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सियासतनामा : फर्जी राष्ट्रवाद

सैयद सलमान

सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ और साथ में लिखा गया कि कांग्रेस प्रत्याशी कन्हैया कुमार को थप्पड़ मारा गया। उस शख्स ने खुद भी अपना वीडियो जारी किया, जो इस घटना में शामिल था। अपना बखान करते हुए उसने अपने फर्जी राष्ट्रवाद की आड़ में इस घटना को महिमामंडित करने का प्रयास किया। कुछ देर बाद ही दूसरा वीडियो भी लोगों तक पहुंच गया, जिसमें थप्पड़ मामले के सरगना और उसके साथी की लोगों ने जमकर पिटाई की है। लोकतंत्र में किसी प्रत्याशी पर हाथ उठाने का अधिकार किसी को नहीं है। प्रत्याशी ही क्यों, किसी पर भी हाथ उठाना गैरकानूनी है, लेकिन ऐसे मामलों का बखान करना यह दर्शाता है कि हमारा लोकतंत्र अब मारपीट की तरफ बढ़ रहा है। प्रचार के वक्त प्रत्याशी लोगों से रूबरू मिलना चाहते हैं और ऐसे में उसका लाभ अगर ऐसे शरारती तत्व उठाते हैं तो यह शर्मनाक है। लोकतंत्र की लाज रखने के लिए मनोज तिवारी को खुद इस मामले की भर्त्सना करनी चाहिए थी, लेकिन जिस अहंकारी दल से वो संबंध रखते हैं वहां इसकी गुंजाइश ही नहीं है।

अहंकारी सांसद!
महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह का अहंकार कम नहीं हुआ है। हालांकि, भाजपा ने उनकी जगह उनके बेटे को वैâसरगंज से टिकट दिया है। टिकट काटे जाने को हल्के में लेते हुए वे और भी उग्र भाषा में कहते हैं कि `अब तो मैं छुट्टा सांड़ हो गया हूं।’ उन्हें लगता है कि उन्होंने मिजोरम, नागालैंड, बिहार, बंगाल के पहलवानों के हित में काम करना शुरू किया था, इसलिए कुछ लोगों की नजर में चढ़ गए। यह अहंकार ऐसे ही नहीं है, क्योंकि उनका दावा है कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उनके बचपन के दोस्त हैं और वह और योगी बचपन में एक साथ तैराकी और व्यायाम करते थे। इस बात को गंभीरता से लिया जाना चाहिए, क्योंकि जब बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगने शुरू हुए थे, तब भी केंद्र और राज्य के बड़े नेता उन पर किसी कार्रवाई को न सिर्फ टालते रहे बल्कि महिला पहलवानों को ही कटघरे में खड़ा किया। अब जब उनका बेटा कहीं दुर्भाग्यवश सांसद बन जाता है तो समझा जा सकता है कि पर्दे के पीछे असल `सांसद’ कौन होगा?

मौसम विज्ञानी
करणी सेना सहित राजपूतों का भाजपा विरोध लोकसभा चुनाव के पिछले सभी चरण में चर्चित रहा। साथ ही यूपी की कुंडा सीट से विधायक रघुराज प्रताप सिंह ऊर्फ राजा भैया भी चर्चा में रहे। खासकर, उनकी अमित शाह से मुलाकात को भाजपा ने खूब भुनाया। अब राजा भैया की उन्हीं के शब्दों में स्थिति यह है कि वे भाजपा से नाराज भी नहीं हैं और सपा से जो कुछ तल्खियां थीं भी, वे समय के साथ दूर हो गई हैं यानी `ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर’। राजा भैया पिछले कई वर्षों से विधान परिषद और राज्यसभा के चुनावों में भाजपा के पक्ष में अपने एक अन्य विधायक के साथ मतदान करते रहे हैं। फिर ऐसा क्या हुआ कि अचानक उन्होंने अपने समर्थकों को खुली छूट दे दी कि वे अपनी मर्जी से जहां चाहे मतदान कर सकते हैं? यह भाजपा को एक तरह से अल्टीमेटम है कि वे भाजपा के बंधुआ मजदूर नहीं हैं। कहीं राजा भैया को एहसास तो नहीं हो गया है कि भाजपा के चल-चलाव की बेला आ गई है? आखिर राजा भैया भी तो राजनीति के मौसम विज्ञानी हैं।

पाप ढंकने की कवायद
कर्नाटक सेक्स स्कैंडल में भाजपा के सहयोगी सांसद प्रज्वल रेवन्ना का नाम आने के बाद से भाजपा और सहयोगी दल जेडीएस में भयंकर चुप्पी है। दिल्ली में स्वाति मालीवाल मामले पर हंगामा मचाए हुए भाजपाई, रेवन्ना मुद्दे पर बिलकुल उसी तरह खामोश हैं, जैसे मणिपुर मामले पर थे। इस बीच वह शायद चुप इसलिए थे कि कोई पलटवार का मौका मिले। अब उन्हें एक मौका मिला है, कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को घेरने का। दरअसल, भाजपा नेता देवराजे गौड़ा ने शिवकुमार समेत कर्नाटक के चार मंत्रियों पर प्रज्वल रेवन्ना के अश्लील वीडियो वायरल करने के आरोप लगाए हैं। शिवकुमार पर यह भी आरोप है कि उन्होंने भाजपा और जेडीएस, विशेषकर जेडीएस नेता कुमारस्वामी की इमेज खराब करने के लिए १०० करोड़ रुपए का ऑफर भी दिया था। हालांकि, शिवकुमार ने इन आरोपों को आधारहीन बताया है। शिवकुमार कर्नाटक में कांग्रेस का मजबूत चेहरा हैं। उन पर इल्जाम लगाकर भाजपा कांग्रेस को बैकफुट पर लाना चाहती है। क्या इससे रेवन्ना के पाप कम हो जाएंगे? क्या यह पीड़ित महिलाओं के प्रति भाजपा का अपमानजनक रवैया नहीं है?
(लेखक मुंबई विश्वविद्यालय, गरवारे संस्थान के हिंदी पत्रकारिता विभाग में समन्वयक हैं। देश के प्रमुख प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं।)

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