सामना संवाददाता / मुंबई
मुख्य सचिव सुजाता सौनिक बहुत ही अनुशासनात्मक अधिकारी हैं, जिन्हें सरकार का कट प्रैक्टिस कतई बर्दास्त नहीं है। ऐसे में अब सरकार सौनिक पर इस्तीफा देने का दबाव बना रही है। इतना ही नहीं, ऐसा न करने पर यह सरकार उनके पति पर फर्जी कार्रवाई करने की तैयारी में है। एक तरफ राज्य में लाडली बहन योजना के नाम पर रोज इवेंट हो रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ सक्षम बहन को परेशान करने की कुटिल साजिश रची जा रही है। यदि ऐसा ही होता रहा तो क्या महाराष्ट्र में ईमानदारी से काम करने वाले अधिकारी रहेंगे? इस तरह का सवाल पूछते हुए विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे ने राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को पत्र भेजकर तत्काल जांच कराए जाने की मांग की है।
राज्य की मुख्य सचिव सुजाता सौनिक के इस्तीफे के बाद पिछले कुछ दिनों से यह चर्चा चल रही है कि उनकी जगह मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के समर्थक इकबाल सिंह चहल की नियुक्ति की जा रही है। इसी पृष्ठभूमि में विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन को पत्र भेजकर तत्काल जांच की मांग की है। दानवे ने कहा है कि राज्य सरकार ने सुजाता सौनिक को मुख्य सचिव नियुक्त किया है, जो राज्य के प्रशासनिक क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण है। महाराष्ट्र राज्य की पहली महिला मुख्य सचिव के रूप में उनकी नियुक्ति एक एतिहासिक घटना है। भारतीय प्रशासनिक सेवा के १९८७ बैच की अधिकारी सौनिक के पास भारतीय प्रशासनिक सेवा में तीन दशकों से अधिक का अनुभव है। विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य करने के बाद वर्ष २०२४ में उन्हें इस पद पर नियुक्त किया गया है। हालांकि, पिछले कुछ महीनों से राज्य सरकार विभिन्न कारणों से सुजाता सौनिक पर इस्तीफा देने का दबाव बना रही है। सौनिक के सरकार के पैâसलों का विरोध करने पर उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया जा रहा है। इसके अलावा उनके पति और राज्य के पूर्व मुख्य सचिव मनोज सौनिक को राज्य सरकार द्वारा महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त करने का प्रस्ताव दिया गया।