैग में ये चीजें दी भी गईं। इतना ही नहीं, संगीत के शौकीन उनके पति का पसंदीदा म्यूजिक भी सुनाया गया। पार्टी उनके घर में हुई, क्योंकि उनके पति को ये जगह और परिवार बहुत प्रिय था। बच्चे हंसते-मुस्कुराते रहे। केटी का कहना है कि इससे उनके पति की आत्मा खुश हुई होगी। जमाना बदल रहा है और बदलते हुए जमाने के रंग ही तो जीवन को खुशहाल बना देते हैं।
लेखक ३ दशकों से पत्रकारिता में सक्रिय हैं व सम सामयिक विषयों के टिप्पणीकर्ता हैं। धारावाहिक तथा डॉक्यूमेंट्री लेखन के साथ इनकी तमाम ऑडियो बुक्स भी रिलीज हो चुकी हैं।

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